Tuesday, August 20, 2024
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विधानसभा उपचुनाव : क्या बूढ़े नेताओं को नकार रही है जनता

7 राज्यों में 13 सीटों पर हुए उपचुनाव में इंडिया गठबंधन ने 10 सीटों पर चुनाव जीत लिया। भाजपा को कुल 2 सीटों पर जीत हासिल हुई। इससे एक बात स्पष्ट हो गई कि जनता भी अब जायज़ मुद्दे पर ही चुनाव में प्रतिनिधि का चुनाव करेगी। जनता हिंदुतव और धर्म के मुद्दे से ऊब चुकी है। लोकसभा चुनाव में भी जनता की मंशा सामने आई थी और विधानसभा उपचुनाव के ये नतीजे भी संकेत कर रहे हैं कि राजनैतिक दल यदि ऐसे ही रहे तो उनका चुनाव जीतना मुश्किल होगा।

देश के सात राज्यों में 13 विधानसभा सीटों के लिए 10 जुलाई को उपचुनाव संपन्न हुए। इनमें मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में उपचुनाव कराए गए थे। इन उपचुनाव का परिणाम 13 जुलाई शनिवार को घोषित हुए।

13 विधानसभा सीटों में से दस सीटों पर इंडिया गठबंधन को विधानसभा में पहुंचाते हुए जनता ने एनडीए से मोह खत्म होने का संदेश दिया।

उपचुनाव के इन नतीजों से राजनीतिक गलियारों में एक सवाल और सामने आया है कि क्या देश के मतदाताओं ने 70 पार के नेताओं के राजनीतिक जादू और करिश्मे को नकार दिया है? क्या उनका राजनीतिक सूरज ढल चुका है?

देश के जिन सात राज्यों में विधानसभा के उपचुनाव हुए, उनमें से बिहार एक ऐसा राज्य है जहां नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जैसे किंग मेकर नेता मौजूद हैं। बिहार के सीमांचल में पूर्णिया और रूपाली विधानसभा के उपचुनाव में, मतदाताओं ने बिहार की दोनों ही मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों और उनके नेताओं को खारिज करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह को विधायक बनाया।

जबकि नीतीश कुमार की बैसाखियों पर मोदी सरकार और बिहार में नीतीश कुमार की सरकार भाजपा की बैसाखियों पर टिकी हुई है। मतलब एनडीए गठबंधन मिलकर भी रूपाली सीट नहीं जीत पाया।

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मध्य प्रदेश की बात करें तो कांग्रेस के दो दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं का कोई भी प्रभाव देखने नहीं मिला। इस उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी अमर शाह चुनाव जीते। जबकि पिछले 16 वर्षों से यहाँ कांग्रेस का दबदबा रहा था।

हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीन सीटों में से केवल एक विधानसभा सीट भाजपा को जीत दिलवा पाए।

2024 के लोकसभा चुनाव में 240 सीट जीतने वाली भाजपा एक महीने बाद ही संपन्न हुए सात राज्यों के विधानसभा उपचुनाव में 13 सीटों में से केवल दो सीट जीत पाई।

कहने का तात्पर्य यह है कि जनता के बीच अब 70 साला नेताओं का प्रभाव और जादू जनता पर खत्म होने लगे हैं।  राजनीतिक गलियारों में भी यह चर्चा जोरों पर है कि जनता के बीच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू गायब हो चुका है।

13 सीटों के परिणाम में सबसे ज्यादा चर्चा बद्रीनाथ सीट को लेकर है। उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट कांग्रेस के खाते में गई है।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी में हिंदुत्व का मुद्दा का प्रभाव खत्म हो चुका है?

लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने लोकसभा में प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी को हिंदुत्व के मुद्दे पर जमकर घेरा था। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने उत्तराखंड की बद्रीनाथ सहित दो सीटें जीत लीं।

दो महीने पहले सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव और अभी विधानसभा के उपचुनाव परिणाम संकेत दे रहे हैं कि जनता के बीच आज भी सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर किसान और मजदूरों की समस्याओं का है।

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