Saturday, July 27, 2024
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‘नदलेस’ ने की कहानी एवं काव्य पाठ गोष्ठी

दिल्ली। नव दलित लेखक संघ (नदलेस) की मासिक-गोष्ठी का आयोजन आनंद मित्रा बुद्ध बिहार खानपुर, नई दिल्ली में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता बंशीधर नाहरवार ने की और संचालन डॉ. अमिता मेहरोलिया ने किया। गोष्ठी, कहानी-परिचर्चा एवं काव्य-पाठ, दो चरणों में सम्पन्न हुई। प्रथम चरण मे महिपाल ने अपनी कहानी अनोखे लाल चश्मे वाला का […]

दिल्ली। नव दलित लेखक संघ (नदलेस) की मासिक-गोष्ठी का आयोजन आनंद मित्रा बुद्ध बिहार खानपुर, नई दिल्ली में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता बंशीधर नाहरवार ने की और संचालन डॉ. अमिता मेहरोलिया ने किया। गोष्ठी, कहानी-परिचर्चा एवं काव्य-पाठ, दो चरणों में सम्पन्न हुई। प्रथम चरण मे महिपाल ने अपनी कहानी अनोखे लाल चश्मे वाला का वाचन किया। यह कहानी उन नेताओं पर कटाक्ष करती है (चश्मे के माध्यम से) जिसमे नेता अपने लाभ के लिये किसी भी विचारधारा का या संगठन का चश्मा अपनी आँखों पर चढ़ा लेते हैं, लेकिन इसानियत का चश्मा नहीं चढ़ातें। कहानी पर अमित, आरडी गौतम, गीता, शिवकुमार, सोमी, अमिता, मदनलाल, हुमा, शैल कुमारी, समय सिंह जोल, ओम प्रकाश सिंह, रोक्सी, पुष्पा विवेक, शम्भू नाथ, आरती, राधा, शिवानी, अमरचंद बौद्ध, नरेन्द्र मलावलिया, छामन, बंशीधर नाहरवार ने सारगर्भित विचार रखें। विचारों में कहानी के मजबूत और कमजोर दोनों पक्षों पर खुलकर चर्चा हुई।

साहित्यिक प्रस्तुति देते हुए

दूसरे चरण मे काव्य पाठ हुआ। सभी ने बेहतरीन कविताएं प्रस्तुत की। गोष्ठी में डॉ. हरकेश कुमार, ब्रिजपाल आदि उपस्थित रहें। मदन लाल राज ने वार पर वार कर कविता प्रस्तुत की। रोक्सी ने हमेशा तो नहीं कविता प्रस्तुत की। आरडी. गौतम ‘विनर्म’ ने ऐसे मेरे जिगरी भाई कविता प्रस्तुत की। समय सिंह जौल ने अपना अधिकार मांगना है और सुनो मेरे नेताजी कविता प्रस्तुत की। वंशीधर नाहरवाल ने लहु सभी का लाल है और ना मैं हिन्दू हूँ… कविता प्रस्तुत की। डॉ. अमित धर्मसिंह ने ग़ज़ल देश के अब ज़ालिमों से न्याय की दरकार क्या? प्रस्तुत की। डॉ. गीता कृष्णांगी ने कविता पढ़ी मौन ही मुखर प्रतिरोध है मेरा। पुष्पा विवेक ने आज़ादी का अमृत महोत्सव कविता प्रस्तुत की। हुमा ख़ातून ने पुरुष दिवस और ग़ज़ल जो वक़्त-ख़ुदा हैं कविता प्रस्तुत की। डॉ. अमिता मेहरोलिया ने तजवीस कविता प्रस्तुत की। अध्यक्षीय वक्तव्य में वंशीधर नाहरवाल ने कहा कि गोष्ठी अपने उद्देश्य को पर्याप्त करने में सफल रही। सभी ने अपनी कविताओं में अपनी सामाजिक अनुभवजन्य स्थितियों परिस्थितियों को बखूबी उकेरा। अंत में धन्यवाद ज्ञापन हुमा खातुन ने किया।

गाँव के लोग
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