सहारनपुर के गागलहेड़ी इलाके के गांव रसूलपुर पापड़ेकी में 50 वर्षीय किसान विनोद कुमार ने फांसी लगाकर जान दे दी है। कर्ज में डूबे किसान विनोद कुमार ने बुधवार को खेत में जाकर मफलर से पेड़ पर फंदा डालकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सागर जैन के द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार- किसान विनोद कुमार ने 2016 में किसान क्रेडिट कार्ड पर 2 लाख 80 हजार रूपये का लोन लिया था। खेती में लगातार घाटे एवं नुकसान के कारण वह बैंक से लिए गए कर्ज की किश्त अदा नहीं कर पा रहा था। विनोद के पुत्र राजेश कुमार का कहना है कि मंगलवार को बैंक के चार कर्मचारी उसके गांव पहुंचे और जबरदस्ती उसके पिता को गाड़ी में बिठाकर अपने साथ ले जाने लगे।
पुत्र राजेश ने आगे कहा कि इस बीच गांव वालों ने किसी तरह कह सुनकर बैंक वालों को समझाया, जिससे बैंक वाले विनोद कुमार को छोड़कर वापस चले गये। इस घटना के बाद किसान विनोद कुमार मानसिक तनाव में आ गया था।
बुधवार को किसान ने खेत में जाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम होने के बाद मृतक किसान के परिजन शव को लेकर थाना गागलहेड़ी पहुंचे और बैंक कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। इसके बाद सीओ सदर रुचि गुप्ता मौके पर पहुंची और आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया।
नहीं थम रहा किसानों की आत्महत्या का सिलसिला
बता दें कि इसके पहले झांसी के मऊरानीपुर थाना अंतर्गत बुढाई ग्राम निवासी 35 वर्षीय युवा किसान पुष्पेंद्र सिंह ने 18 मार्च की शाम अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी थी। 16 फरवरी को बिजनौर के खुशहालपुर में कर्ज के बोझ में दबे किसान दलजीत सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
ऐसे में सवाल उठता है – आत्महत्या करने वाले इन किसानों की आय दोगुनी क्यों नहीं हो पाई ? किसानों की आय दोगुनी करने के वायदे का आखिर क्या हुआ ?
किसानों की लगातार आत्महत्या का यह सिलसिला सरकार की योजनाओं एवं नीतियों पर बड़े सवाल खड़े करता है।
एक घंटे में एक किसान दे रहा जान
देश में किसानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 में भारत में 11,290 किसानों ने आत्महत्या की है। यानि भारत में हर एक घंटे में एक किसान अपनी जान दे रहे हैं।
यह इस बात का साफ संकेत है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं कृषि संकट एवं किसानों की समस्याओं का निदान करने में नाकाफ़ी साबित हो रही हैं। भारत में एक तरफ सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के दावे किये जा रहे हैं तो दूसरी तरफ आर्थिक तंगी के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं।