हमारे देश की एक बड़ी आबादी आज भी ऐसी है जो शहरों और महानगरों में आबाद है। लेकिन वहां शहर के अन्य इलाकों की तरह सुविधाओं का अभाव होता है। सरकार की ओर से इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को पीने का साफ पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने कहा, “महागठबंधन से नीतीश कुमार के बाहर निकलने के बाद भाकपा माले निश्चित रूप से आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी मांगेगी। एक-दो दिन में आरजेडी समेत महागठबंधन के नेताओं से इस मामले पर चर्चा की जाएगी।’’
अपवाद छोड़ दें तो स्त्रियों को यदि जिम्मेदारीपूर्ण काम दिए जाएँ और किसी निर्णय लेने में शामिल किया जाए तो वे उस काम को बहुत ही बेहतर तरीके से ख़ुशी-ख़ुशी पूरा करती हैं। लेकिन अक्सर घर-परिवार-समाज में उन्हें इंसान का नहीं, बल्कि एक स्त्री का दर्जा दिया जाता है। हमेशा उन्हें घर के अंदर शारीरिक मेहनत वाले काम ही सौंपे जाते हैं। बात-बेबात कमअक्ल और बाहर की दुनिया से अनभिज्ञ समझा ही नहीं जाता, बल्कि इस बात का गाहे-बगाहे ताना भी दिया जाता है।