Monday, July 7, 2025
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हिंदुत्व का अर्थशास्त्र और संघ का संविधान विरोध

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान बदलने के सियासी बयान को लेकर भारत की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि 1976 में आपातकाल के दौरान 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को जबरन संविधान में जोड़ा गया था और अब वक्त आ गया है कि इन्हें हटाया जाए। उन्होंने कहा, बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द नहीं थे। आपातकाल में जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, न्याय पालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए। इस पर विचार होना चाहिए कि क्या इन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए?

भारत में यूरोपीय ढंग के राष्ट्रवाद की विकास यात्रा कैसे चल रही है

हिंदू महासभा भी थी और हिंदू राष्ट्रवादी तत्वों के एक तबके ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी घुसपैठ कर ली थी। जवाहरलाल नेहरू को इसके कारण भारतीय राष्ट्रवाद के लिए उत्पन्न हुए खतरे का एहसास हो गया था किंतु विभिन्न कारणों से वे इसे जड़ से उखाड़ नहीं पाए, जिनमें से एक था भारत में जमींदारी प्रथा का कायम रहना। यह समाज में बढ़ती धार्मिकता में भी प्रतिबिंबित होता था। 

पहलगाम त्रासदी पर विदेश में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पहुंचकर क्या संदेश दिया?

पहलगाम की नृशंस घटना की निंदा करने के लिए हिंदू-मुसलमान दोनों एक साथ आए। इसके बाद भी मुसलमानों के खिलाफ लगातार नफरत फैलाई जा रही है। इस त्रासदी के बाद मुसलमानों के खिलाफ निर्मित नफरत चरम पर है। पहलगाम त्रासदी पर हुई कार्रवाई के बाद देश के प्रधानमंत्री ने विदेश में विभिन्न प्रतिनिधिमंडल भेजकर इस त्रासदी का भारतीय पक्ष बताने का फैसला किया। प्रधानमंत्री को यह क्यों जरूरी लगा? क्या प्रधानमंत्री अपने द्वारा उठाए गए कदम का स्पष्टीकरण देते हुए विदेशी नेताओं की शाबासी लेने के इच्छुक थे?

आखिर इस युद्ध से देश को क्या मिला?

घरेलू मोर्चे पर मोदी सरकार आजादी के बाद की सबसे ज्यादा असफल सरकार साबित हुई है, जिसने घरेलू समस्याओं को हल करने के बजाए, आम जनता का ध्यान इससे हटाने के लिए हर मौके पर विभाजनकारी नीतियां अपनाई और लगातार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतने और सत्ता में बने रहने को अपना एकमात्र लक्ष्य बना लिया है। देश विरोधी ताकतें भी इसका फायदा उठाने में लगी है, जो पहलगाम में आतंकी हमले से सही साबित होता है।

पहलगाम आतंकी हमला : सुरक्षा की नाकामियाँ छिपाने के लिए गलत बयानी करती केंद्र सरकार

यदि पहलगाम हमले में पाकिस्तान का हाथ है, तो भारत सरकार की आंख और कान (इंटेलीजेंस) कहां थी, क्या कर रही थी? जैसी कि खबरें छनकर आ रही है कि ऐसी अनहोनी होने की भनक इंटेलीजेंस को थी, उसका सक्रिय न होना या निष्क्रियता की हद तक जाकर ऐसी सूचनाओं को नजरअंदाज करना हमारी इंटेलीजेंस की सक्षमता पर और बड़े सवाल खड़े करता है। इतना ही बड़ा सवाल खड़ा होता है कश्मीर मामले को डील करने में केंद्र सरकार की नीतियों की विफलता पर।

बढ़ते अंतरिक्ष उपग्रहों- कबाड़ों के टकराव से कैसे बचें?

इस सप्ताह की खबरों से पता चला है कि एक ऑस्ट्रेलियाई उपग्रह और एक संदिग्ध चीनी सैन्य उपग्रह के बीच टक्कर होने की संभावना...

बेहद दिलचस्प है नासा का साइकी क्षुद्रग्रह मिशन

 यूनान में साइकी को एक देवी माना जाता है जिन्होंने शरीर धारण कर जन्म लिया और प्रेम के देवता इरोज से विवाह किया था।...

प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के बावजूद बढ़ते कट्टरपंथ से चिंतित तसलीमा नसरीन

कोलकाता(भाषा)। प्रख्यात लेखिका तस्लीम नसरीन कठमुल्लावाद और धार्मिक उन्माद के खिलाफ लगातार लिखती-बोलती रही हैं। जिंदगी भर बगावती तेवर के साथ  लेखन कर्म में...

कई अन्वेषण अभियान को लेकर बेहद व्यस्त है इसरो

चेन्नई(भाषा)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने रविवार को कहा कि अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के अलावा इसरो...

सेना ने कहा अमृतपाल सिंह की मृत्यु शहादत नहीं ख़ुदकुशी

अग्निवीर अमृतपाल सिंह का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं किए जाने को लेकर विपक्ष के नेता केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर, सोशल...

रेलवे बोर्ड का आदेश, रेल चालक नहीं करेंगे 12 घंटे से अधिक काम

नयी दिल्ली (भाषा)।  रेलवे बोर्ड ने चालकों और गार्ड सहित ‘रनिंग स्टाफ’ के ड्यूटी के घंटे के संबंध में बृहस्पतिवार को सभी ‘जोन’ को...
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