वाराणसी। रामनगर-टेंगरा मोड़ से पड़ाव तक सड़क चौड़ीकरण की ज़द में आने वाले मकानों को तोड़ने के बाद प्रशासन ने पीड़ितों को मुआवजा देना शुरू कर दिया है। पहली पारी में फिलहाल 36 लोगों को मुआवजा दिया गया है।
गाँव के लोग डॉट काम ने इन पीड़ितों को मुआवजे के बाबत खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसको जिला प्रशासन में संज्ञान लिया है।
खबर का असर यह भी है कि चौड़ीकरण में आ रही अड़चनें भी दूर होती दिख रही हैं। नाप-जोख के बाद प्रशासन ने मुआवजे और क्षतिपूर्ति की कैटेगरी (आरसीसी, आरबी और गाटर-पटिया) तय कर दिया है। बीते शनिवार से ध्वस्तीकरण का अभियान स्थगित है। पहले मुआवजा दिया जाएगा, उसके बाद तोड़-फोड़ किया जाएगा।
मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे स्थानीय फारुख कहते हैं कि प्रशासन ने तोड़-फोड़ के दौरान सरकार की किसी भी नियमावली को नहीं अपनाया था। हाइकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया। इस मामले में मीडिया इन्वॉल्व नहीं होती तो पीड़ितों को मुआवजा मिलने में और देर होता। या नहीं भी मिल सकता था।
दूसरी तरफ, अब डबल पानी टंकी, साहित्य नाका से लेकर रामनगर चौक तक अधिकतर लोगों ने अपने-अपने निर्माण खुद तोड़ने शुरू कर दिए हैं। घर के सामानों को दूसरी जगह शिफ्ट करना भी जारी है।
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फोर लेन निर्माण में मुआवजे को लेकर उभरे गतिरोध के चलते लोक निर्माण विभाग के अतिक्रमण हटाओ अभियान में गुरुवार को छोड़ दें तो शुक्रवार से गति नहीं दे पा रहा है। इसके पहले भी जब-जब ध्वस्तीकरण के लिए प्रशासनिक अमला पहुँचा तब-तब विरोध हुआ।
इस बीच एडीएम प्रशासन विपिन कुमार ने गुरुवार को प्रशासनिक अमले के साथ रामनगर में तोड़-फोड़ शुरू कर दिया था।
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