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डायलिसिस यूनिट से लैस होकर कितना बदलेगी उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधा

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की हर सरकार स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने का दावा करती है और अस्पतालों को तकनीकी रूप से मजबूत करने के लिए नई-नई योजनाओं का ढिंढोरा पीटती है। इसी क्रम में गुरुवार को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बहराइच, औरैया और बदायूं में डायलिसिस यूनिटों का वर्चुअल माध्यम से उदघाटन किया। […]

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की हर सरकार स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने का दावा करती है और अस्पतालों को तकनीकी रूप से मजबूत करने के लिए नई-नई योजनाओं का ढिंढोरा पीटती है। इसी क्रम में गुरुवार को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बहराइच, औरैया और बदायूं में डायलिसिस यूनिटों का वर्चुअल माध्यम से उदघाटन किया। इस अवसर पर एनेक्सी भवन में आयोजित बैठक में जिला चिकित्साधिकारियों तथा जन प्रतिनिधियों से बात करते हुये उन्होंने यह भी बताया कि अब प्रदेश के सभी जिले डायलिसिस यूनिट से लैस हो गए हैं।

प्रदेश के कई जिलों में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधा संचालित हो रही है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में डायलिसिस सुविधा पूरी तरह से निजी एजेंसी के माध्यम से संचालित की जा रही है। कुछ जिलों में यह सुविधा जहां ठीक तरह से काम कर रही है वहीं कई जिले में यह सुविधा मरीजों के लिए मुश्किल बनी हुई है। वजह है कि संविदा पर नियुक्त डायलिसिस टीम के कर्मचारी इस सुविधा के बदले मरीजों से मनमानी करते हैं।

वाराणसी के कबीर चौरा स्थित मंडलीय अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार डायलिसिस यूनिट है और यहाँ टेकनीशियन अरुण कुमार सिंह इसे देख रहे हैं। लेकिन दो दिन बाद ए सेवामुक्त हो जाएँगे।

गाजीपुर के जिला चिकित्साधिकारी डॉ राजेश सिंह ने फोन पर बात करते हुये कहा कि यहाँ 24 जून 2022 से डायलिसिस युनिट चल रही है और मरीजों की तरफ से हमें कोई शिकायत नहीं मिली है।

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बैरिया, बलिया के पत्रकार शिव प्रकाश ने बताया कि जिले पर हो सकता है कि डायलिसिस कि सुविधा उपलब्ध हो पर यहाँ तहसील पर बने सौ बेड के अस्पताल में तमाम मशीनें आ जाने के बाद भी उनका संचालन नहीं हो पा रहा है। सरकार ने एक और सुविधा का ढिंढोरा भले ही पीट दिया हो पर जमीनी स्तर पर चिकित्सा व्यवस्था अब भी आम आदमी को सुरक्षा का अहसास नहीं करा पा रही है। वह बताते हैं कि इस अस्पताल की नींव अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान की थी। जो अब बन कर तैयार हुआ है। वह बताते हैं कि अस्पताल बन जाने के बाद भी डॉक्टर का मिलना मुश्किल होता है। मशीनें हैं पर ऑपरेटर नहीं हैं।

वह सवाल करते हैं कि क्या मशीनें देखकर ही मरीज ठीक हो जाएगा? आगे कहते हैं कि मशीनें तभी कुछ फायदा पहुंचाएंगी जब सही तरह से उनका संचालन किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य कि मुश्किलें खत्म करने में सरकार लगातार नाकाम रही है। कोरोना महामारी के दौरान चाहे ऑक्सीज़न और अस्पताल में बेड मिलने का मामला हो या पिछले दिनों फैले डेंगू का मामला हो। वाराणसी और आस-पास के क्षेत्र में हजारों लोग ऐसे रहस्यमय बुखार की चपेट में रहे जिसकी सही जांच भी  स्वास्थ्य विभाग नहीं कर सका। टाइफाइड और डेंगू दोनों के रूप में चिन्हित इस बुखार की वजह से वाराणसी में ही सैकड़ों जानें चली गई और स्वस्थ हो चुके लोग आज भी उस बुखार के साइड इफेक्ट से जूझ रहे हैं। जिसमें माँस-पेशियों में दर्द होने कि शिकायतें आम बनी हुई हैं।

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