जवाहरलाल कौल व्यग्र हिन्दी के वयोवृद्ध दलित कवि-कथाकार हैं। व्यग्र जी का जन्म बनारस में हुआ और वे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपर जिला जज के रूप में काम करते हुये सेवानिवृत्त हुये। उनके अब तक तीन कविता संकलन और दो कथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। बयासी वर्ष के ऊपर हो रहे व्यग्र जी जिस सामाजिक-आर्थिक स्थिति से आए हैं उसके अनुभवों ने उनको एक अलग स्तर पर खड़ा किया है। वे दलित और उत्पीड़न जैसे लगभग पर्यायवाची बन गए शब्दों का प्रतिकार रचते हैं। इस लिहाज से अपर्णा से हुई बातचीत से सोच के नए आयाम सामने आते हैं। देखिये और सब्सक्राइब कीजिये।
पहले दिल्ली के दलित साहित्यकार अपने को सुप्रीम समझते थे – जवाहर लाल कौल व्यग्र
जवाहरलाल कौल व्यग्र हिन्दी के वयोवृद्ध दलित कवि-कथाकार हैं। व्यग्र जी का जन्म बनारस में हुआ और वे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपर जिला जज के रूप में काम करते हुये सेवानिवृत्त हुये। उनके अब तक तीन कविता संकलन और दो कथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। बयासी वर्ष के ऊपर हो रहे व्यग्र […]
