Monday, November 10, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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ग्राउंड रिपोर्ट

बिहार : ईंटों के बीच दबे भट्ठा मजदूरों की व्यथा

ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूर हमारी सभ्यता की नींव हैं। वे हमारी इमारतें बनाते हैं, हमारे घरों को खड़ा करते हैं, लेकिन उनके अपने घर रहने लायक नहीं होते। अगर हमें एक विकसित समाज बनाना है, तो हमें इन मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। वरना उनकी गरीबी की ये ईंटें हमेशा उनकी तरक्की का रास्ता रोकती रहेंगी।

रामपुर गांव : ‘क्राफ्ट हैंडलूम विलेज’ में बुनकरों का अधूरा सपना और टूटती उम्मीदें

रामपुर गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों कारीगरों और बुनकरों की कहानी है, जो सरकारी योजनाओं के अधूरे वादों और बाजार की बेरुखी के बीच फंसे हुए हैं। यह समय है कि सरकार और समाज मिलकर इनके सपनों को साकार करने के लिए कदम उठाए। अगर समय रहते इनकी मदद नहीं की गई, तो यह अद्वितीय कला और कौशल हमेशा के लिए खो जाएगा। पढ़िए नाजिश महताब की ग्राउंड रिपोर्ट।

बिहार में ‘हर घर नल का जल’ की हकीकत : बरमा गांव की प्यास

पिछले कई वर्षों से हर घर नल जल योजना की धूम मची हुई है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता प्रचार के बिलकुल उलट है। लगातार बढ़ते साफ पानी के संकट के मद्देनज़र यह योजना एक मज़ाक बनकर रह गई है। बिहार के लाखों ग्रामीण गंदे और ज़हरीले पानी का इस्तेमाल करने को विवश हैं। गया जिले के बरमा गांव में पानी का कैसा संकट है और सरकार की योजना किस हालत में है इस पर नाज़िश मेहताब की रिपोर्ट।

अवधी में गानेवाली यूट्यूबर महिलाएं : कहीं गरीबी से रस्साकसी कहीं वायरल हो जाने की चाह

पिछले कुछ ही वर्षों में अवधी भाषी महिलाओं ने बड़ी संख्या में यूट्यूब पर अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई है। यह ऐसी महिलाओं की कतार है जो निम्न मध्यवर्गीय और खेतिहर परिवारों से ताल्लुक रखती हैं और घर-गृहस्थी की व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अपने गीतों से एक बड़े दर्शक समूह को प्रभावित किया है। इनमें से कई अब पूर्णकालिक और स्टार यूट्यूबर बन चुकी हैं। अपने बचपन में सीखे गीतों को वे बिना साज-बाज के गाती हैं और लाखों की संख्या में देखी-सुनी जाती हैं। यू ट्यूब पर गाना उनके लिए न केवल अपनी आत्माभिव्यक्ति है बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता भी है। इसके लिए उन्होंने कठिन मेहनत किया है। परिवार के भीतर संघर्ष किया है। जौनपुर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर जिलों के सुदूर गांवों की इन महिलाओं पर अपर्णा की यह रिपोर्ट।

पॉल्ट्री उद्योग : अपने ही फॉर्म पर मजदूर बनकर रह गए मुर्गी के किसान

भारत में पॉल्ट्री फ़ार्मिंग का तेजी से फैलता कारोबार है। अब इसमें अनेक बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं जिनका हजारों करोड़ का सालाना टर्नओवर है लेकिन मुर्गी उत्पादक अब उनके बंधुआ होकर रह गए हैं। बाज़ार में डेढ़-दो सौ रुपये बिकनेवाला चिकन पॉल्ट्री फार्म से मात्र आठ रुपये किलो लिया जाता है। अब मुर्गी उत्पादक स्वतंत्र इकाई नहीं हैं। कड़े अनुबंध शर्तों पर वे कंपनियों के चूजे और चारे लेकर अपनी मेहनत से उन्हें पालते हैं और कंपनी तैयार माल उठा लेती है। मुर्गी उत्पादक राज्य और केंद्र सरकार से यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकारी नीतियाँ हमारे अनुकूल हों और हमें अपना उद्योग चलाने के लिए जरूरी सहयोग मिले। लेकिन क्या यह संभव हो पाएगा? पूर्वांचल के पॉल्ट्री उद्योग पर अपर्णा की रिपोर्ट।

कभी ऊन से दून और अब उखड़ती सांस, भदोही कालीन व्यवसाय का हाल कैसे हुआ बेहाल

भदोही कालीन उद्योग शृंखला - 1  भदोही। ‘यह देखिये।’ हमारे दिशा-निर्देशक कवि कर्मराज किसलय ने एक बाइक पर काती (ऊन) लादे लिए जा रहे है...

बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद में ढेलवरिया निवासी

वाराणसी। बनारस की अधिकतर आबादी का बोझ ढो रही गलियों का हाल, 'बेहाल' है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को विकास के...

जातीय और धार्मिक विद्वेष से भरा ‘क्योटो’ का नगर निगम

नई पोखरी की दलित और मुस्लिम बस्ती तक नहीं पहुँचा 'विकास' वाराणसी। विश्व की धार्मिक राजधानी घोषित हो चुकी काशी नगरी में शीतला माता मंदिर...

शहर में जलभराव का कारण नेताओं और ठेकेदारों की खाऊ-कमाऊ नीति है

वर्मा चौराहे का पानी गढ़ीवा एवं ज्वालागंज का पानी तालाब में जाता था। लेकिन फैले हुए अतिक्रमण और तालाबों के बिगड़े स्वरूप ने रास्ते बन्द कर दिये, जिससे जलभराव की समस्या बढ़ गयी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से फतेहपुर शहर का अतिक्रमण साफ नहीं हो पा रहा है और तालाब कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं होती है। नाला-नालियों के निर्माण में छोटे को बड़ा और बड़े को छोटा किया गया। उदाहरण के तौर पर अरबपुर में मासूक की पुलिया से सीधा पूरब की ओर देखें तो पता चल जायेगा कि अतिक्रमण के चलते सफाई नहीं हो पाती है। लगभग 10 साल से सफाई नहीं हुई है।

वंचना और गरीबी के दुष्चक्र में जी रहे दस्तकार बेलवंशी समाज के लोग

भदोही। भदोही जिला ग्राम मजारपट्टी के निवासी हैं रतन बेलवंशी। वे ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं। उन्होंने अपना इलाज भदोही, जौनपुर और वाराणसी से...

हर तरफ फैला सियासी तामझाम फिर भी नहीं मिटा बनारस का जाम

वाराणसी। सरकारी विभागों के फाइलों में स्मार्ट सिटी घोषित हो चुके वाराणसी शहर की यातायात व्यवस्था अनस्मार्ट हो गई है। रुका हुआ यातायात, कुछ...
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