NIA ने घर में रखी सारी किताबें पढ़ीं और एक-एक साहित्य देखा, उन्हें कुछ ऐसा नहीं मिला, जिससे मेरे खिलाफ कोई केस बने : सीमा
वाराणसी/ प्रयागराज। अर्बन नक्सलियों से जुड़े होने के इनपुट मिलने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सामाजिक कार्यकर्त्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबरटीज (PUCL) की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सीमा आजाद के मेंहदौरी स्थित घर मंगलवार को करीब 12 घंटे सर्च ऑपरेशन चलाया। एनआईए की टीम ने सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय से करीब 12 घंटे तक पूछताछ की और नोटिस देकर अपना पक्ष रखने के लिए आगामी 12 व 14 सितंबर को लखनऊ स्थित अपने दफ्तर बुलाया है। सर्च ऑपरेशन में टीम को एनआरसी से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं।
जानकारी के अनुसार, सीमा आजाद के खिलाफ एनआईआईए के पास ठोस इनपुट्स थे। यही कारण है कि टीम ने सुबह पांच बजे सीधे उनके घर में रेड डाली। उस समय तक सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय सो ही रहे थे। एनआईए के साथ बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद रही। टीम ने सीमा आजाद और विश्वविजय को 12 घंटे तक ‘हाउस अरेस्ट’ रखा। इस दौरान सीमा आजाद, विश्वविजय के मोबाइल, लैपटॉप जमा कर लिए गए। इसके अलावा घर में रखे हर एक दस्तावेजों की जांच शुरू हुई। एक-एक डायरी के हर एक पन्ने टीम ने देखा। जांच में एनआरसी आंदोलन से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं। इसके अलावा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के शक में एनआईए ने पूरे घर का एक-एक कोना 12 घंटों में खंगाल डाला। आलमारियां, दीवाल, किताबें, साहित्य सब जाँच करने के बाद एनआईए की टीम ने सुबूतों की लिस्टिंग की। करीब 26 ऐसे सुबूत एनआईए अपने साथ ले गई है, जिसके बारे में अब सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय से लखनऊ में पूछताछ होगी।
रिपोर्ट्स के मानें तो सीमा आजाद के घर जिस समय एनआईए रेड डाल रही थी उस समय मीडिया भी वहाँ जुट गई थी। सीमा आजाद मीडिया को देखकर घर से बाहर निकलीं और बोलीं- ‘एनआईए मेरे घर का सर्च वारंट लेकर आई थी। इस रेड की स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी। उन्होंने घर में रखी सारी किताबें पढ़ीं और एक-एक साहित्य देखा है। उन्हें कुछ ऐसा नहीं मिला है जिससे मेरे खिलाफ कोई केस बने। टीम अपने साथ एनआरसी के पर्चे, कम्युनिस्ट पार्टी से सम्बंधित दस्तावेज, वीर बहादुर का उपन्यास रस्साकसी सहित बहुत सारा दस्तावेज अपने साथ ले गई है। बैंक खातों की जानकारी भी ली है। हमें 14 सितंबर कोसुबह 10 बजे एनआईए के लखनऊ दफ्तर में बुलाया गया है।
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उल्लेखनीय है कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एक छात्र संगठन भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा (BSM) के दफ्तर में रेड डाली। BSM के तार छात्र आंदोलन से आगे बिहार और झारखंड के जल, जंगल और जमीन की लड़ाई से जुड़ रहे हैं। बिहार और यूपी से आई अफसरों की टीम ने यह छापा मारा। BHU-BSM की प्रेसिडेंट और छात्रा आकांक्षा आजाद और सह सचिव सिद्धि से पूछताछ हुई। आकांक्षा झारखंड और सिद्धि बनारस की ही रहने वाली हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, BSM के सदस्यों का कहना है, ‘बिहार में अरेस्ट हुए कैमूर मुक्ति मोर्चा के रोहित और फरार चल रहे विनोद शंकर के साथ कनेक्शन और फंडिंग के बारे छात्राओं से पूछताछ की गई। करीब 9 घंटे तक सवाल-जवाब किए गए। रोहित और विनोद शंकर दोनों BHU के ही छात्र रहे हैं। आदिवासियों के साथ मिलकर कैमूर मुक्ति मोर्चा के तहत बिहार के भभुआ जिले में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का विरोध कर रहे थे। औरंगाबाद से लेकर कैमूर तक करीब 1300 वर्ग किलोमीटर के इलाके में टाइगर रिजर्व बनाया जाना है।’
वहीं, देवरिया के सीसी रोड पर उमानगर निवासी जनवादी क्रांति दल के महासचिव डॉ. उमानाथ चौहान के घर सुबह 5 बजे एनआईए ने छापेमारी शुरु की, जो दोपहर के ढाई बजे तक चली। डॉ. उमानाथ चौहान घोसी उपचुनाव में सामाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह का प्रचार कर रहे थे। उनका कहना है कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है। मेरा पुत्र राजेश चौहान आजमगढ़ में एक जमीन को लेकर धरने पर बैठा है। चौधरी ने आरोप लगाया कि मेरे बेटे को नक्सली बताकर एनकाउंटर में हत्या की जा सकती है। छापेमारी के समय डॉ. उमानाथ चौहान घर पर मौजूद नहीं थे तो एनआईए की पांच सदस्यीय टीम ने घरवालों से पूछताछ की।
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सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को नक्सल फंडिंग की भनक लगी, तो पांच अगस्त को रोहित को नक्सली होने के आरोप में औरंगाबाद बिहार से अरेस्ट किया। दूसरे आरोपी विनोद शंकर पर पुलिस सरेंडर का दबाव बना रही है। दोनों आरोपी BHU में इसी संगठन से जुड़े थे। इन लोगों का झारखंड में आना-जाना और आदिवासियों के साथ बातचीत चलती रही है।
NIA अफसरों द्वारा पूछे गये सवाल :
- तुम्हारे संगठन को फंड कौन देता है?
- क्या ये पैसा नक्सल गैंग से आता है?
- संगठन कैसे चल रहा है?
- बिहार में कैमूर मुक्ति मोर्चा से जुड़े रोहित के बारे में बताओ?
- झारखंड में कई गिरफ्तारियां हुईं, क्या आप उन्हें जानते हो। उसमें से कई तो नक्सल गैंग के लीडर हैं?
- आप कई क्रांतिकारी और सरकार विरोधी पत्रिकाएं और अखबार क्यों छापते हो?
- आप लोग चंदौली के जंगल और आदिवासी वाले गांवों की यात्राएं क्यों करते हो?
उत्तर प्रदेश के 8 जिलों के साथ देश भर में 122 ज्यादा स्थानों पर एनआईए द्वारा छापेमारी की गई।
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