‘रनिंग स्टाफ’ में सवारी गाड़ियों और माल गाड़ियों के चालक व ‘गुड्स गार्ड’ आदि कर्मचारी आते हैं। नये निर्देश बोर्ड के विभिन्न पूर्ववर्ती दिशा-निर्देशों का एक संकलन है। इसका उद्देश्य जोन को परिचालन सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘रनिंग स्टाफ’ के कामकाजी और शेष घंटे का ध्यान रखने की याद दिलाना है।
हालांकि, चालकों के संघ (एसोसिएशन) इंडियन लोको रनिंगमेन आर्गेनाइजेशन (आईआरएलआरओ) ने आरोप लगाया कि इन निर्देशों में शर्तें जुड़ी हुई हैं, जो समुचित आराम करने के उनके अधिकार को छीनता है और काम के दौरान भोजनावकाश का भी प्रावधान नहीं है।
एसोसिएशन ने कहा कि बोर्ड के एक निर्देश में कहा गया है कि एक यात्रा के दौरान किसी चालक का अधिकतम कार्य घंटा 12 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
बोर्ड के निर्देश के अनुसार, “एक बार में रनिंग ड्यूटी सामान्यतः नौ घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसी ड्यूटी आगे भी बढ़ सकती है, बशर्ते रेलवे प्रशासन नौ घंटे की समाप्ति से पहले चालक दल को कम से कम दो घंटे का नोटिस दे…।’
इसमें कहा गया है, ‘यदि ट्रेन अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचती है, तो चालक बदलने का सामान्य स्थान या वह स्थान जहां उसके ड्यूटी समाप्त करने की व्यवस्था की गई है, जो 11 घंटे की कुल सीमा के भीतर है, और ऐसा स्थान लगभग एक घंटे की दूरी पर है, तब रनिंग स्टाफ को उस स्थान तक ड्यूटी करने की आवश्यकता होगी, बशर्ते कि उस यात्रा में 12 घंटे से अधिक की अवधि पार न हो।’ बोर्ड ने यह भी कहा कि भूकंप, दुर्घटनाएं, बाढ़, आंदोलन और उपकरण विफलता आदि जैसी परिचालन संबंधी आपात स्थितियों में, नियंत्रक को कर्मचारियों को उचित सलाह देनी चाहिए कि उन्हें काम के घंटे की निर्धारित सीमा से आगे ड्यूटी करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
आईआरएलआरओ के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि कामकाजी घंटों के दिशानिर्देशों में ‘आवश्यकता’ शब्द का उपयोग रेलवे के पक्ष में जाता है क्योंकि यात्रियों को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ले जाना अपने आप में एक ‘आवश्यकता’ है।
नयी दिल्ली (भाषा)। रेलवे बोर्ड ने चालकों और गार्ड सहित ‘रनिंग स्टाफ’ के ड्यूटी के घंटे के संबंध में बृहस्पतिवार को सभी ‘जोन’ को दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि ट्रेन चालकों के लिए अधिकतम कार्य अवधि 12 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए और यह गंभीर परिचालन जरूरतों पर निर्भर करेगा।