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दर-दर पानी के लिए भटकते ग्रामीण

राजातालाब के निवासी सत्यनारायण कन्नोजिया जेएनयू से पढ़े हुए हैं और नब्बे के दशक में अपने इलाके राजातालाब में पानी की सही आपूर्ति को लेकर आन्दोलन कर चुके हैं। कैसे आप इस आन्दोलन में आये? यह पूछने पर उन्होंने बताया कि एक बार छुट्टियों में जेएनयू से वापस अपने घर महावन आ रहे थे। तब […]

राजातालाब के निवासी सत्यनारायण कन्नोजिया जेएनयू से पढ़े हुए हैं और नब्बे के दशक में अपने इलाके राजातालाब में पानी की सही आपूर्ति को लेकर आन्दोलन कर चुके हैं। कैसे आप इस आन्दोलन में आये? यह पूछने पर उन्होंने बताया कि एक बार छुट्टियों में जेएनयू से वापस अपने घर महावन आ रहे थे। तब उन्हें प्यास लगी, राजातालाब में मुन्नू साव की दुकान से जलेबी ली और खाने के बाद जब पानी माँगा तब दुकानदार ने कहा पानी अभी नहीं मिल पायेगा क्योंकि सगड़ी लेकर पानी लेने के लिए भैरवनाथ तालाब पर गये हैं। जब वे पानी ले आयेंगे तब आपको पानी पिला पाऊँगा। पोखरे का पानी क्यों पिलायेंगे? यह कहने पर दुकानदार ने कहा कि इस जगह पर कोई हैंडपंप नहीं है न ही कोई दूसरा साधन है। नीचे का पानी सूख गया है सभी लोग पोखरे से ही पानी लेकर आते हैं और पीने के साथ अन्य कामों के लिए उपयोग करते हैं। यह सुनकर सत्यनारायण ने कहा मुझे बहुत ग्लानि हुई कि आम जनता को साफ़ पानी भी उपलब्ध नहीं है और वे दूर से पानी भर कर लाते हैं। चार दिन मैं अपने गाँव महावन में रहा। वापस दिल्ली गया और पढ़ाई खत्म होने के बाद जेएनयू से वापस आया, उसके बाद मैंने पानी के लिए आन्दोलन शुरू किया। यह बात 1985 से 1988 की बात है। उन दिनों वीर बहादुर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राजातालाब में पानी की समस्या को लेकर अनेक बार मुख्यमंत्री वीरबहादुर से मांग की गई,उन्हें अल्टीमेटम दिया गया, कई बार चक्काजाम किया गया लेकिन मांग पूरी नहीं होने पर यहाँ के निवासियों और छात्रों को जोड़कर वृहद पैमाने पर आन्दोलन किया। हमारी मांगें मानी गईं और उसके बाद बोरिंग लगा,पाइप लगा, लोगों को पानी मिला। लेकिन तीन दशक बाद पुरानी पाइपें सड़ चुकी हैं, क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। ऐसे में एक बार फिर पानी की दिक्कत हो रही है। कहीं पानी पहुँच पा रहा है, कहीं नहीं। पाइप के टूट जाने से कहीं-कहीं  पानी सड़क पर ही बह रहा है। पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। यहाँ पानी की कोई दूसरी व्यवस्था किये जाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। यदि सरकार इस प्रस्ताव पर जल्द ही कोई फैसला नहीं लेगी तो यहाँ के लोगों को सड़क पर उतरना पड़ेगा और वृहद् स्तर पर आन्दोलन करना पड़ेगा।  सत्यनारायण कन्नोजिया जैसे लोग कम ही होते हैं जो जनता की समस्या के लिए उनके साथ खड़े होकर आन्दोलन करते हैं।

भिखारीपुर ग्राम पंचायत स्थित पानी टंकी 27 साल पुराना और पानी सप्लाई मशीन अब जवाब दे रहे हैं 

केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही हर घर नल योजना  का प्रचार बहुत जोर-शोर से किया जा रहा है।  प्रधानमन्त्री ने 15 अगस्त को लाल किला से अपने भाषण में इस बात का उल्लेख किया था कि सभी घरों में पानी की आपूर्ति के लिए नल कनेक्शन दिये जायेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय इलाके वाराणसी के राजातालाब के निवासी आज भी पानी की दिक्कतों को लेकर बेहद परेशान है। अभी ठण्ड के दिनों में इतनी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, तब गर्मी के दिनों में क्या स्थिति होगी इसकी कल्पना की जा सकती है।

