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ग्राउंड रिपोर्ट

पुलिस भर्ती रद्द लेकिन विज्ञापनों से बाज नहीं आ रही भाजपा की डबल इंजन सरकार 

अभी पुलिस परीक्षा के पेपर लीक का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था और योगी सरकार ने मात्र 1782 पदों पर चयनित लोगों को नियुक्ति पत्र देने का आयोजन कर क्या साबित करना चाहती है?

इंडियन एक्सप्रेस अखबार के फ्रंट में पूरे एक पेज पर मिशन रोजगार के नाम से एक विज्ञापन छपा है। जिसमें योगी-मोदी की तस्वीर के नीचे लिखा है ‘निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत चयनित लोगों को नियुक्ति पत्र का वितरण किया जाएगा। युवाओं को रोजगार डबल इंजन की सरकार।‘ चयनित युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित करने का एक बड़ा आयोजन 25 फरवरी याने आज लोक भवन सभागार, लखनऊ में है। परीक्षा रद्द कर दी गई और 6 माह बाद दुबारा परीक्षा लेने के घोषणा की गई है।इसे क्या समझा और सोचा जाये? एक हफ्ते तक पुलिस परीक्षा भर्तीके पेपर लीक के मामले में पूरे प्रदेश में युवाओं द्वारा प्रदर्शन किया गया। 24 फरवरी को सरकार ने रद्द कर दिया।

क्या आपको लगता है कि स्टूडेंट्स फिर 6 महीने इस उम्मीद में बैठे रहेंगे कि एक दिन तो परीक्षा होगी ही। इसी उहापोह में लाखों स्टूडेंट्स की उम्र निकल जाएगी।

पेपर लीक के मामले में सरकार खुद को निर्दोष मान रही है और कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से बच रही है। इनकी सोच का स्तर इतने नीचे जा चुका है कि अखबारों के पहले पेज पर हो चुकी परीक्षाओं जिसमें मात्र 1782 युवा चयनित हुए हैं को नियुक्ति पत्र वितरण एक बड़े समारोह में पूरा उत्तर प्रदेश सरकार का कुनबा शामिल रहेगा।

बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं कुल 1782 पदों पर नियुक्ति पत्र बांटने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके 9 मंत्री मौजूद रहेंगे। यह विज्ञापन हर अख़बार  के पहले पेज पर दिया गया है। साथ ही विज्ञापनों में नारा लिखा है, ‘युवाओं को रोजगार, डबल इंजन की सरकार।’ जैसे इनकी मेहनत से इन्होंने इसे हासिल किया है।

पाँच वर्ष के सूखे के बाद पुलिस भर्ती का विज्ञापन आया

पाँच  साल के लंबे इंतजार के बाद यूपी पुलिस एवं प्रोन्नति बोर्ड ने 60 हजार 244 पदों पर भर्ती का ऐलान किया तो युवाओं को खुश होने का मौका मिला। सबसे सकारात्मक बात थी उम्र में छूट। इसके कारण ओवरएज हो चुके युवाओं में भी खुशी छा गई क्योंकि उन्हें भी सरकारी नौकरी की एक उम्मीद मिल गई।

लगभग 50 लाख युवाओं ने 4-4 सौ रुपए खर्च कर फॉर्म भरे। एड्मिट कार्ड आए और उसके बाद परीक्षा के केंद्र पहुँचने के लिए परीक्षार्थी ट्रेन-बस, टैक्सी जैसी सुविधा मिली, उससे परीक्षा केंद्र तक पहुंचे और परीक्षा दी।

बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर बेरोजगारों की भीड़ खूब वायरल हुई। एक दिन पहले केंद्र वाले शहर में पहुँचकर परीक्षार्थियों ने सड़क किनारे, स्टेशन और बस अड्डे पर, केंद्र के बाहर खुले आसमान के नीचे रात गुजारी ताकि होटल और लाज का किराया बच जाए।

परीक्षा देकर अभ्यर्थी जब बाहर निकले और वॉट्सऐप पर सॉल्व पेपर को देखा, तो उन्हें अपना  भविष्य अंधाकरमय लगा, मानो उनसे किसी ने सब कुछ छीन लिया हो। भर्ती बोर्ड यह मानने को तैयार नहीं था कि परीक्षा में धांधली हुई। अलबत्ता युवाओं ने जमकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

पाँच-छ दिन बाद मामला सीएम योगी तक पहुंचा, उन्होंने शनिवार को मीटिंग बुलाई और कहा, छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। इसके बाद परीक्षा कैंसिल कर दी गई। भर्ती रद्द करते हुए सरकार ने माना कि धांधली हुई, परीक्षा से पहले पेपर वायरल हुए इसलिए भर्ती रद्द कर दी गई।

