Friday, April 26, 2024
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मजदूर दिवस पर जमीनी स्तर पर काम करने की ली गई शपथ

नौगढ़। एक मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मजदूर किसान मोर्चा के बैनर तले क्षेत्र के बसौली गांव में सामुदायिक भवन पर गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें मोर्चा के नंदलाल ने बताया कि मजदूरों के जागरूकता एवं उनके अधिकारों को लेकर एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Worker’s Day) […]

नौगढ़। एक मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मजदूर किसान मोर्चा के बैनर तले क्षेत्र के बसौली गांव में सामुदायिक भवन पर गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें मोर्चा के नंदलाल ने बताया कि मजदूरों के जागरूकता एवं उनके अधिकारों को लेकर एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Worker’s Day) की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई, जब अमेरिका में कई मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किसने फेंका, इसका कुछ पता नहीं चला लेकिन प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दीं और कई मजदूर मारे गए। शिकागो शहर में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया।

इसके बाद पेरिस में 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि मार्केट हुए नरसंहार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। तब से दुनिया के करीब 80 देशों में मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।

भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी। उस समय इसको मद्रास दिवस के तौर पर स्वीकार कर लिया गया था। इस की शुरुआत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी। पहले मजदूरों से 16-18 घंटे काम करवाया जाता था और उचित मजदूरी भी नहीं मिलती थी, इसको लेकर विभिन्न संगठनों ने काफी प्रयास किए।

नियुक्ति हमें इसके लिए संगठित होकर आवाज उठानी है। मजदूर किसान मोर्चा के सक्रियता, पुनर्गठन एवं ढांचे को लेकर चर्चा की गई। मोर्चा के संरक्षक नंदूराम ने बताया कि यह संगठन क्षेत्र में निस्वार्थ भाव से लोगों के हक और अधिकार खासतौर से जमीन के मालिकाना हक को लेकर काम  करेंगे।

संगठन को चलाने के लिए 5 लोगों की ब्लॉक स्तरीय कोर कमेटी का गठन किया गया एवं तय किया गया कि हर गांव में पांच-पांच लोगों की गांव स्तरीय कमेटी बनेगी जो अपने गांव की समस्याओं को ब्लॉक स्तरीय कमेटी में उठाकर उसके समाधान के लिए काम करेगी।  वन अधिकार के अंतर्गत जमा की गई दावा फाइलों पर मोर्चा के लोगों ने कहा कि हमें सक्रियता से संगठित होकर अपने जमीनों की लड़ाई लड़नी है इस दौरान रामाशीष, त्रिभुवन, रामबचन, हीरावती, सुनीता, कन्हैयालाल, रमेश, ओमप्रकाश सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

त्रिभुवन सामाजिक कार्यकर्ता हैं और नौगढ़ में रहते हैं।

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