दिल्ली। भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर ताजा आंकड़े आज जारी किए जा रहे हैं। ह्यूमन राइट्स मेजरमेंट इनीशिएटिव (एचआरएमआइ) आज अपनी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस रिपोर्ट में मोटे तौर से तीन कसौटियों पर भारत में मानव अधिकारों की स्थिति को आंका गया है। शाम साढ़े चार बजे रिपोर्ट को यूट्यूब पर लाइव किया जाना है।
राइट्स ट्रैकर की देशवार वार्षिक रिपोर्ट में इस बार 2023 की समग्र रिपोर्ट का आकलन यह है कि जीवन की गुणवत्ता से संबंधित अधिकारों, राज्य द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली सुरक्षा और नागरिक तथा राजनीतिक स्वतंत्रता के मामले में भारत का प्रदर्शन नमूना संग्रह में शामिल अन्य देशों के मुकाबले औसत से भी खराब है। पूरी रिपोर्ट का सार यहां देखा जा सकता है।
रिपोर्ट में पहली श्रेणी ‘जीवन की गुणवत्ता’ शीर्षक से है जिसमें शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य, आवास और काम के संदर्भ में भारत के मौजूदा प्रदर्शन को आंका गया है। इस श्रेणी में प्राप्तांक स्कोर 67 प्रतिशत है। अलग-अलग क्षेत्रों में आय समायोजित सर्वोत्तम मानदंडों के बीच भोजन के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन 56.9 प्रतिशत है। इसके बाद काम की स्थिति है (57.3 प्रतिशत)। स्वास्थ्य की स्थिति सबसे बेहतर है।
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रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि दक्षिण एशिया के अन्य देशों के मुकाबले जीवन की गुणवत्ता संबंधित अधिकारों के मामले में भारत का प्रदर्शन औसत से भी खराब है। रिपोर्ट की दूसरी श्रेणी ‘राज्य से सुरक्षा’ शीर्षक से है जिसमें नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की बात की गई है। इसमें कुल प्राप्तांक 10 में से 4.5 है। अलग-अलग विषयों को निम्न में बांटा गया है: मनमानी गिरफ्तारी, जबरन गायब किया जाना, मृत्युदंड, न्यायेतर हत्या और यातना व दुर्व्यवहार। सबसे खराब स्कोर 3.3 मनमानी गिरफ्तारियों का है। उसके बाद यातना और दुर्व्यवहार (3.6), न्यायेतर हत्या (4.8) और जबरन गायब किया जाना है।
इन आंकड़ों से यह नतीजा निकाला गया है कि भारत में बहुत से लोग एक या एकाधिक उल्लंघनों का शिकार हैं और राज्य से सुरक्षा दिए जाने के मामले में अध्ययन में शामिल अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति औसत से खराब है। रिपोर्ट की तीसरी श्रेणी ‘’सशक्तीकरण’’ शीर्षक से है। इसे सभा और संगठन के अधिकार, राय और अभिव्यक्ति के अधिकार, राजनीतिक भागीदारी के अधिकार और धर्म व आस्था के अधिकार में बांटा गया है। धर्म और आस्था के अधिकार का स्कोर 3.5 है, राय और अभिव्यक्ति उसके बाद 3.8 है। संभा और संगठन के अधिकार की स्थिति 4.1 है। ये स्कोर दिखाते हैं कि भारत की सरकार इन अधिकारों का कितना सम्मान कर रही है। कुल मिलाकर इस श्रेणी में 4.5 का औसत प्राप्तांक यह बताता है कि बहुत से लोग भारत में अपनी नागरिक और राजनीतिक स्वतंत्रता का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। इसलिए रिपोर्ट कहती है कि नमूना समूह में जो भी देश शामिल हैं, उनकी तुलना में सशक्तीकरण अधिकारों पर भारत का प्रदर्शन औसत से भी खराब है।