नयी दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कई छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के खिलाफ शुक्रवार को अपना विरोध दर्ज कराया। इस नियमावली में शैक्षणिक भवनों के 100 मीटर के भीतर परिसर में विरोध प्रदर्शन को प्रतिबंधित करने के साथ-साथ अन्य प्रतिबंध भी शामिल हैं। छात्र संगठनों ने इस नियमावली को वापस लेने की मांग की।
ज्ञात हो कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 19 सितंबर को कुलपति के आवास के पास छात्रावासों में जल संकट पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के लिए जेएनयू के 12 छात्रावास अध्यक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें लगभग 500 छात्रों ने भाग लिया था। 13 दिसंबर को जारी नोटिस में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक नियमों और विनियमों के उल्लंघन का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि ‘भूख हड़ताल, धरना और विरोध के अन्य शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक रूप’ प्रशासनिक परिसर से 100 मीटर की दूरी पर आयोजित किया जाना चाहिए। नोटिस में छात्रावास अध्यक्षों को यह बताने की आवश्यकता है कि शैक्षणिक परिसर में प्रदर्शन आयोजित करने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। उन्हें 18 दिसंबर शाम 5 बजे तक जवाब देना है।
नोटिस का जवाब देते हुए टीओआई को सेंटर फॉर इनर एशियन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की पीएचडी स्कॉलर आइशी घोष ने कहा, ‘जेएनयू वीसी ने हमें आश्वासन दिया था कि जी20 शिखर सम्मेलन के समय जल संकट को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसके बावजूद आज 12 छात्रावास अध्यक्षों और जेएनयूएसयू सदस्यों को कारण बताओ नोटिस दिया गया।’ उन्होंने कहा कि शिप्रा और कोयना छात्रावासों में पानी की समस्या गंभीर है क्योंकि दोनों प्रत्येक छात्रावासों में 700 छात्र-छात्राएं रहते हैं।
इस मामले को लेकर वीसी शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार वीसी के आवास और आवासीय क्षेत्रों के 100 मीटर के दायरे में रात 11 बजे से सुबह 6 बजे के बीच विरोध प्रदर्शन प्रतिबंध है जिसका यहाँ उल्लंघन हुआ है। यह दोनों ही गतिविधयां अदालत की अवमानना हैं। मैंने उस रात आइशी घोष को इस बारे में सूचित किया, लेकिन उन्होंने नियमों से अवगत होने के बावजूद छात्रों के बीच एकजुटता का दावा किया। रात 11 बजे के बाद भी राजनैतिक नारे और विरोध प्रदर्शन जारी रहे और सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान हुआ। मैंने नरमी बरतने की पेशकश की लेकिन अदालत के आदेशों की अवमानना को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकी।
अब अप्रत्याशित रूप से भाजपा से सम्बद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की जेएनयू इकाई ने नियमावली को ‘तानाशाहीपूर्ण’ और ‘छात्र विरोधी’ बताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन का पुतला जलाया है।
एबीवीपी की जेएनयू इकाई के सचिव विकास पटेल ने कहा, ‘जेएनयू एक खुला और उदार विश्वविद्यालय है, जहां छात्रों को स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। लेकिन, प्रशासन इस अधिकार को छीनने का प्रयास कर रहा है।’
इससे पहले जेएनयू के कई छात्र संगठनों ने कुलपति शांतिश्री पंडित को विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामलों में छात्रों के खिलाफ जारी सभी तरह की जांच रोकने की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि इस मुद्दे को हल करने के उनके आश्वासन के बावजूद छात्रों को नोटिस दिए गए हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने कुलपति को लिखे पत्र में मांग की है कि मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) द्वारा छात्रों के खिलाफ सभी अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द किया जाना चाहिए और नयी विश्वविद्यालय नियमावली को वापस लिया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया है, ‘हम विभिन्न निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ जेएनयू प्रशासन की तरफ से शुरू की गई प्रतिशोधात्मक कार्रवाइयों का कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए आपको पत्र लिख रहे हैं।’
छात्रों के आरोपों का जवाब देते हुए, कुलपति ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार नियम उल्लंघन में शामिल छात्रों से पूछताछ जारी है।
उन्होंने कहा, ‘उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार उन छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जो नियमों के उल्लंघन में शामिल पाए गए थे। नियमों का पालन न करके हम अदालत की अवमानना नहीं कर सकते। मैंने 2019 में फीस वृद्धि पर विरोध करने पर कई छात्रों पर लगाया गया जुर्माना माफ कर दिया है।’
कुलपति ने कहा, ‘लेकिन यदि वे नियम तोड़ना जारी रखेंगे तो नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’