मनाली आते समय मैंने कुछ बातों पर गौर किया। यहां के सरकारी स्कूल जो मुझे रास्ते में दिखे, बेहद खूबसूरत थे। साथ यात्रा कर रहे कुछ स्थानीय लोगों से पूछा तो जानकारी मिली कि यहां के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई बहुत अच्छी है। मैदानी इलाकों के जैसे यहां के लोगों में यह होड़ नहीं है कि उनके बच्चे महंगे से महंगे निजी स्कूलों में पढ़ें।
मैं इस खबर का विश्वास नहीं करता। नहीं करने की बड़ी वजह यह कि इस खबर का आधार संदेहास्पद है। लेकिन यदि यह बात सही है कि 2015 के बाद से पाकिस्तान जाकर पढ़नेवाले 17 नौजवान मारे गए हैं, तो यह बेहद चिंताजनक बात है।
वहां चिकित्सा के लिए मंत्रों का उपयोग करता है और जटिल रोगों के इलाज के लिए यज्ञ-हवन भी। मेरे चौंकने की वजह यह है कि ऐसे व्यक्ति के बारे में क्या स्टालिन सरकार को पहले से जानकारी नहीं थी?
नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं
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