वाराणसी। बिहार सरकार 22 जनवरी यानी सोमवार को संविधान प्रस्तावना दिवस मनाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से आए उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया जिसमें राममंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के दिन राज्य के सभी सरकारी-गैर सरकारी सहित स्कूल-कॉलेजों को बंद करने का आग्रह किया गया था।
नीतीश सरकार ने कहा है कि 22 जनवरी को बिहार में संविधान प्रस्तावना दिवस मनाया जाएगा क्योंकि 22 जनवरी 1947 के ही दिन भारत के संविधान की प्रस्तावना को संविधान सभा में स्वीकृत किया गया था। इसलिए सभी स्कूल-कॉलेज और सरकारी-गैर सरकारी दफ्तर खुले रहेंगे। युवा शिक्षा ग्रहण करेंगे और कर्मचारी काम करेंगे।
दूसरी तरफ, सोशल मीडिया पर बिहार सरकार के इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है। कई लोगों का मानना है कि यह फैसला बिहार के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 22 जनवरी को बिहार में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। इन कार्यक्रमों में स्कूली बच्चों और युवाओं को संविधान के बारे में जागरूक किया जाएगा।
बिहार सरकार के इस फैसले से यह भी पता चलता है कि बिहार सरकार संविधान की प्रस्तावना के महत्व को समझती है। संविधान की प्रस्तावना में भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों को दर्शाया गया है। इनका मानना है कि संविधान की प्रस्तावना को याद रखना और उसका पालन करना हर भारतीय नागरिक का कर्त्तव्य है।
‘पब्लिक हॉलीडे’ का ऐलान करना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है
वहीं महाराष्ट्र में सार्वजनिक अवकाश के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका डाली गई है। कानून की पढ़ाई करने वाले चार छात्रों ने अपनी याचिका में भाजपा सरकार के इस ‘फैसले’ को सेक्यूलरिज्म पर हमला बताया है। खबर लिखे जाने तक कोर्ट की विशेष बेंच इस याचिका पर आज विचार कर रही है।
जनहित याचिका दायर करने वाले छात्र चार छात्र एमएनएलयू मुम्बई, जीएलसी और निरमा लॉ स्कूल से हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि किसी धार्मिक कार्यक्रम को मनाने के लिए ‘पब्लिक हॉलीडे’ का ऐलान करना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इन छात्रों ने ये तर्क भी दिया कि कोई राज्य किसी भी धर्म के साथ जुड़ नहीं सकता या उसे बढ़ावा नहीं दे सकता।