Thursday, November 21, 2024
Thursday, November 21, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलदेवरिया : खेत और ग्रामीण मजदूरों को वर्ष भर काम और गरिमामय...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

देवरिया : खेत और ग्रामीण मजदूरों को वर्ष भर काम और गरिमामय जीवन के लिए अखिल भारतीय खेग्रामस का धरना 

ग्रामीण मजदूर, किसान लगातार बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, जो काम उन्हें मिल रहा है, उसमें सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी भी हासिल नहीं हो रही है। अपनी मांगों को पूरा करने के लिए 23 सितंबर को सुबह 11:00 बजे तहसील मुख्यालय भाटपार रानी में खेग्रामस (अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा) द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

इधर दस वर्षों से लगातार दबे पिछड़े, गरीब और मजदूरों का शोषण, सरकार द्वारा लाई जा रही नीतियों और आर्थिक सुधार के माध्यम से देखने को मिल रहा है। कानूनों में संशोधन पूँजीपतियों के फायदे के लिए किए जा रहे हैं। आज से दो वर्ष पहले किसानों के तीन काले कृषि कानून लाए गए थे। जिसका पूरे किसान बिरादरी ने खुलकर विरोध करते हुए आंदोलन किया, जो लगभग डेढ़ वर्ष चल और अंतत: सरकार को झुकना पड़ा।

वास्तव में यह सरकार किसान व मजदूर विरोधी है। विकास का सारा काम जल,जंगल  और जमीन को नुकसान पहुंचाते हुए अदानी-अंबानी के लिए कर रही है।

गरीबी और काम न मिलने के वजह से बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। जिस वजह ग्रामीण मजदूर और किसान ‘दाम बांधो काम दो, वरना गददी  छोड़ दो! दाम बांधो  काम दो, काम का उचित दाम दो’ की मांग कर रहे हैं।

23 सितंबर 2024, समय 11:00 बजे दिन में तहसील मुख्यालय भाटपार रानी में मांगों को पूरी करने के लिए खेग्रामस (अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा) द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

2024 में जनता ने मोदी सरकार को हटाने के लिए जनादेश दिया है। वर्ष भर काम मिले, महंगाई से निजात मिले, संविधान प्रदत्त सम्मानपूर्वक जीवन की गारंटी हो इसके लिए गरीबों ने जनादेश दिया है। लेकिन जनादेश का अपहरण करते हुए बेईमानी करके गठजोड़ की भाजपा सरकार एक बार फिर अपने पुराने रीति-नीति को ही लागू कर रही है।

इस वर्ष पारित बजट में ग्रामीण मजदूरों के लिए मनरेगा में पहले से जारी बजट में कटौती की गई है, कर्ज से तबाह गरीब परिवार और किसानों को कोई राहत नहीं दी गई, जबकि बड़े-बड़े पूँजीपतियों के लाखों-करोड़ों के कर्ज न केवल माफ कर दिए गए बल्कि नए कर्ज देने का प्रावधान भी किया गया।

गरीबों के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर बजट घटाया गया जबकि विकास का ढिंढोरा पीटने के बाद हो आँकड़ें सामने आ रहे हैं, उसमें देखा गया कि कल कारखानों में (मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में) पहले से उत्पादन में 13 प्रतिशत की कमी आई है।

जो मजदूर कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं, उनमें से आज 100 में 45 लोग खेती किसानी में ही बेरोजगारी के दिन काटते हुए किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई ने गरीबों की कमर तोड़ दी है और बढ़ी हुई महंगाई के अनुपात में मजदूरी  में वृद्धि नहीं हुई है। लिहाजा गरीब और बेरोजगार युवाओं की  70% आबादी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों, स्वयं सहायता समूहो एवं सूदखोरों के कर्ज जाल में फँसी हुई है। आहूत से किसान भी इस कंपनियों के चपेट में आ गए हैं।

माइक्रो फाइनेंस कंपनियों में फंसे परिवार समेत आत्महत्या की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है।

एक तरफ केंद्र सरकार दलितों पिछड़ों के लिए जारी आरक्षण को और सीमित करते हुए संविधान की मूल प्रस्तावना के खिलाफ जाते हुए खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार नजूल भूमि संबंधी नये क़ानून के माध्यम से कई पीढ़ियों से बसे बसाए गरीबों को उजाड़ फेंकने की तैयारी कर रही है।

इन्हीं सबके चलते 2024 के जनादेश की दिशा में सबको एक साथ मिलकर संघर्ष को और तेज करने का रास्ता अपनाना होगा।

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) अनवरत लड़ाई को जारी रखे हुए है। सोमवार, 23 सितंबर को तहसील मुख्यालय भाटपार रानी और 1 अक्टूबर के दिन पंचायत भवनों पर होने वाले धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगे रखेंगे।

 इस धरना प्रदर्शन में अनेक मांगे रखी जाएंगी

1- सभी गरीबों को वर्ष भर काम और महंगाई के अनुरूप मजदूरी का प्रावधान रखा जाए।

2- मनरेगा में 200 दिन काम व ₹600 मजदूरी की व्यवस्था हो।

3- गरीबों को दिये गए  माइक्रो फाइनेंस कंपनियों, स्वयं सहायता समूहों के सभी कर्ज माफ किए जाएं।

4-  उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पारित नजूल भूमि संबंधी बिल वापस लिए जाएँ।

5- सभी गरीबों के बिजली बिल माफ किया जाए एवं 200 यूनिट तक बिजली के उपयोग फ्री हो।

6- बुलडोजर चलाने पर पूर्णतः रोक लगाई जाए।

7- गरीबों को बसने के लिए जमीन व आवास गारंटी किया  जाए।

8- राष्ट्रीय सहारा में जमा गरीबों के पैसे वादा के मुताबिक वापस किए जाए।

9 -राशन कार्ड का ई केवाईसी बंद किया जाए और सभी गरीब परिवारो का राशन कार्ड में नाम दर्ज कर राशन कार्ड जारी किए जाएं|

10- सभी ग्रामीण मजदूरों, वृद्धों, विधवाओं, दिव्यांगजनों को 5000 रुपए मासिक पेंशन की गारंटी प्रदान की जाए|

23 सितंबर 2024, समय 11:00 बजे दिन में तहसील मुख्यालय भाटपार रानी में मांगों को पूरी करने के लिए धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) / भाकपा-माले। उत्तर प्रदेश

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here