वाशिंगटन (भाषा)। बिजली और इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री पर अपने काम के लिए विख्यात फैराडे ने इलेक्ट्रोलिसिस के नियम प्रस्तावित किए। उन्होंने बेंजीन और अन्य हाइड्रोकार्बन की भी खोज की।अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें कीं। सन् 1831 में विद्युच्चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत्-वाहक-बल उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर भविष्य में जनित्र (generator) बना तथा आधुनिक विद्युत् इंजीनियरी की नींव पड़ी।
फैरड (Farad, संकेत F) धारिता की इकाई है। यह नाम अंग्रेज भौतिकशास्त्री माइकल फैराडे के नाम पर पड़ा है। फैराड बहुत बड़ी इकाई है। अतः व्यवहार में माइक्रोफैराड, नैनोफैराड और पिकोफैराड आदि ही अधिक प्रयुक्त होते हैं।
इन्हीं फैराडे के नामे पर फैराडे पदक दिया जाता है जो दुनिया में अब तक सौ लोगों को दिया जा चुका है ।
इस बार यह पुरस्कार स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एमेरिटस (सेवानिवृत) प्रोफेसर और भारतीय मूल के प्रसिद्ध अमेरिकी वैज्ञानिक आरोग्यस्वामी पॉलराज को उनकी खोज ‘एमआईएमओ वायरलैस’ के लिए फैराडे पदक से सम्मानित किया गया है।
एमआईएमओ वायरलैस 4जी और 5जी मोबाइल के साथ-साथ वाई-फाई वायरलेस नेटवर्क में मदद करने वाली प्रौद्योगिकी है।
पॉलराज को पिछले सप्ताहांत लंदन में एक समारोह में यह पदक दिया गया जिसके साथ ही वह इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले 100वें व्यक्ति बन गए।
एक मीडिया विज्ञप्ति में बुधवार को बताया गया कि वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में में अहम योगदान निभाने वाले अभियंताओं और वैज्ञानिकों को दिया जाने वाला फैराडे पदक दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है।
पॉलराज ने कहा, ‘ आईईटी फैराडे पदक मिलने से गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मेरा मानना है कि अवसर सृजन के मामले में डिजिटल पहुंच वास्तव में अहम है और 5जी के जरिए भारत के पास स्पष्ट रूप से गहन प्रौद्योगिकी उद्योगों में प्रवेश करने और सफल होने की क्षमता है।’
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