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ग्राउंड रिपोर्ट

काशी को क्योटो बनाना महज एक खयाली पुलाव, जबकि वास्तविकता नरक के दर्शन कराती है

वाराणसी। काशी को क्योटो बनाने की कल्पना सात-आठ वर्ष पूर्व जिस बीजेपी की सरकार ने की थी, धरातल पर उसकी सच्चाई कुछ और ही नजर आ रही है। एक नहीं कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जो काशी को नरक साबित कर रहे हैं। पिपलानी कटरा के लोढ़ेनाथ गली के रहने वाले लोगों ने पर्यटन […]

वाराणसी। काशी को क्योटो बनाने की कल्पना सात-आठ वर्ष पूर्व जिस बीजेपी की सरकार ने की थी, धरातल पर उसकी सच्चाई कुछ और ही नजर आ रही है। एक नहीं कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जो काशी को नरक साबित कर रहे हैं। पिपलानी कटरा के लोढ़ेनाथ गली के रहने वाले लोगों ने पर्यटन विभाग और उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ (यूपीसीएल) के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए चेतगंज थाने में तहरीर दी। उन्होंने यह कदम गली में छह माह पूर्व खोदे गए गड्ढों को न भरे जाने से  क्षुब्ध होकर उठाया। तहरीर में एक दर्जन से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। ज्ञात हो कि पर्यटन विभाग ने साढ़े तीन करोड़ रुपये से कबीरचौरा क्षेत्र की गलियों में पत्थर बिछवाना शुरू किया था। छह माह से कार्यदायी संस्था ने काम बंद कर रखा है। गड्ढे भी उसी तरह खुले हुए हैं। उन गड्ढों में आए दिन लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं। बारिश से पानी भर जाता है। स्थानीय निवासी राजेंद्र श्रीवास्तव, उमाशंकर गुप्ता, राजन श्रीवास्तव बाइक से गिरकर चोटिल हो चुके हैं। स्थानीय निवासी राजेश कुमार मिश्रा ने बताया कि गली ठीक थी, यहाँ पर नए निर्माण कि जरूरत नहीं थी, लेकिन पर्यटन विकास के नाम पर अधूरे काम ने हम लोगों कि परेशानी बढ़ा दी।

हफ्तों तक जमा रहता है बारिश का पानी

इस बारे में पूछने पर पर्यटन विभाग के उपनिदेशक आरके रावत कहते हैं- प्रोजेक्ट की दूसरी किस्त न मिलने से काम बंद था। अब फंड स्वीकृत हो गया है, कल से काम शुरू कर दिया जाएगा।

कुछ ऐसा ही मामला है भदैनी से रविंद्रपुरी लेन नंबर 14 को जोड़ने वाली गली का। इस गली में ध्वस्त पड़े सीवर चैंबर को कई माह से ठीक नहीं कराया गया। इसमें  गिरकर अब तक कई लोग घायल भी हो चुके हैं। यही नहीं कई बार इसमें दो पहिया वाहन चालक भी गिरकर घायल हो चुके हैं। ध्वस्त चैंबर गली के मोड़ पर होने के कारण किसी बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकता है बावजूद इसके जलकल के अफसरों का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा है। हालांकि जलकल के अफसरों द्वारा इसे शीघ्र बनवाने का आश्वासन लोगों को मिल चुका है बावजूद सबके अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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जनसरोकारों से जुड़ा एक ऐसा ही मामला वाराणसी के ओमनगर कॉलोनी का है। यह कॉलोनी पहड़िया-रौना बेला मार्ग के अकथा चौराहे से सटा बसा है। 25 वर्ष पूर्व बसायी गयी यह कॉलोनी पाँच लेन में बनी है, जिसमें तकरीबन चारसौ घर हैं, सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हैं। कॉलोनी के किनारे की नालियां और पटरियाँ नदारद। कॉलोनी की सड़कें 30 फीट से अधिक चौड़ी बनायी गईं लेकिन पार्क, सीवर लाइन, पेयजल लाइन, बिजली के तार आदि नदारद हैं। कॉलोनी के अधिकांश लोगों ने नगर निगम से नक्शा पास कराया है तो नगर निगम से पीला कार्ड बनवाकर गृहकर भी जमा कर रहें हैं। विकास शुल्क और गृहकर शुल्क जमा करते हुए लंबा वक्त बीत चुका है। कुल मिलाकर इस कॉलोनी के लोग अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

इन रास्तों पर चलना है दूभर

काशी को क्योटो बनाने का  खयाली पुलाव  की हवा निकलती यह खबर देखिए।

आदमपुर जोन के कज्जाकपुरा कार्यालय में मेयर वाराणसी अशोक कुमार तिवारी के साथ नगर आयुक्त जन चौपाल में लोगों  की समस्याएं सुन रहे थे। जनचौपाल में भदऊं निवासी अखिलेश्वर त्रिपाठी ने बताया कि 28 लाख रुपये कि लागत वाले नलकूप उस समय मंत्री और आज विधायक नीलकंठ तिवारी ने 7 दिसम्बर 2021 को शिलान्यास किया। नलकूप के लिए ठेकेदार ने पाइप नहीं बिछाया। इसके चलते 200 से ज्यादा परिवार जल संकट को झेल रहें हैं। इसी  दौरान कोनिया के चंचल कुमार ने कहा कि दाखिल खारिज के नाम पर मुझसे सुविधा शुल्क मांगा जाता है। पूर्व पार्षद साजिद अंसारी ने कहा कि फरदू शहीद बाबा छित्तनपुरा, पठनीटोला में आधे से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें खराब हैं।

शिकायतों के बाद भी नहीं बनी गली

बहरहाल जो भी हो बनारस की सभी समस्याओं पर गौर करें तो निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि काशी को क्योटो बनाने का ख्याल महज एक खयाली  पुलाव  से ज्यादा कुछ नहीं।

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