सरकारी वकील मनोज अरूर ने कहा कि चौथे आरोपी शिबू को एससी/ एसटी अधिनियम के तहत अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया, क्योंकि वह खुद एक दलित है। अभियोजक के मुताबिक, अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के अपराध के लिए सभी चार आरोपियों को दोषी ठहराया और 30 साल जेल की सजा सुनाई।
इसके अलावा अदालत ने चारों लोगों पर कुल 5.75 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। पुलिस के मुताबिक, अनुसूचित जाति की 17 वर्षीय लड़की के साथ तीन अक्टूबर, 2021 को जिले के एक पर्यटक स्थल पर नशीला पदार्थ मिला जूस पिलाने के बाद चार लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। तीन अक्टूबर 2021 को पीड़िता की उसकी एक सहेली ने उसे घूमने के लिए बुलाया था और पर्यटन स्थल पर ले गए।
क्या है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि सयुज कई महीनों से पीड़िता से प्यार का नाटक कर रहा था। आरोपी ने बहाने से पीड़िता को जानकिक्कडु नामक सुनसान जगह पर ले गया। वहाँ आरोपी ने पीड़िता के जूस में नशीला पदार्थ मिलाकर अपने साथियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। प्रकरण के बाद पीड़िता ने आत्महत्या करने का प्रयास भी किया। स्थानीय लोंगो को पीड़िता कुट्टियाडी-मरुथोंकारा रोड पर पुल के पास मिली थी।
नाडापुरम के डिप्टी सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस निधिन राज के अनुसार, शिकायत दर्ज करने के एक दिन बाद सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर सबूत इखट्टे कर लिए गए थे। पुलिस ने IPC की धारा 376, 506 और 366-A, पॉक्सो एक्ट और एससी/ एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
कोझिकोड (भाषा)। केरल के कोझिकोड जिले में एक दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले चार लोगों को अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि चौथे दोषी को 30 साल कारावास की सजा दी। यह मामला दो साल पहले का है। विशेष त्वरित अदालत के न्यायाधीश सुहैब एम ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दलित लड़की के खिलाफ अत्याचार के अपराध के लिए सयुज, राहुल और अक्षय को दोषी ठहराया एवं आजीवन कारावास की सजा सुनाई।