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आत्मरक्षा के गुर सीख लड़कियां हुईं उत्साहित

वाराणसी। सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट की तरफ से  17 सितम्बर को बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन चौबेपुर क्षेत्र के भंदहा कला गाँव में आशा ई लाइब्रेरी एवं लर्निंग सेंटर पर  किया गया। प्रशिक्षण में विभिन्न गाँवों की 28 बालिकाओं ने हिस्सा लिया। महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों पर कार्य कर रही प्रतिष्ठित […]

वाराणसी। सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट की तरफ से  17 सितम्बर को बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन चौबेपुर क्षेत्र के भंदहा कला गाँव में आशा ई लाइब्रेरी एवं लर्निंग सेंटर पर  किया गया। प्रशिक्षण में विभिन्न गाँवों की 28 बालिकाओं ने हिस्सा लिया।

महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों पर कार्य कर रही प्रतिष्ठित संस्था रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रशिक्षक दल द्वारा मुसीबत के समय आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए। प्रशिक्षण के बाद बालिकाएं काफी खुश ही नहीं दिखाई दे रही थीं, बल्कि वे अपनी सुरक्षा से जुड़ी जानकारी व प्रशिक्षण प्राप्त कर काफी उत्साहित भी थीं। अपनी सुरक्षा को लेकर  बालिकाओं ने बार-बार इस प्रकार के प्रशिक्षण लेने की इच्छा जाहिर की। प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षण के दौरान लोअर किक, मिडिल किक, अपर किक, सीजर किक आदि के बारे में बताया। इसके अलावा एक बालिका का किसी व्यक्ति द्वारा गला या हाथ पकड़ने पर अपने आप को छुड़ाने, पीछे से पकड़ने पर अपने आप को त्वरित छुड़ाने जैसे सुरक्षा के गुर बताए। लघु फ़िल्म और समूह चर्चा के माध्यम से भी इस विषय पर सचेत किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयोजक अजय पटेल ने बताया कि स्कूल आते-जाते समय छेड़खानी और दुर्व्यवहार जैसी घटनाएं आए दिन बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में स्कूली बच्चियों को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षित करने के लिए इस प्रकार के शिविर नियमित किये जाने की जरूरत है।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिलाने का उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर व स्वावलंबी  बनाना है, जिससे किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति आने पर वे घबराएं नहीं और अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें।

रेड ब्रिगेड की प्रशिक्षिका सुष्मिता भारती, दिव्या पाण्डेय और महविश खान ने बहुत ही रोचक और वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षण प्रदान किया।कार्यक्रम संचालन  में  प्रमुख  रूप से  सौरभ, प्रदीप सिंह, राजकुमार गुप्ता आदि का सहयोग रहा।

 

गाँव के लोग
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