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संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के आह्वान के साथ लॉयर्स यूनियन का चौथा छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन संपन्न

बिलासपुर। भारत का संविधान स्वतंत्रता आंदोलन की देन है, जो धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक न्याय, भाईचारा और समाजवाद के मूल्यों को प्रतिपादित करता है। यह संविधान भारतीय समाज की विविधता, सांस्कृतिक मूल्यों और मानवाधिकारों की हिफाजत करता है। संविधान के इन्हीं बुनियादी मूल्यों पर आज मोदी सरकार हमला कर रही है और एक बहुरंगी समाज को एकरंगी […]

बिलासपुर। भारत का संविधान स्वतंत्रता आंदोलन की देन है, जो धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक न्याय, भाईचारा और समाजवाद के मूल्यों को प्रतिपादित करता है। यह संविधान भारतीय समाज की विविधता, सांस्कृतिक मूल्यों और मानवाधिकारों की हिफाजत करता है। संविधान के इन्हीं बुनियादी मूल्यों पर आज मोदी सरकार हमला कर रही है और एक बहुरंगी समाज को एकरंगी समाज में बदलने की और इसके लिए मनुवाद पर आधारित हिंदू राष्ट्र को थोपने की कोशिश कर रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सहिष्णुता की सदियों पुरानी परंपरा आज खतरे में है। इस खतरे का मुकाबला संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा करके ही किया जा सकता है। अधिवक्ताओं की और ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। यह बातें  लॉयर्स यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव और सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध अधिवक्ता पी वी सुरेंद्रनाथ ने यूनियन के चौथे छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। लॉयर्स यूनियन के इस सम्मेलन में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अनिल चौहान के साथ मध्यप्रदेश के सुबोध प्रधान तथा उत्तरप्रदेश के ब्रजबीर सिंह ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए अधिवक्ता अनिल चौहान ने संविधान के प्रस्तावना की विस्तार से व्याख्या की और देश के अधिवक्ताओं को संविधान का पैदल सैनिक बताया। उन्होंने कहा कि यदि इस देश में किसी दलित बच्चे को घड़े में रखे पानी को पीने के जुर्म में पीट-पीटकर मार दिया जाता है और नक्सलियों के नाम पर जेलें आदिवासियों से ठूंसी पड़ी हो, तो समझिए हमारे देश की जनता आज भी सामाजिक-राजनैतिक न्याय से वंचित है और आजादी के 75 सालों बाद भी हम संविधान की बुनियादी बातों को लागू नहीं कर पाए हैं। इस वंचना के खिलाफ और आम जनता को उसके बुनियादी अधिकार दिलाने के लिए अधिवक्ताओं को संघर्ष करना होगा। आम जनता के अधिकारों की सुरक्षा से ही अधिवक्ताओं के अधिकार भी सुरक्षित होंगे। इसलिए लॉयर्स यूनियन के संगठन को मजबूत बनाना होगा।

यूनियन के राज्य सचिव शौकत अली ने सम्मेलन के समक्ष अपनी रिपोर्ट रखी, जिसे पूरे प्रदेश से आए प्रतिनिधियों ने बहस के बाद पारित कर दिया। सम्मेलन ने राज्य बार काउंसिल का चुनाव शीघ्र कराने के लिए, कॉर्पोरेटपरस्त और मजदूर विरोधी श्रम संहिता वापस लेने, अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाने और फिलीस्तीन पर इसराइल के हमले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए।

सम्मेलन ने सर्वसम्मति से 31 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी का चुनाव किया, जिसके अध्यक्ष एच एन श्रीवास्तव, कार्यकारी अध्यक्ष प्रभाकर चंदेल तथा सचिव शौकत अली चुने गए। इस सम्मेलन के जरिए लॉयर्स यूनियन के कोलकाता में होने जा रहे राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए पांच प्रतिनिधियों का चुनाव भी किया गया।

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