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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला : सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया

भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन का आरोप है। न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक योगगुरु रामदेव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश जारी किया है।

देश की सबसे बड़ी अदालत- सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि का मुकदमा एक बार फिर सुर्खियों में है। भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप है। जस्टिस हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक योगगुरु रामदेव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट में 19 मार्च को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के साथ तीखी बहस हुई। पतंजलि और रामदेव की तरफ से पैरवी कर रहे रोहतगी ने रामदेव की व्यक्तिगत पेशी का पुरजोर विरोध किया।

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पर भ्रामक विज्ञापन का आरोप लगाने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का दावा है कि वे एलोपैथी (अंग्रेजी दवाओं द्वारा उपचार की पद्धति-प्रणाली) के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां दे रहे हैं। इससे पहले 27 फरवरी को सुनवाई के दौरान जस्टिस कोहली और न्यायमूर्ति अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद के निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी किया था। उन पर कथित तौर पर एक विज्ञापन जारी करने और एक कॉन्फ्रेंस आयोजित कर 21 नवंबर को पारित न्यायालय के आदेश के उल्लंघन करने का आरोप लगा।

इससे पहले 21 नवंबर को जस्टिस अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की पीठ ने आदेश पारित किया था। मीडिया में कथित तौर पर भ्रामक विज्ञापन जारी न करने या औषधि के प्रभाव को लेकर दावे करने वाले या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली (एलोपैथ) के खिलाफ कोई लापरवाही भरा बयान (Casual Statement) न देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त दिशा-निर्देश दिए थे।

रामदेव को निजी रूप से पेश होने का आदेश

19 मार्च को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था- पतंजलि आयुर्वेद ने 27 फरवरी के नोटिस का कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। इसे अवमानना मानते हुए अदालत ने बाबा रामदेव को निजी रूप से पेश होने का आदेश सुनाते हुए नोटिस जारी किया।

निजी पेशी के निर्देश का रामदेव और पतंजलि की पैरवी कर रहे पूर्व अटॉर्नी जनरल- मुकुल रोहतगी ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने हैरानी भरे लहजे में कहा, पिछली सुनवाई की तारीख के बाद क्या हुआ? उन्होंने सवाल किया- ‘पिछली बार केवल पतंजलि के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण को नोटिस जारी किया, अब इस मामले में रामदेव को क्यों लाया गया? इसका कोई कारण तो होना चाहिए। यह ठीक नहीं हो रहा है।’

रोहतगी और जस्टिस अमानुल्लाह के बीच तीखी बहस

मुकुल रोहतगी ने मांग की- यदि अदालत के समक्ष कुछ ऐसे तथ्य हैं, तो इसे रिकॉर्ड पर लाया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि वे अपने वादी को बता सकें कि अदालत ने उनकी भूमिका का स्वत: संज्ञान लिया है। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा- ‘आदेश में इस बात का साफ संकेत दिया गया है।’

न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने तीखी बहस के बीच हस्तक्षेप किया। इस पर रोहतगी ने कहा, हम नोटिस स्वीकार करेंगे और पेश होंगे। उन्होंने कहा कि अगर अदालत ने कुछ देखा है तो उन्हें जवाब देने का पूरा हक है। जस्टिस कोहली ने कहा, अदालत मानती है कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज कानून के प्रावधान, किसी भी व्यक्ति के बारे में बात करते हैं। रोहतगी ने कहा, उन्हें इसकी जानकारी है, लेकिन कानून का उल्लंघन अवमानना नहीं है। केवल अदालत के आदेश का उल्लंघन ही अवमानना होगा।

इस पर जस्टिस कोहली ने स्पष्ट किया कि 21 नवंबर, 2023 को पारित आदेश का कथित तौर पर उल्लंघन हुआ है। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि यह नोटिस केवल कारण बताने के लिए है। इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। इसका संबंध अदालत के आदेश से है। अगली सुनवाई पर बाकी तथ्यों पर विचार किया जाएगा।

गौरतलब है कि 27 फरवरी के आदेश में जस्टिस अमानुल्लाह ने संकेत दिए थे कि रामदेव और बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस जारी किया जाएगा। पीठ का कहना था कि 4 दिसंबर, 2023 को पतंजलि की तरफ से जारी एक विज्ञापन में दोनों देखे गए। ऐसा करना 21 नवंबर को पारित आदेश का उल्लंघन है।

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