धन्यवाद का ट्रेंड

प्रदेश में अब पेपर सफलतापूर्वक पारदर्शी तरीके से कराने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद नहीं दिया जा रहा बल्कि पेपर लीक के बाद कैंसिल कराने के लिए धन्यवाद मुख्यमंत्री जी का ट्रेंड चल रहा है। भाजपा को लगता है कि बड़े-बड़े बैनरों और विज्ञापनों के जरिए बीजेपी सरकार अपने कार्यकाल में हुए काले कारनामे को छुपा सकती है। लेकिन यह समझना और सोचना गलत है।

याद कीजिए बिहार में जेडीयू और राजेडी की गठबंधन सरकार में तेजस्वी यादव जब उपमुख्यमंत्री थे, तब महज 17 महीने के भीतर पारदर्शी तरीके से 5 लाख सरकारी नौकरियों के पद पर नियुक्ति पूरी हुईं। फर्क साफ़ है अगर सरकार चाहे तो बहुत ही कम समय में कायाकल्प पलट सकती है। लेकिन प्रदेश के युवा बेरोजगार घूमें और परेशान होकर कन्नौज के बृजेश पाल जैसे ही बेरोजगारी से हताश होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लें, सरकार को इस सबसे कोई लेना देना नहीं है.   

पेपर लीक प्रदर्शन के बाद

इनपुट है कि यूपी पुलिस और एसटीएफ ने 15 फरवरी से अब तक 287 लोगों को हिरासत में लिया है। जिनमें 80 प्रतिशत लोगों को परीक्षा कक्ष से उठाया गया है। कोई चिट से नकल कर रहा था तो कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उपयोग में ला रहा था। पुलिस ने इन सबसे पूछताछ की जिसमें कई चीजें निकलकर सामने आईं। सबसे बड़ी बात यह कि पेपर पहले ही मिल गया था, इसलिए उसके जवाबों की चिट बनाकर अभ्यर्थी अंदर ले गए। पूछताछ में कुछ  लोगों ने बताया किउन्हें टेलीग्राम पर 100-100 रुपए में पेपर मिल गया था। फिलहाल परीक्षा रद्द करने के अपने आदेश में सीएम योगी ने कहा कि भर्ती में जिसने भी लापरवाही बरती उसके खिलाफ मामला दर्ज करके कार्रवाई की जाए।

योगी सरकार का परीक्षा रद्द करवाने में टॉप पर

अब तक योगी सरकार के 7 वर्ष  साल के कार्यकाल में 11 परीक्षाएं रद्द हुईं। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। अपने शासनकाल को बेहतर मानने वाले मुख्यमंत्री की असफलता का इससे बड़ा मानक क्या होगा।

-साल 2017 में जब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, उसी साल दरोगा भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसका पेपर लीक हो गया था।
-साल 2018 में UPPCL, UPSSSC लोअर सबार्डिनेट और UPSSSC ट्यूबवेल ऑपरेटर का पेपर लीक हुआ।

-उत्तर प्रदेश आरक्षी नागरिक पुलिस परीक्षा में पेपर ही गलत बंट गया था और परीक्षा रद्द की गई।

-ग्राम विकास अधिकारी में खूब धांधली हुई, रिज़ल्ट आज तक अघोषित।

-प्राइमरी स्कूल सहायक शिक्षक भर्ती के रिजल्ट में भी जमकर धांधली हुई, जिसका नतीजा आज तक नहीं आया है।

-साल 2021 में UPSSSC पेट परीक्षा का पेपर लीक हो गया था।

-इसी साल यूपी TET का पेपर भी लीक हो गया.

-वन विभाग गार्ड की भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया गया।

-सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक व प्रधानाचार्य परीक्षा में भी धांधली सामने आई थी।

-अब यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया गया.

-इसी वर्ष 11 फरवरी को यूपी लोकसेवा आयोग की तरफ से RO-ARO की परीक्षा करवाई गई थी, उसे लेकर भी पिछले 10 दिनों परीक्षा रद्द करवाने छात्रों का प्रदर्शन जारी है ।

सरकार ने उसकी जांच शासन स्तर पर करवाने की बात कही है। बहरहाल, परीक्षा रद्द होने से छात्रों ने राहत की सांस ली है। छात्र अब चाहते हैं कि वादे के अनुसार 6 महीने के अंदर पूर्ण पारदर्शिता के साथ परीक्षा करवाई जाए।

ज़िम्मेदारी लेने से बचना फितरत है

एक जमाना था जब इस देश के रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना होने के बाद जिमीदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन आज भाजपा की मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार में बाबा के महज 7 साल के कार्यकाल में 11 भर्तियां रद्द हो चुकी हैं। न किसी ने ने इस्तीफा दिया और न ही जिम्मेदारी ही ली। जबकि गृह और नियुक्ति मंत्रालय योगी बाबा के ही चार्ज में है।

इसके बाद देश भर के अखबारों में 1782 पदों के लिए नियुक्ति पत्र बांटने का फुल पेज का विज्ञापन ऐसा दिया गया कि नियुक्त होने वाले युवाओं ने बिना किसी मेहनत से यह पद पाया हो। उनका यह काम पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना और बेशर्मी की पराकाष्ठा को पार करने जैसा है।

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