पटना। भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार को जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी का बिहार में राज्यसभा सीट पर ‘वैध दावा’ था, जिसे उन्होंने महागठबंधन के हित में छोड़ दिया।
भट्टाचार्य ने यह स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के गठबंधन से बाहर निकलने के बाद अब भाकपा माले अधिक हिस्सेदारी की मांग करेगी। इससे पहले उनकी पार्टी ने प्रदेश में पांच लोकसभा सीटों की मांग की थी।
भाकपा माले महासचिव ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “बिहार विधानसभा में भाकपा माले के 12 विधायक हैं। हमने गठबंधन के लिए बलिदान दिया है। राज्यसभा सीट पर हमारा ‘वैध दावा’ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद हमने महागठबंधन के हित में अपना राज्यसभा सीट के लिए दावा छोड़ने का फैसला किया।“
उन्होंने कहा, “अब, हम बिहार से आगामी राज्यसभा चुनाव में महागठबंधन के सभी तीन उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।”
हालांकि, उन्होंने उन अटकलों से इनकार किया कि वह बिहार से राज्यसभा सीट की दौड़ में हैं। उन्होंने कहा कि “मैं बिल्कुल भी दौड़ में नहीं था। यह सब आधारहीन खबरें थीं।”
उन्होंने कहा, “महागठबंधन से नीतीश कुमार के बाहर निकलने के बाद भाकपा माले निश्चित रूप से आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी मांगेगी। एक-दो दिन में आरजेडी समेत महागठबंधन के नेताओं से इस मामले पर चर्चा की जाएगी।’’
महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल आरजेडी ने बुधवार को घोषणा की कि बिहार में राज्यसभा चुनाव के लिए मनोज कुमार झा और संजय यादव पार्टी के उम्मीदवार होंगे। दोनों उम्मीदवार बृहस्पतिवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करने वाले हैं।
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष, अखिलेश प्रसाद सिंह ने मंगलवार को प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल किया। और अब दीपांकर भट्टाचार्य ने बड़ी बात कह दी है।
राज्यसभा की बिहार से छह सीटों के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी को है। सत्तारूढ़ एनडीए तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें जेडीयू और भाजपा शामिल हैं।
बिहार की 6 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है जिसमें एनडीए के खाते में तीन और महागठबंधन के खाते में भी तीन सीटें हैं। जिसपर आरजेडी ने अपने दो और कांग्रेस ने अपने एक उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। ऐसे में दीपांकर भट्टाचार्य की दावेदारी महागठबंधन को मुश्किल में डाल सकती है।