आजमगढ़ के निजामाबाद में राहुल सांकृत्यायन और अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की प्राथमिक पाठशाला पर कब्जे के विरोध में नागरिक समाज और राहुल सांकृत्यायन की विरासत संवर्धन अभियान ने प्रदर्शन किया।
जिन राज्यों में भाजपा का शासन है, वहाँ भाजपा से जुड़े लोग खुले आम दबंगई करने में सबसे आगे हैं क्योंकि उन्हें अपने ऊपर किसी भी तरह की कार्रवाई का कोई भय नहीं है। विशेषकर समाज के दबे-पिछड़े, वंचित समुदाय के पक्ष में खड़े होने वाले नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर आए दिन हमले करवाए जा रहे हैं। आजमगढ़ के किसान नेता वीरेंद्र यादव पर भी हमला करवाया गया और हमले करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई। जबकि न्याय की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली यह सरकार गैर भाजपा लोगों पर झूठी कार्रवाई कर उन्हें जेल में डालने से नहीं चुक रही है।
आजमगढ़ के नहरों में पानी नहीं हैं जिसके कारण किसान अपने खेतों की सिचाई नहीं कर पा रहे हैं। नहरों में जो पानी छोड़ा जाता वह नहर में मिट्टी एवं घास-फूस होने से पानी इधर-उधर बह जाता है। पानी नहीं मिलने से खेतों में धान की फसल सिंचाई के बिना सूख रही है और सिंचाई विभाग निष्क्रिय है।
इस सरकार ने सबसे ज्यादा जिसे नुकसान पहुंचाया है तो वह है किसान। देश का किसान लगातार सड़कों पर उतर कर अपने अधिकार की लड़ाई के लिए आंदोलनरत है। उसे रोज नई मुसीबतों से जूझना पड़ रहा है। सरकार भले ही खुद को किसानों का हितैषी माने लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।
एक समय भारत में ऊंचे मुकाम पर प्रतिष्ठित प्रायः सभी शिल्पकारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति आज बहुत अच्छी नहीं रह गई है क्योंकि उनके काम की मांग खत्म होती जा रही है। निजामाबाद के काले मिट्टी के बर्तन की कला की दुनिया भर में इस कस्बे की एक पहचान है। यह रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही रहन-सहन के वैभव को दर्शाती रही है। लेकिन पूंजीवादी अर्थव्यवस्था ने अनेक विकल्प ला दिये जिससे यह पारंपरिक काम बाहर होता गया। संरक्षण और व्यापक बाज़ार न मिलने के कारण यह काम करने वाले अब अब इससे विमुख होते जा रहे हैं और यह कला भी मर रही हैं। सवाल यह उठता है कि सरकार इस तरह की कलाओं को सहेजने के लिए क्या कर रही है? प्रस्तुत है अंजनी कुमार की ग्राउंड रिपोर्ट।
आजमगढ़ में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ महिलाओं ने पेड़ों को राखी बांधकर प्रण लिया- जमीन नहीं देंगे...
मंदुरी (आजमगढ़)। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर...
जिले के एसपी अनुराग आर्य ने बताया कि जांच में यह भी पता चला कि जिस जगह पर छात्रा गिरी थी उस जगह पर काफी खून भी फैला था, जिसे स्कूल द्वारा पानी डालकर साफ कराया गया था। पुलिस ने इसे सबूत मिटाने का प्रयास माना था और प्रिंसिपल तथा क्लास टीचर को जेल भेज दिया था। बाद में पूरा केस विवेचना के लिए मऊ ट्रांसफर कर दिया गया जहां एक ही दिन में दोनों आरोपियों को 9 अगस्त को जमानत मिल गई।
जमुआ हरिराम गांव की महिलाओं से सीओ सीटी ने सुना उत्पीड़न का पूरा मामला। दो दलित महिलाओं ने कंधारपुर थाने के एसआई रतन कुमार सिंह पर आरोप लगाया कि वह खिरिया बाग आकर महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करते हैं।
किसान मजदूर 8 महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। यह धरना तब शुरू हुआ जब 12-13 अक्टूबर को एसडीएम सगड़ी, कंधरापुर थानाध्यक्ष व अन्य राजस्वकर्मीयों द्वारा भारी पुलिस बल के साथ जबरन गांव में बिना किसी सूचना के सर्वे किया जाने लगा। गैरकानूनी कार्यवाई का ग्रामीणों ने विरोध किया तो महिलाओं, बुजुर्गों को बुरी तरह से मारा-पीटा गया और दलित महिलाओं को जाति सूचक गालियां दी गईं।
खिरिया बाग के आंदोलनकारियों ने जाड़ा, गर्मी और बरसात झेली। होली, दीपावली और ईद भी गुज़र गयी। सात महीने से अधिक हो गये लेकिन अफ़सोस कि सरकार की बेदिली के चलते खिरिया बाग के आंदोलन के लिए उम्मीद का कोई चांद नहीं उभरा।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे अंडिका बाग में किसानों-मजदूरों के धरने ने पूरे किए एक महीने
अंडिका बाग, आजमगढ़। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के...