Sunday, April 27, 2025
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पहलगाम आतंकी हमला : सुरक्षा की नाकामियाँ छिपाने के लिए गलत बयानी करती केंद्र सरकार

यदि पहलगाम हमले में पाकिस्तान का हाथ है, तो भारत सरकार की आंख और कान (इंटेलीजेंस) कहां थी, क्या कर रही थी? जैसी कि खबरें छनकर आ रही है कि ऐसी अनहोनी होने की भनक इंटेलीजेंस को थी, उसका सक्रिय न होना या निष्क्रियता की हद तक जाकर ऐसी सूचनाओं को नजरअंदाज करना हमारी इंटेलीजेंस की सक्षमता पर और बड़े सवाल खड़े करता है। इतना ही बड़ा सवाल खड़ा होता है कश्मीर मामले को डील करने में केंद्र सरकार की नीतियों की विफलता पर।

बीमा अभिकर्ता आंदोलन : क्या एलआईसी अपनी नींव की ईंटें उखाड़ने पर आमादा है

सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े और मजबूत उपक्रमों में शुमार भारतीय जीवन बीमा निगम की सतह पर सब चंगा नहीं है। नयी नियमावली को लेकर प्रबंधन और अभिकर्ताओं के बीच रस्साकसी जारी है। बातचीत के असफल प्रयास के बाद प्रदर्शन के बाद अब भी अनिश्चितकालीन असहमति आंदोलन जारी है। एलआईसी प्रबंधन द्वारा कमीशन जब्त करने और लाइसेन्स खत्म करने की धमकी के चलते अभिकर्ता संगठनों ने अपनी रणनीति बदल ली है लेकिन वे शांत नहीं बैठे हैं। अभिकर्ताओं को दबाकर रखने और अपनी शर्तों पर जीने के लिए विवश करने की बात से यह स्पष्ट है कि एलआईसी अब उनको अपनी सबसे कमजोर कड़ी मान रहा है। क्या होगा इसका परिणाम? क्या प्रबंधन, बीमा व्यवसाय अथवा अभिकर्ताओं के लिए यह घातक होगा? अपर्णा का आकलन।

क्या बोधगया महाविहार पूरी तरह ब्राह्मणवाद के चंगुल में है, क्यों आमरण अनशन पर बैठे हैं बौद्ध भिक्षु?

पिछले एक माह से आमरण अनशन पर बैठे बोद्ध भिक्षुओं का सरकार से अनुरोध है कि बोधगया महाविहार को ब्राह्मणों के मुक्त करा बौद्धों को सौंप दिया जाए। बोधगया महाविहार अधिनियम 1949, जिसके तहत महाविहार  प्रबंधन में ब्राह्मणों को सदस्य नियुक्त किया गया था, को निरस्त किया जाए। भगवान बुद्ध ने जहां ज्ञान प्राप्त किया, वह स्थान बौद्धों के हाथ में नहीं है। विदित हो की हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अक्सर दुनिया के सामने कहते हैं कि वे बुद्ध की धरती से आए हैं। ऐसे में क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं कि वे बौद्धों के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण महाविहार  को बौद्धों को सौंप देने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएं। क्या बिहार और केंद्र सरकार को आमरण अनशन पर बैठे बौद्धों की सुध नहीं लेनी चाहिए?  और उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए तुरंत इस मसले का हल निकालना चाहिए।

भारतीय जीवन बीमा निगम : दमनकारी नीतियों के खिलाफ चिट्ठियों से नहीं बनी बात तो आंदोलन पर उतरे अभिकर्ता

देश भर के बीमा अभिकर्ता आंदोलन पर हैं। उनका कहना है की जीवन बीमा अभिकर्ता अधिनियम 1972 भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता (संशोधन) अधिनियम 2017 अभिकर्ताओं के हितों के अनुकूल नहीं हैं। ये दोनों अधिनियम अभिकर्ताओं के अधिकारों को खत्म करने और उनके दमन का रास्ता साफ करने के औज़ार हैं। उनका कहना है कि 1 अक्तूबर 2024 को लाये गए निर्णय में निगम ने कई ऐसे नियम लागू किए जो अभिकर्ताओं और पालिसीधारकों दोनों के लिए खतरनाक हैं। अभिकर्ता संगठनों द्वारा इसका विरोध किया गया लेकिन प्रबंधन ने उनकी कोई बात नहीं मानी। अंततः 24 मार्च से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।

बरगढ़ किसान महापंचायत : अनियंत्रित कारपोरेट लूट और संकट में पड़ते जा रहे किसानों के सवाल पर भारी जुटान

विगत दिनों कृषि संकट के साथ ही दूसरे ज्वलंत मुद्दों पर बरगढ़ में राज्य भर से भारी संख्या में आए किसानों की महापंचायत हुई। महापंचायत में आए किसान नेताओं ने किसानों से अपने अधिकारों और आत्मरक्षा के लिए बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है।

समाजसेवियों ने की गांधी विद्या संस्थान को मुक्त कर सर्व सेवा संघ को सौंपने की माँग

बोले समाजसेवी - गांधी विद्या संस्थान को दूसरी संस्था को सौंपना विधि विरुद्ध वाराणसी। बीते मंगलवार यानी 16 मई को कमिश्नर कौशलराज शर्मा के निर्देश...

महिला पहलवानों के पक्ष में बनारस की लड़कियों का ‘दख़ल’

दिल्ली पहुँचीं लड़कियों ने पीड़ित खिलाड़ियों से बातचीत कर दिया समर्थन वाराणसी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे कुश्ती खिलाड़ियों के समर्थन में...

वर्धा यूनिवर्सिटी में लड़की से छेड़खानी, प्रबंधन बना लापरवाह

प्रशासन ने मानहानि और सुसाइड की धमकी देकर पीड़िता से ही लिखवाया माफ़ीनामा लड़कियों और स्त्रियों पर होने वाले यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराध को...