सत्यनारायण कन्नोजिया,राजातालाब 

लापरवाही व विभाग की उदासीनता के चलते लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है। स्थानीय आराजीलाइन विकास खंड और तहसील मुख्यालय राजातालाब में बजट के अभाव में जल निगम ग्रामीण भिखारीपुर गाँव स्थित पेयजल पुनर्गठन योजनान्तर्गत ओवरहेड पानी टंकी दो साल से  नए निर्माण व पाइपलाइन शिफ्टिंग के कारण अधर में लटका है। सरकार का दावा है कि प्रत्येक परिवार को टोंटी से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। दो साल बाद भी पाइप लाइन शिफ्टिंग, नया ओवरहेड टैंक निर्माण के लिए बजट न मिलने से सरकार के दावों की पोल खुल रही है। इस क्षेत्र में लोग शुद्ध जल पीने के लिए दुकान से पानी खरीदते हैं।

राजातालाब की निवासी रुबीना और रुखसाना  ने बताया कि पानी की पिछले डेढ़-दो साल बेहद समस्या है, हमें बाहर से पानी  भरना पड़ता है। दूसरे लोगों के सबमर्सिब्ल पंप  से हम पानी भरते हैं। लेकिन उनकी सुविधा से ही हमें पानी लेना पड़ता है और बातें भी सुननी पड़ती है लेकिन मजबूरी है क्योंकि पानी के बिना कोई काम नहीं हो सकता।

राजातलाब के निवासी रुबीना और रुखसाना अपनी समस्या बताते हुए 

पानी के लिए दर दर भटक रहे ग्रामीण

वर्ष 1995 से शुरू भिखारीपुर ग्राम पंचायत स्थित पानी टंकी 27 साल पुरानी हो चुकी है जिसके कारण जलापूर्ति के दौरान पम्प व ट्यूबवेल आये दिन खराब हो  जाते हैं। विभागीय कर्मियों ने जांच की तो मालूम हुआ कि बोरिग व टंकी सहित पाइपलाइन खराब हो चुकी है। आठ साल पहले विभाग ने लाखों रुपये खर्च करके नया बोर कराकर दूसरा ट्यूबवेल लगा दिया। इसके बाद 2020 में हाईवे सिक्स लेन चौड़ीकरण में जलापूर्ति की पाइपलाइन भिखारीपुर, मेहदीगंज, कचनार गाँव में जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई और नई पाइपलाइन बिछाने का कार्य प्राधिकरण और निगम द्वारा अधूरा छोड़ दिया गया। हाईवे चौड़ीकरण के  करने वाली कम्पनी सामान समेट कर चले गए। दो साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को पानी टंकी से जलापूर्ति नहीं मिल हो पा रही है।

कचनार गांव के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता का कहना है कि जलापूर्ति न होने से मेहदीगंज, भिखारीपुर, कचनार, राजातालाब, रानी बाजार व परसुपुर गाँव के घरों में लगी टोटियाँ सूखी पड़ी हुई हैं। सार्वजनिक हैंडपंपों का पानी लगातार नीचे उतरता जा रहा है। सड़क किनारे, सार्वजनिक स्थलों पर लगे हैण्डपम्प के सूखने से राहगीरों को पीने का पानी तक नहीं मिल पाता है। निजी सबमर्सिबल पंप लगाए लोगों के यहां सुबह-शाम पानी भरने वालों की भीड़ लगती है। कहा कि गर्मी के मौसम में, पानी खरीदकर पीना पड़ता है। राजकुमार गुप्ता के सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत पर तत्कालीन डीएम ने संज्ञान लेते हुए विभाग को निर्देशित किया था।

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की ओर से जारी किया गया पत्र

बजट मिलते ही शुरू होगा काम

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076, जनसुनवाई व पीजी पोर्टल पोर्टल पर इस समस्या के समाधान हेतु मुख्यमंत्री योगी से सामाजिक कार्यकर्ता  विगत दो साल से अनुरोध कर रहे है। तात्कालीन जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा के निर्देश पर निगम के तात्कालीन अधिशासी अभियंता सुधीर कुमार सिंह व जूनियर इंजीनियर कुणाल गौतम ने रिपोर्ट में बताया कि क्षतिग्रस्त पाइपलाइन शिफ्टिंग और ओवरहेड टैंक नया निर्माण की आवश्यकता है, जिस बाबत पेयजल पुनर्गठन योजनान्तर्गत में सम्मिलित कर एलएण्डटी कम्पनी द्वारा स्वीकृति एवं धनाबंटन के लिए एसडब्लूएसएम को प्रेषित किया गया हैं। स्वीकृति एवं धनाबंटन के पश्चात उक्त कार्य करा दिया जाएगा। जैसे ही उक्त कार्य पूर्ण कराने के लिए धन मिलता है, काम शुरू किया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता को एस्टीमेट स्वीकृत होने की जानकारी नहीं मिली है। दो साल बीत गए हैं, लेकिन शुद्ध पेयजल की आपूर्ति आज तक बहाल नहीं हो सकी है। पूछने पर बताया गया कि बजट के अभाव में दो वर्ष से पेयजल पाइपलाइन शिफ्टिंग और ओवरहेड टैंक निर्माण का कार्य नहीं हो पा रहा है।

राजकुमार गुप्ता सामजिक कार्यकर्ता हैं।

गाँव के लोग
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