संवैधानिक लोकतंत्र के मूल्यों को चुनावी लोकतंत्र के औजारों से लगातार कमजोर बनाया जा रहा है. अनेक लोकतान्त्रिक मूल्य खतरे में पड़ चुके हैं और भारतीय संविधान मनुष्य को जिस तरह की धार्मिक और अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है अब उस पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि बहुमत के गणित ने सत्ता संभालनेवाले लोगों को अनियंत्रित ताकत दे दी है. आज कर्णाटक उच्च न्यायलय ने हिजाब पर रोक लगाकर एक समुदाय की धार्मिक आज़ादी को नियंत्रित करने और ठीक इसके समानांतर दूसरे धार्मिक समुदाय को निरंकुश होने निर्णय दे दिया है. इस निर्णय ने भारत की संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका को निरपेक्षता की जगह पक्षधरता की ओर झुकने की ओर संकेत कर दिया है. इस विषय पर जानेमाने पत्रकार उर्मिलेश से बातचीत.