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पुलिस भर्ती : परीक्षा रद्द करने के साथ जवाबदेही और भरपाई भी तय करनी होगी

आखिर क्यों उत्तर प्रदेश में हो रही प्रतियोगी परीक्षाएं धांधली की भेंट चढ़ रही है। लगातार प्रदर्शन और विरोध के बाद योगी ने पुलिस परीक्षा रद्द कर दुबारा कराने की कही है लेकिन क्या दुबारा होने वाली परीक्षा बिना किसी धांधली के हो जाएगी? सवाल यह है।

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने सिपाही के 60,244 पदों पर भर्ती के लिए 17 और 18 फ़रवरी को लिखित परीक्षा का आयोजन किया था। यह परीक्षा प्रदेश के सभी 75 ज़िलों के 2,385 केंद्रों पर हुई थी। इस परीक्षा में पेपर लीक होने का आरोप लगाते हुए हजारों अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया और दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। पहले तो उत्तर प्रदेश सरकार इस बात को मान ही नहीं रही थी कि परीक्षा में धांधली या पेपर लीक हुआ है। लेकिन लगातार जिलों में छात्रो के बढ़ते विरोध प्रदर्शन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और परीक्षा को रद्द करना पड़ा।

सिपाही भर्ती परीक्षा को निरस्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा ‘आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर चयन के लिए आयोजित परीक्षा-2023 को निरस्त करने तथा आगामी 06 माह के भीतर ही पुन: परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं। परीक्षाओं की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।’

परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप छात्रों की ओर से लगाया गया। यही नहीं छात्रों की ओर से बताया गया कि बहुत सारे प्रतियोगी लड़कों के मोबाइल पर पेपर पहुंच गया। इसके बाद से ही प्रतियोगी छात्र अपने अपने जिलों में सरकार से परीक्षा को निरस्त करने की मांग कर रहे थे।

बलिया में पुलिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था। उसने अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए लाखों रुपये लिए थे। उसके पास से करीब 9 लाख रुपये मिले थे।

वाराणसी के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कुल सात सॉल्वर्स को एसटीएफ और ख़ुफ़िया दस्ते ने धर-दबोचा। राजातालाब तहसील में छह सेंटर बनाए गए थे। सरदार पटेल इंटर कालेज में प्रथम पाली के दौरान पटना निवासी एक अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा दे रहा नालंदा (बिहार) निवासी सॉल्वर राजाराम पकड़ लिया गया। आधार बायोमैट्रिक मशीन उसके पहचान पत्र की जाँच नहीं कर सकी।

आजमगढ़ में कुल 69 केंद्रों पर पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान जिले से करीब सात सॉल्वरों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके पास से एक स्कॉर्पियो, सात हजार कैश के साथ 14 लाख रुपये के दो चेक और अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किया था।

परीक्षा के बाद एटा जिले के अपर पुलिस अधीक्षक धनंजय कुशवाहा ने कहा था, ‘हमने सिपाही भर्ती परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने की योजना बनाने के लिए 15 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। कोतवाली पुलिस थाने की निगरानी टीम ने गिरफ्तारी की है।’

परीक्षा के दौरान डीजीपी प्रशांत कुमार ने खुद भी गोमती नगर के महामना मालवीय विद्या मंदिर इंटर कॉलेज और जेएमडी पब्लिक हायर सेकेंडरी कॉलेज के परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण कर जायजा लिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि 17 और 18 फरवरी को दो पालियों में होने वाली परीक्षा में लगभग 48 लाख से अधिक अभ्यर्थी सम्मिलित हो रहे हैं।

इस प्रकार से देखा जाय तो आज उत्तर प्रदेश में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाएं धांधली की भेंट चढ़ जा रही है। दूसरी तरफ सरकार धांधली की बात को जल्दी स्वीकार करने को तैयार नहीं हो रही है। अभी हाल ही में आरओ और एआरओ की भी परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप प्रतियोगी छात्रों की ओर से लगाए गए, लेकिन सरकार धांधली की बात को नकार रही है।

