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ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस के अवसर पर संवैधानिक अधिकारों पर विमर्श

वाराणसी। मलदहिया स्थित एक निजी रेस्टुरेंट में ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस के अवसर पर प्रिज्मैटिक इंडिया की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें ट्रांसजेंडर नागरिकों की मौजूदगी रही। ट्रांसजेंडर नागरिकों को सशक्त और जागरूक करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन हुआ। संस्था की ओर से कार्यशाला को सुषमा ने सम्बोधित किया […]

वाराणसी। मलदहिया स्थित एक निजी रेस्टुरेंट में ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस के अवसर पर प्रिज्मैटिक इंडिया की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें ट्रांसजेंडर नागरिकों की मौजूदगी रही। ट्रांसजेंडर नागरिकों को सशक्त और जागरूक करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन हुआ। संस्था की ओर से कार्यशाला को सुषमा ने सम्बोधित किया और ट्रांसजेंडर एक्ट 2020 के विषय में विस्तार से बताया। ट्रांसजेंडर नागरिकों को पहचान पत्र मिलने से लेकर के स्कूल-कॉलेज में प्रवेश लेने, अस्पताल में चिकित्सा प्राप्त करने के साथ ही राशन, आवास आदि अन्य कल्याणकारी योजनाओं को पाने के विषय में जानकारी दी गई।

इसी क्रम में नीति ने बताया कि ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए हिंसा झेलने और अपनी जान की कुर्बानी देनेवालों की स्मृति में दुनिया भर में हर साल 20 नवंबर को रिमेम्ब्रेन्स डे मनाया जाता है। 1999 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई। ट्रांसजेंडर रीटा हेस्टर की हत्या 1998 में मैसाचूसट्स में हुई थी। रीटा अमेरिकन-अफ्रीकन महिला थीं और वह ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की मुखर आवाज थीं।

कार्यशाला को सुनते हुए

भारत की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या 4,87,803 है। ये लोग खुद को ‘पुरुष’ या ‘महिला’ के तौर पर नहीं, ‘अन्य’ के तौर पर आइडेंटिफाई करते हैं। ट्रांस व्यक्तियों के शोषण और उन पर होने वाले अत्याचार के ढेरों केसेज हैं जो की सामने आ भी नहीं पाते है। इस हिंसा, शोषण और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए जज्बा जुटाने के दिन के रूप में रिमेम्ब्रेंस डे को यहाँ बनारस में भी मनाया जा रहा है।

ट्रांसजेंडर नागरिकों की समस्या पर बात रखते हुए मूसा भाई ने बताया की किसी बहुत सम्पन्न पैसे वाले घर मे भी कोई एक सदस्य बीमार पड़ा हो तो क्या उस परिवार में कोई खुश रह सकता है? हमारा समाज भी एक बड़ा परिवार है। जब इस परिवार के एक हिस्से ट्रान्सजेंडर नागरिकों को लगातार मजाक, उपेक्षा, घृणा और हिंसा का शिकार बनाया जाता रहेगा तो समाज खुशहाल और संपन्न कैसे होगा? ट्रान्सजेंडर नागरिक स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बैंक, पोस्टऑफिस, रेलवे, बस, हवाई जहाज आदि में क्या आपको नौकरी करते हुए दिखते हैं? ट्रान्सजेंडर नागरिकों का क्या अपराध है जो उन्हें समाज की मुख्यधारा से वंचित रखा गया है?

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विधिक पक्ष बताते हुए रणधीर ने कहा कि संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं। लिंग, जाति, धर्म, नस्ल, रंग रूप के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। ट्रांसजेंडर ऐक्ट 2020 कहता है सरकारी और प्राइवेट सभी तरह के जगहों पर ट्रान्सजेंडर नागरिकों को भी समान अवसर उपलब्ध होंगे। किसी भी तरह का भेदभाव नही होगा। सबके पहचान पत्र बनेंगे और साथ ही नौकरी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ आदि तक पहुँच सुनिश्चित होगी। सरकारी और प्राइवेट सभी संस्थानों में ट्रांसजेंडर नागरिकों को अवसर की समानता रहेगी। किसी तरह के उत्पीड़न की स्थिति में जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस महानिदेशक के प्रभार में ट्रांसजेंडर सुरक्षा सेल काम कर रही होगी जो प्रभावित की सुरक्षा चिकित्सा और अन्य विधिक न्यायिक उपचार मिले ये सुनिश्चित कर रही होगी। इन सब कोशिशों को और बेहतर तरीके से जमीन पर उतारा जाए और ट्रांसजेंडर नागरिको को संविधान प्रदत्त अधिकार मिल सके, इसलिए हम सबको मिलकर काम करने की जरूरत है |

आज के इस कार्यकम का संचालन शिवानी ने किया, विषय प्रवेश विजेता ने किया और संस्था के आगामी योजनाओं को बताते हुए एना ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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कार्यशाला में प्रमुख रूप से सलाम, अमन, विक्की, राहुल, अभिषेक, मीनू, रोज़ी, नेहा, जिसानी के साथ साथ कुल 35 लोग शामिल रहे |

कार्यशाला से पूर्व पराड़कर भवन में पत्रकार वार्ता करके मीडिया बंधुओं से उपरोक्त बातों के रखते हुए ट्रांसजेंडर नागरिकों की समस्यायों और संवैधानिक अधिकार के विषय में जानकारी साझा की गयी।

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