नई दिल्ली (भाषा)। त्योहार के पहले प्याज की कीमतें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्याज की रिटेल कीमतें 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। प्याज अपनी क्वालिटी के आधार पर 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। यहां तक कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की सहायक कंपनी मदर डेयरी ने भी अपने रिटेल दुकानों पर कीमतें बढ़ा दी हैं। प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत बढ़ने के बाद केंद्र ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए खुदरा बाजारों में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बफर स्टॉक से प्याज की बिक्री बढ़ाने का फैसला शुक्रवार को किया।
दूसरी तरफ, देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में इसका भाव 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि दाम और बढ़ सकते हैं। उपभोक्ता परेशान होने लगे हैं। चुनावी सीजन में प्याज के बढ़ते दाम ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि, इतिहास गवाह है कि प्याज की महंगाई से गिरे उपभोक्ताओं के आंसुओं के सैलाब में कई बार सरकार तक बदल गई हैं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, इसलिए प्याज का दाम बढ़ना और सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत शुक्रवार को बढ़कर 47 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 30 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को प्याज की खुदरा कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 30 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘हम अगस्त के मध्य से ‘बफर स्टॉक’ से प्याज दे रहे हैं और कीमतों में और वृद्धि को रोकने तथा उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए हम खुदरा बिक्री बढ़ा रहे हैं।’
मंत्रालय के अनुसार, जिन राज्यों में कीमतों में तेज वृद्धि हो रही है वहां थोक और खुदरा दोनों बाजारों में ‘बफर स्टॉक’ से प्याज दिया जा रहा है। अगस्त के मध्य से 22 राज्यों में विभिन्न स्थानों पर ‘बफर स्टॉक’ से करीब 1.7 लाख टन प्याज दिया गया।
खुदरा बाजारों में, ‘बफर स्टॉक’ के प्याज को दो सहकारी निकायों भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (एनएएफईडी) की दुकानों तथा वाहनों के जरिए 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचा जा रहा है। दिल्ली में भी ‘बफर स्टॉक’ का प्याज इसी रियायती दर पर बेचा जा रहा है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौसम संबंधी कारणों से खरीफ प्याज की बुआई में देरी के कारण कम फसल हुई और फसल की आवक में दरी हुई।
अधिकारी ने बताया कि ताजा खरीफ प्याज की आवक अब तक शुरू हो जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भंडारित रबी प्याज खत्म होने और खरीफ प्याज के आगमन में देरी के कारण आपूर्ति की स्थिति खराब है, जिसके परिणामस्वरूप थोक और खुदरा दोनों बाजारों में कीमतें बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने चालू वर्ष 2023-24 में प्याज के लिए ‘बफर स्टॉक’ को दोगुना किया है। इससे घरेलू उपलब्धता में सुधार होगा और आने वाले दिनों में बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एनसीसीएफ और एनएएफईडी के जरिए पांच लाख टन का ‘बफर स्टॉक’ बनाए रखा है और आने वाले दिनों में अतिरिक्त दो लाख टन प्याज खरीदने की योजना है।
थोक में इतनी हैं कीमतें
प्याज की कीमतें एक बार फिर बढ़ रही हैं, जिससे घरेलू खर्च बढ़ने और संभावित मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। 25 अक्टूबर तक के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि प्याज की अधिकतम रिटेल कीमत लगभग 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई है, और यह बढ़ोतरी दिसंबर तक जारी रहने की उम्मीद है जब खरीफ की फसल बाजार में आ जाएगी।
26 अक्टूबर तक प्याज की औसत थोक कीमत 3,112.6 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है, जो 1 अक्टूबर के 2,506.62 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक है। मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र में लासलगांव में थोक रेट पिछले दो हफ्तों में लगभग 60 प्रतिशत बढ़ गया है। देश के कई हिस्सों में प्याज 50 फीसदी तक बढ़ी है।