अब सिपाही भर्ती परीक्षा के दिन से ही छात्रों ने धांधली और पेपर लीक सहित परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़ा करना शुरू किया तो पहले सरकार ने धांधली की बात से इंकार कर दिया।

इससे पहले हुई लेखपाल भर्ती परीक्षा की शुचिता पर छात्रों ने प्रश्न चिन्ह खड़ा किया था। उनका कहना था कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। प्रयागराज में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे गोंडा जिले के मूल निवासी अभिषेक पाठक कहते हैं ‘योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभी तक तीन-चार परीक्षाएं करायी हैं, वो सभी की सभी नकल की भेंट चढ़ गयीं। आरओ, एआरओ, लेखपाल की परीक्षा हो या फिर पुलिस की सबमें बड़े स्तर पर धांधली हुई है । लेकिन दुख की बात तो यह है कि इन परीक्षाओं को सरकार ने रद्द नही किया। पुलिस की परीक्षा में भी धांधली की बात सरकार नहीं मानती, यदि छात्र सड़कों पर न उतरे होते।

पुलिस परीक्षा में हुई धांधली को सरकार ने साफ तौर पर मना कर दिया था। परीक्षार्थी और युवाओं द्वारा लगातार विरोध दर्ज करने के लिए प्रदर्शन भी किया जा रहा था, जहां पुलिस और अधिकारियों ने उनसे मार पीट भगाया था। इसका वीडियो एक्स पर लगातार वायरल हो रहा है।

योगी सरकार जवाब देना होगा  

मुख्यमंत्री योगी ने परीक्षार्थियों के दबाव में आकर दुबारा परीक्षा लेने की बात कही हो लेकिन युवाओं के समय, पैसा और मेहनत का आकलन कैसे होगा? यह सवाल है कि युवाओं का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कैसे होगी? हर बार लाखों की संख्या में परीक्षा फॉर्म भरते समय फीस वसूली जाती है। आए दिन परीक्षा का पेपर लीक होता है, परीक्षा रद्द होती है, ऐसे में फीस के लाखों-करोड़ों रुपए कहाँ जाते हैं?

परीक्षा में शामिल होने वाले युवा जिन परिवारों से आते हैं, वे परिवार मुश्किल से फीस और कोचिंग के साथ परीक्षा सेंटर तक जाने के खर्चे की व्यवस्था कर पाते हैं। ऐसे में बार-बार पेपर लीक की वजह से परीक्षा का रद्द होना युवाओं की मन: स्स्थिति को कमजोर करता है। युवाओं के अनुशासनहीन और अराजक होने का एक बड़ा कारण यह भी है।

पुलिस भर्ती परीक्षा में 65 लाख युवाओं ने 400 रुपए फीस देकर परीक्षा फॉर्म भरे थे। इस आधार पर गणना करने पर सरकार के खजाने में 2-2.5 अरब रुपए गए। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है इस तरह बार-बार परीक्षा रद्द कराना सरकार के लिए फायदे का धंधा बन गया है। वर्ष 2018 के बाद पुलिस परीक्षा में भर्ती की कोई अधिसूचना नहीं आई थी। 5 वर्षों में हजारों लोगों ने भर्ती की उम्र पार कर ली होगी।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस परीक्षा निरस्त करने की घोषणा के बाद राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा ‘छात्र शक्ति और युवा एकता की बड़ी जीत। उत्तर प्रदेश पुलिस परीक्षा आखिरकार निरस्त की गई। संदेश साफ है – सरकार कितना भी सच को दबाने की कोशिश करे, एकजुट होकर लड़ने से ही अपना हक जीता जा सकता है।’

परीक्षा रद्द कर दुबारा परीक्षा का लेने की बात युवाओं की जीत भले हो लेकिन दूसरी परीक्षा या पुलिस भर्ती की होने वाली दुबारा परीक्षा बिना किसी नकल, सोल्वेर्स या लीक हुए बिना हो पाएँगी, यह एक बड़ा सवाल है।

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