Thursday, April 25, 2024
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किसानों और मजदूरों ने अंडिका बाग से निकाला जुलूस

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे अंडिका बाग में किसानों-मजदूरों के धरने ने पूरे किए एक महीने अंडिका बाग, आजमगढ़। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के गावों में औद्योगिक क्षेत्र और पार्क के नाम पर जमीन छीनने के खिलाफ चल रहे अंडिका बाग धरने के एक माह पूरे होने पर जुलूस निकाला गया। हरे झंडे और […]

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे अंडिका बाग में किसानों-मजदूरों के धरने ने पूरे किए एक महीने

अंडिका बाग, आजमगढ़। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के गावों में औद्योगिक क्षेत्र और पार्क के नाम पर जमीन छीनने के खिलाफ चल रहे अंडिका बाग धरने के एक माह पूरे होने पर जुलूस निकाला गया। हरे झंडे और तख्ती लिखे नारों के साथ किसान-मजदूर जुलूस में शामिल हुए। इस दौरान लड़ेंगे-जीतेंगे, किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, जमीन के लुटेरों वापस जाओ, जमीन हमारे आपकी नहीं किसी के बाप की… के नारे लगाए गए। जुलूस में पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव विरेंद्र यादव, जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय के किसान नेता राजीव यादव, निशांत राज, राहुल यादव, जनवादी किसान सभा अंबेडकरनगर से जय प्रकाश, राम जगत, गोविंद नारायण मिश्र प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव विरेंद्र यादव ने कहा कि आजमगढ़ के सुमाडीह, खुरचंदा, बखरिया, सुलेमापुर, अंडीका, छजोपट्टी के साथ सुलतानपुर के कलवारीबाग, भेलारा, बरामदपुर, सजमापुर के किसान अंडिका बाग में आंदोलनरत हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के गांव संकट में हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन को कोई लेना-देना नहीं रह गया है। देश में करोड़ों लोग विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। इन लोगों ने अपनी जमीन विकास परियोजनाओं के नाम पर दे दी और खुद सड़कों पर बंजारे की जिंदगी जी रहे हैं।

जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय और किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि विकास के इस कड़वे स्वाद ने जो हकीकत सामने लाई है उसको देखते हुए इन गांव के लोगों ने तय किया है कि वह धरती माता का सौदा नहीं करेंगे। कई ऐसे किसान मजदूर हैं जिनकी जमीनें एक्सप्रेसवे में चली गईं। जमीन के बदले मिले मुआवजे से उन्होंने जो मकान बनाए आज उनपर फिर बुलडोजर चलने की नौबत आ गई है।

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किसान नेता निशांत राज ने कहा कि विकास से विस्थापन और विनाश की प्रक्रिया यानी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जिसमें 35 लाख करोड़ के निवेश का प्रस्ताव है। गांव-किसानों को खत्म करने वाली सरकारी आदेश के अनुसार चौथी औद्योगिक क्रांति के निशाने पर पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के किनारे के गांव शामिल हैं। जुलूस में लालबहादुर, कौशल्या, मेवाती, गीता, विद्या, मिथलेश, जय प्रकाश, मुस्कान, श्वेता, रत्न गंगा, मदन लाल आदि शामिल रहे।

विरेन्द्र यादव, पूर्वांचल किसान यूनियन के महासचिव हैं।

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