वाराणसी। बनारस की अधिकतर आबादी का बोझ ढो रही गलियों का हाल, ‘बेहाल’ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को विकास के नाम पर स्मार्ट सिटी और क्योटो का ताज भले ही पहनाया जा चुका है, लेकिन नगर निगम और जल संस्थान के लापरवाह अधिकारियों की अनदेखी के कारण गलियों के निवासी उपेक्षा भरी जिंदगी जी रहे हैं। ढेलवरिया के वार्ड नंबर 36 के रहवासी गली की बदहाली आज भी झेल रहे हैं। चौकाघाट मेन रोड से करीब 300 मीटर अन्दर इस मोहल्ले का हाल यह है कि हल्की-सी बारिश में यहाँ की सड़कें पानी से लबालब हो जाती हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए यहां के बाशिंदे ने सम्बन्धित विभागों से लेकर स्थानीय नेताओं के दरवाजों के चक्कर लगा डाले, लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। मायूस होकर लोगों ने सीवर के ढक्कन को अन्दर की तरफ टेढ़ा कर मेन होल के मुहाने पर टिका दिया है। इस व्यवस्था से जल-जमाव की समस्या का समाधान अनौपचारिक तरीके से भले ही हो जाता है, लेकिन रहवासियों को आज भी औपचारिक समाधान की आस है।
वैसे तो ढेलवरिया में पिछले काफी वर्षों से विकास के लिए ढेरों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन क्षेत्र की बदहाली को देखकर ऐसा लगता है कि यहाँ का विकास केवल कागजों तक ही सीमित है। ढेलवरिया के अंदर की सड़कों की हालत इतनी दयनीय है कि बारिश के दिनों में यह चलने लायक नहीं रह जाती हैं। अत्यधिक कीचड़ जमा हो जाने के कारण पैदल और दोपहिया वाहन चालकों को काफ़ी परेशानी होती है। यहाँ के स्थानीय लोगों के आने-जाने का मुख्य मार्ग यही है, जिसकी वजह से वह भी मजबूर हैं।
ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान मैं सबसे पहले सत्तन कुंआ स्थित प्राथमिक स्कूल पहुंची। इस स्कूल में मोहल्ले और आस-पास के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। स्कूल जाने वाला मार्ग बदहाली के आंसू बहा रहा है। यहाँ का रास्ता उबड़-खाबड़ है। जगह-जगह कचरे और मिट्टी के ढेर लगे पड़े हैं, जिसके कारण हल्की-सी बारिश होने पर भी यहाँ की गलियों में कीचड़, जलजमाव हो जाता है। इस दौरान बच्चों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।
गली की इस हालत पर प्राथमिक स्कूल के प्रबंधक मनोज कुमार सोनकर बताते हैं कि ‘स्कूल के पास तीन वर्षों से लगभग 50 मीटर तक की सड़क धंसी हुई है। पूर्व पार्षद गोपाल जायसवाल ने सत्तन कुआ आने वाले मार्ग की एक दीवाल पर दो लाख 76 हजार की धनराशि का शिलापट्ट लगा दिया। मगर, नगर-निकाय चुनाव नजदीक आ जाने के कारण काम नहीं हो पाया। चुनाव के बाद क्षेत्र का निजाम बदल गया लेकिन गली की समस्या वहीं की वहीं रह गईं। सैकड़ों लोग प्रतिदिन इस गली से आते-जाते हैं। बच्चे और बुजुर्गों में हादसे का भय बना रहता है। बारिश में मोटरसाइकिलें भी फिसल जाती हैं। वह बताते हैं कि स्कूल के पास नगर-निगम के कर्मचारी सफाई नहीं करते हैं जिससे यहाँ हमेशा गंदगी लगी रहती है। कहा- हम चाहते हैं कि नगर निगम इस पर विशेष ध्यान दें। साथ ही इस पर उचित कार्यवाही करके इस गली का निर्माण करवाएं और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।’
यहाँ सफाई न होने के कारण गली के लोग भी अपने घर का कचरा गली में ही फेंक देते हैं। हालांकि स्कूल के लोग इस बात को लेकर सबको जागरूक भी करते रहते हैं। बातचीत के दौरान स्कूल के ठीक बगल वाले घर से एक लड़की ने कांच की चूड़ियाँ बाहर की तरफ फेंकी। एक टीचर ने यह देख उस बच्ची के परिजन को वह चूड़ियाँ उठाने के लिए बोले। उन्होंने समझाया कि कांच किसी के भी पैर में धंस सकता है।
सत्तन कुंआ से आगे जाने पर एक मैदान में काफी कूड़ा बिखरा हुआ था। वहीं, स्थानीय रवि जायसवाल ने बताया कि ‘यह हाल सिर्फ इस गली का ही नहीं है, इसके आगे जाने वाली गलियों का भी यही हाल है। गली के हर कोने में आपको कचरे का ढेर लगा हुआ दिखेगा।’
यह कहते हुए उस गली में ले जाने के लिए रवि आगे बढ़े। वहाँ की दुर्गंध से निजात पाने के लिए मैंने अपना नाक-मुँह ढंक लिया। यह देख रवि कहते है कि ‘क्या हुआ मैडम, कूड़े की बदबू आ रही हैं न। हम लोग इन्हीं समस्याओं के बीच आज भी जीवन-यापन कर रहे हैं। अब हमारी आदत बन गई है, इसलिए चेहरा नहीं ढंकना पड़ता। वह बताते हैं कि बारिश होने पर इस रास्ते की हालत और भी बदतर हो जाती है।
यह बात हो ही रही थी कि पीछे से एक लड़की ने आवाज लगाई- ‘मैडम, सर्वे करने आई हैं क्या?
