वाराणसी। ‘भारतीय रेलवे प्रत्येक यात्री को किराए में पहले से ही 55 प्रतिशत छूट दे रहा है।’ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस बयान पर सरकारी पत्रकारों और वरिष्ठ नागरिकों ने आपत्ति जताई है।
चंदौली के वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि कोरोनाकाल के बाद से ही मीडियाकर्मियों और वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में मिल रही छूट को सरकार ने बंद कर दिया था।
इसके पहले रेल मंत्री ने बयान दिया था कि ’महामारी कोरोनो के दौरान देश की रेल यातायात व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा ठप कर दी गई थी। पाँच महीने बाद धीरे-धीरे वापस भले ही शुरू कर दिया गया, पर अब दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद रेल व्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर नहीं आ सकी है।’
वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि यह बेवजह नहीं है कि रेल मंत्री को रेलवे यात्रा की अव्यवस्था को लेकर बयान देना पड़ रहा है। रेलवे के वर्तमान स्थिति को लेकर वरिष्ठ नागरिकों के मन में भी एक आक्रोश भरा हुआ है।
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उन्होंने कहा, ‘दस दिसम्बर को मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बयान दिया था कि रेल व्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर नहीं आ सकी है और आज बयान दे रहे हैं कि प्रत्येक यात्री को 55 प्रतिशत छूट मिल रही है। इन दोनों बयानों का ताल-मेल नहीं हो पा रहा है। सरकार के लोग अपनी अव्यवस्थाओं को छिपाने के लिए हवाहवाई बयान देते रहते हैं।’
वहीं, एक मुगलसराय के मान्यता प्राप्त एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि ऐसे बयानों को चुनाव के नज़रिए से देखा जा सकता है। यह रेल यात्रियों के लिए ‘लॉलीपाप’ है। अगर रेल टिकट पर 55 प्रतिशत छूट मिल रही है तो वरिष्ठ नागरिकों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अब सीनियर सिटीजन वाली छूट क्यों नहीं मिल रही है?
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल से पहले वरिष्ठ नागरिकों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों को किराए में मिल रही छूट कायम करने की माँग पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अहमदाबाद में आयोजित एक प्रेसवार्ता में कहा था कि प्रत्येक रेलयात्री को पहले से ही किराए में 55 प्रतिशत की छूट मिलती है।
वैष्णव ने रियायतों की बहाली पर मीडियाकर्मियों के सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं दिया। वह यहाँ बुलेट ट्रेन परियोजना की प्रगति की समीक्षा के लिए आए थे।
कोरोनाकाल के पहले मिलती थी छूट
मार्च 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन से पहले रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ट्रेन किराए में 50 प्रतिशत छूट देती थी।
लॉकडाउन के दौरान रेलवे परिचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया था, लेकिन जून 2022 में जब सेवा बहाल हुई, तो रेल मंत्रालय ने इन रियायतों को बहाल नहीं किया और तब से यह मुद्दा संसद के दोनों सदनों सहित विभिन्न मंचों पर उठाया गया है।
कई साथी सांसदों द्वारा विभिन्न अवसरों पर यह सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय मंत्री का रुख इसी प्रकार का रहा है। जब मीडियाकर्मियों ने बृहस्पतिवार को अहमदाबाद में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान यह मुद्दा उठाया तो वैष्णव ने कहा कि ’यदि किसी गंतव्य के लिए टिकट की कीमत 100 रुपये है, तो रेलवे केवल 45 रुपये वसूल रहा है। (इस प्रकार) यह 55 रुपये की रियायत दे रहा है।’
ज्ञात रहे कि मध्य प्रदेश स्थित चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए भारतीय रेलवे ने कहा था कि उसने वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 15 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों से लगभग 2,242 करोड़ रुपये कमाए।
सरकार के समक्ष रखी जाएगी समस्या
रेल टिकट में छूट शुरू करने के मामले को लेकर सरकारी पत्रकार जल्द ही अपने-अपने जिले में सांसदों के माध्यम से सरकार के समक्ष अपनी समस्याएँ रखेंगे। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि छूट खत्म करने देने के कारण हम लोगों को काफी समस्याएँ हो रही हैं। इनको लेकर पहले भी कई बार कुछ सांसदों से चर्चा भी हुई थी, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं किया गया। इसलिए मान्यता प्राप्त पत्रकार जल्द ही अपने-अपने जिले में सांसदों को एक पत्रक सौंपेंगे, ताकि हमें हमारा अधिकार फिर से मिल सके।