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सब कुछ तराजू पर नहीं तौला जा सकता (डायरी 7 अगस्त, 2022)  

आजकल पारंपरिक तराजू नजर नहीं आते। लोग वजन तौलने की मशीन रखने लगे हैं। यह अच्छा भी है और बुरा भी। अच्छा इस मायने में कि खरीदार अंकों के…
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सवर्ण बनाम दलित-बहुजन (डायरी 2 अगस्त, 2022)  

बदलाव संसार का नियम है और यह बदलाव हर क्षेत्र में होता है फिर चाहे वह सामाजिक क्षेत्र में बदलाव हो, आर्थिक क्षेत्र में हो, सांस्कृतिक…
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 असुरक्षित घर और बेटियों की चुनौती  (डायरी 7 जुलाई, 2022) 

बदलाव प्रकृति का नियम है और इस लिहाज से भी सोचें तो हम बदलावों को रोक नहीं सकते। समाज में भी तमाम तरह के बदलाव हो रहे हैं। समाज के कुछ…
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 सभ्यता के पीछे ज्ञान या ज्ञान के पीछे सभ्यता? (डायरी 5 जुलाई, 2022) 

मेरी बेटी साक्षी के सवाल ऐसे ही होते हैं। उसकी तरह ही चुलबुली और थोड़ी-सी नुकीली। कल उसने यह खास सवाल किया कि पापा, सभ्यता की वजह ज्ञान है…
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पटना के राजीव नगर के उन लोगों के नाम, जिनके घर जिला प्रशासन ने ढाह दिये (डायरी, 4 जुलाई, 2022) 

कल का दिन भी बुखार के साथ ही बीता। हालांकि सुबह में इसका असर कम था। ऐसा शायद इस वजह से कि सुबह में परिजनों ने पारासिटामोल की अच्छी-खासी डोज…
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हमारे यहाँ लड़कियां बारात में नहीं जाती हैं..

बिहार के आरा जिले के एक गाँव के शादी घर में गए। बिहार में किसी शादी में जाने का पहला मौका था। घर में खूब चहल-पहल थी। बारात शाम चार बजे…
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एक बुरी रात का सुखद अंत (डायरी 3 जुलाई, 2022) 

मेरी शिक्षा नियतिवाद को खारिज करती है और इस कारण मेरी अपनी जिंदगी आडंबरों से मुक्त है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मेरे जीवन में जुड़े सभी…
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अपने शहर पटना में (डायरी, 1 जुलाई, 2022)  

वक्त की गति बहुत तेज होती है। लेकिन यह भी सापेक्षवाद के सिद्धांत का अनुसरण करता है। मतलब यह कि आदमी की गति जितनी तेज होती है, वक्त की गति भी…
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माया-मोह और मेेरी भाभी (डायरी, 27 जून, 2022) 

जीवन में मोह का महत्व होता ही है। मोह न हो तो जीवन का कोई उद्देश्य भी नहीं होता। बिन माया-मोह जीवन की बातें महज चोंचलेबाजी हैं। मेरे जीवन…
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मुफ्त की चाय कभी पी है आपने? (डायरी 16 जून, 2022)

लोकोक्तियों और मुहावरों का अपना ही महत्व होता है। फिर चाहे वह किसी भी भाषा या बोली के क्यों ना हों। बाजदफा तो ये इतने अलहदा होते हैं कि इनके…
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