‘नहीं, मैं, मीडिया से हूँ।
‘अगर आप मीडिया से हैं तो मेरी मदद करें।’
अपनी गली की बदहाली को कोसते हुए गीता सोनकर बताती हैं कि ‘बारिश होने पर सीवर जाम हो जाता है, जिसके कारण मेनहोल से मलबा बाहर आ जाता है। दुर्गंध के कारण हम लोगों का साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है। जिस दिन लगातार और तेज बारिश होती है, उस दिन सीवर का पानी घर में भी चला जाता है। शिकायतों के बाद भी कोई समाधान नहीं होता है।
स्थानीय लालू सोनकर बताते है कि गली में RCC का काम हुए वर्षों हो गए। गलियां जगह-जगह क्षतिग्रस्त भी हो चुकीं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नगर-निगम RCC को उखड़वाकर इसी के ऊपर नई सड़क बनवाए, तभी समस्या का निदान हो पाएगा। RCC के ऊपर बिछी हुई पाइप लाइन से पानी सही तरीके से लोगों के घरों में नहीं पहुँच पाता है, क्योंकि सही प्रेशर नहीं मिल पा रहा है। वह बताते हैं कि यही पाइप लाइन थोड़ी नीचे से आई होती तो इलाके के लोगों को सही तरीके से पानी मिल पता। सीवर जाम की वजह से इस गली में हमेशा पानी-कीचड़ और गंदगी रहती है।
वह बताते हैं कि कई बार शिकायत करने के बाद नगर-निगम के अधिकारी आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं। गली की अन्य समस्याओं पर लालू कहते हैं कि यहाँ पानी की भी समस्या काफी गम्भीर है। कभी-कभार तो पानी आता ही नहीं है या उसमें पीलापन रहता है। उस वक्त हम पानी उबालकर या फिल्टर कर पीते हैं।
इसी गली डॉ. संतोष यादव एक क्लीनिक चलाते हैं। वह बताते है कि बरसात के समय इस गली में हमेशा पानी लगा रहता है। पूर्व पार्षद के समय भी यह समस्या थी। हम लोगों ने उनसे कई बार कम्पलेन्ट की, इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ। अभी-अभी नए पार्षद अमित मौर्या नियुक्त हुए हैं। उनसे इस गली की समस्या के बारे में बात हुई थी। उन्होंने कहा है कि जल्द ही इसका निस्तारण हो जाएगा।
इन समस्याओं के बावत निर्दल पार्षद अमित मौर्या ने बताया कि पदभार मिलने के बाद मैं क्षेत्र की समस्याओं के समाधान को सक्रिय हूँ। जहाँ तक सत्तन कुँआ का मामला है वहाँ की कई शिकायतों को लेकर हाल ही में मैंने नगर निगम से शिकायत की है। समाधान जल्द हो जाएगा। यहाँ कूड़ा उठान की भी समस्याएँ बनी हुई हैं। शुक्रवार को नगर आयुक्त ने इस समस्या को संज्ञान में लिया है। सीवर की समस्याओं को लेकर जलकल की नीलम यादव से भी बातचीत हुई है। सम्भवत: सोमवार तक ढक्कन लग जाएँगे। अमित के अनुसार, गली में लगभग एक हजार मीटर की पाइप लाइन पास हो गई है। जलकल विभाग के लोग जल्द ही इसको अमलीजामा पहनाएँगे। चौकाघाट पानी टंकी से फिलहाल तीन ट्यूबवेल के माध्यम से लोगों को पेयजल पहुँचाया जा रहा है। इलाके में चौथे ट्यूबेवल का भी काम चल रहा है। पाइप बिछने के बाद इसको चालू करवाया जाएगा। क्षेत्र में कुँओं के सवाल पर वह बताते हैं कि यहाँ 28 कुँए हैं, जिसमें तीन बंद हो चुके हैं बाकी 25 में से पाँच कुँओं के बारे में नगर निगम को लिखकर दिया गया है ताकि इनकी सफाई हो सके।
पूर्व पार्षद और भाजपा नेता गोपाल जायसवाल ने इन सब समस्याओं के बावत कहा कि ‘मैंने अपने कार्यकाल में काफी काम कराएँ हैं।’ बावजूद इसके क्षेत्र में काफी जनसमस्याएँ हैं। वह बताते हैं कि ‘मंत्री रविंद्र जायसवाल और मेरे काम का अंतर इलाके में आकर देख लीजिए। बाकी मेरे किए हुए कामों की लिस्ट आप नगर निगम से ले लीजिए। मेरे समय में भी काफी समस्याएँ थीं, जिसका समाधान उस वक्त करा दिया गया था।’