गाजीपुर। जिले के किसानों ने प्रशासन से ‘कैटल कैचर’ वाहन से जल्द से जल्द आवारा पशुओं को पकड़वाने की माँग की है। सैकड़ों किसानों की फसलें खराब हो रही हैं। किसानों ने अंदेशा जताया कि आवारा पशुओं के कारण उनकी किसानी इस बार भी घाटे का सौदा बन सकती है।
गाजीपुर के कासिमाबाद के विभिन्न गाँवों में इस समय आवारा पशुओं का आतंक चरम पर है। खेतों में गेहूँ, सरसों, मटर, चना, गोभी, आलू आदि फसलों के लिए काम कर रहे किसान भीषण ठंड में आवारा पशुओं को भगाने में भी लगे हुए हैं। ये खड़ी फसलों को तबाह कर दे रहे हैं।
किसानों का आरोप है कि दिन-रात रखवाली के बावजूद आवारा पशु खेतों में किसी न किसी रास्ते घुस जाते हैं। दौड़कर जब तक उन्हें भगाया जाता है, तब तक काफी फसल नष्ट हो चुकी होती है।
किसानों का कहना है कि शासन द्वारा लाखों रुपये खर्च कर ‘कैटल कैचर’ वाहन लाया गया है, बावजूद इसके हम लोग आवारा पशुओं के आतंक से परेशान हैं। खेतों में पशुओं के झुंड का भगाने में जान का भी खतरा बना रहता है। कई किसान घायल भी हो चुके हैं।
इस सम्बंध में कासिमाबाद के खंड विकास अधिकारी भीमराव प्रसाद ने बताया कि ‘कैटल कैचर’ वाहन खराब है। रिपेयर के लिए गया है। वाहन आते ही इन आवारा पशुओं को पकड़कर गौ आश्रय केंद्र में भेज दिया जाएगा।
कई वर्षों से बरकरार है यह समस्या
खेतों में आवारा पशुओं की चहलकदमी ने अन्नदाताओं का जीना मुहाल कर दिया है। एक आँकड़ें के अनुसार, गाजीपुर में लगभग 28-30 से प्रतिशत किसान खेती-किसानी से मुँह मोड़ चुके हैं। बीते कई वर्षों से किसान आवारा पशुओं के आतंक से परेशान हैं।
जिले के किसान इरशाद अहमद बताते हैं कि ‘आवारा पशुओं की समस्या के लिए न सिर्फ सरकार और प्रशासन जिम्मेदार है, बल्कि आम आदमी भी उतना ही जिम्मेदार है। गाँव के लोग अपने मवेशियों को खुले में छोड़ देते हैं। जो गाय दूध देना बंद कर देती है, उसे पशुपाल खूँटे में नहीं बाँधना चाहता है, जिसका सीधा नुकसान किसानों को होता है। अब तो यही नहीं समझ आ रहा है कि हम अपनी समस्या का समधान कैसे करें?’
सर्द रातों में बीत रही किसानों की रातें
फसलों के लिए ग्रहण बन चुके आवारा पशुओं के आतंक ने किसानों का सुख-चैन छीन लिया है। इस गम्भीर समस्या के निदान के लिए सरकार द्वारा गौशाला खुलने के बाद भी समस्या का हल नहीं निकल सका। जिससे रबी की फसल के समय किसान आवारा पशुओं की धमा-चौकड़ी से परेशान हैं। निराश किसान स्वयं दिन-रात एक कर पहरेदारी करने के लिए मजबूर हो चुका है।
गाजीपुर में नीलगाय के अलावा, आवारा मवेशियों का झुंड फसलों को चौपट कर रहा है। जी तोड़ मेहनत से लगाई गई फसलों पर कभी नीलगाय हमला करते हैं तो कभी गाय, बैलों, बकरियों का झुंड फसल चर जाता है।
किसान परेशान हैं और हाथ में लाठी लेकर सर्द रातों में फसल ताकने पर मजबूर हो गए हैं। जिले के सदर, जमानिया, जखनिया, मुहम्मदाबाद, सैदपुर, कासिमाबाद, और सेवराई तहसील के किसानों भी आवारा पशुओं की समस्या से परेशान हैं। कई बार किसान आस-पास की गोशालयों में पशुओं को बंद भी करवा चुके हैं, बावजूद इसके हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
करोड़ों के बजट का क्या फायदा?
यूपी के किसान आवारा पशुओं के आतंक से परेशान हाते चले आ रहे हैं। योगी सरकार ने नील गाय, सुअर और अन्य आवारा पशुओं के लिए खेत सुरक्षा योजना की शुरुआत की है। इस योजना का बजट इस साल बढ़ाकर 350 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस योजना की शुरुआत पहले बुंदेलखंड से हुई थी तब इसका बजट 75 करोड़ रुपये था।
खेत सुरक्षा योजना के तहत किसानों के फसलों को बचाने के लिए सोलर फेसिंग की प्लानिंग बनाई गई है। इसके तहत खेत के बाड़ में लोहे की तार लगाई जाएगी, जिससे पशुओं को सिर्फ एक झटका लगेगा और वह खेतों से दूरी बना लेंगे। तार में 12 बोल्ट के झटके साथ एक सायरन की भी आवाज आएगी, जो लगभग 10 सेकेंड तक बजेगी।
कृषि विभाग ने इस योजना का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा। वहाँ से मंजूरी मिलने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
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