Sunday, May 19, 2024
होमTagsGaon Ke Log

TAG

Gaon Ke Log

भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक है अदालतों और चुनाव आयोग की ‘चुप्पी’

भारत में आए दिन धर्म की चर्चा बनी रहती है। कभी दशहरा, कभी दीपावली, कभी ईद, कभी बड़ा दिन तो कभी कुछ न कुछ...

सरकार के रहमोकरम की आस में बरसों से सड़क किनारे जीवन गुजार रहे शिल्पकार

वाराणसी। रोहनिया-कैंट मार्ग पर स्थित चाँदपुर चौराहे पर वाहनों के हॉर्न की आवाज़ के बीच खट-खट की मद्धिम-सी आवाज़ भी दिन-रात सुनाई देती है।...

कबीर और गांधी की विरासत को गाँव-गाँव पहुँचाती ढाई आखर प्रेम पदयात्रा

पटना। ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था के बिहार पड़ाव बापू के पदचिह्न का समापन 14 अक्टूबर को हो गया। प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय...

सागर जिले में पटवारी रिकॉर्ड पर जमीन दर्ज न होने से परेशान है दलित समुदाय

देश का हदय कहे जाने वाले सागर जिले को हरिसिंह गौर की नगरी भी कहते हैं। जिला व्यापक होने से कई वार्डों में बंटा है। यहाँ अंबेडकर वार्ड में करीब 400 परिवारों (दलित) सालों से बसे हैं। लेकिन इनकी जमीन पटवारी रिकॉर्ड में नहीं दर्ज है। जबकि, अपने-अपने जमीन की रजिस्ट्रियां लोगों के पास हैं। ऐसे में निवासी जमीन पर अपना अधिकार जताने में असमर्थ हैं।

सामाजिक न्याय का परमाणु बम है ‘जितनी आबादी उतना हक’

बिहार में जाति सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद भारत में एक सामाजिक परमाणु बम का विस्फोट हुआ है, जिसका नाम है जितनी आबादी-उतना...

शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ रहीं हैं गाँव की लड़कियाँ

मुजफ्फरपुर (बिहार)। जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा अर्जित करना सभी के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्त्री एवं...

जौनपुर में दलित छात्र की मौत, परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर लगाया आरोप

परिजनों ने प्रिंसिपल और स्कूल प्रबंधक के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत कहा- बुखार से पीड़ित मेरे बेटे को प्रिंसिपल ने धूप में खड़ा कराया  जौनपुर। जिले...

फासिस्म को पराजित करने के मंसूबे में मजबूती से खड़े होते इंडिया के सामने चुनौतियों का चकव्यूह

पिछले दो महीने में भारत की राजनीति में विपक्ष ने जिस तरह से न्यूनतम शर्तों या अभी तक के परिदृश्य में बिना शर्तों के,...

वाराणसी में दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या मामले में दख़ल ने जिलाधिकारी को सौंपा पत्र

वाराणसी। चार वर्षीय बच्ची के साथ यौन दुष्कर्म और हत्या मामले में न्याय वास्ते सामाजिक संगठन दख़ल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की...

पर्याप्त कर्मचारियों के अभाव में हाँफती भदोही की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था

भदोही। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में छिटपुट बारिश और गर्मी के चलते संचारी (संक्रामक) रोगों का प्रकोप तेजी से फैला हुआ है। लोग-बाग...

इंडिया बनाम भारत या इंडिया जो भारत है?

पिछले नौ सालों से भाजपा हमारे देश पर शासन कर रही है। विपक्षी पार्टियों को धीरे-धीरे यह समझ में आया कि भाजपा सरकार न...

सरकारी उपेक्षा का शिकार, पांच साल से पुनर्निर्माण की राह देख रहा है अनुसूचित जाति-जनजाति बालक छात्रावास

पिछले 50 वर्षों से न जाने कितने छात्रों ने इस छात्रावास में पढ़कर अपने सपने पूरे किए, इसी हॉस्टल से पढ़कर डॉक्टर-मास्टर-इंजीनियर-पीसीएस बने। आज यह छात्रावास अपनी जर्जर अवस्था पर आंसू बहा रहा है।

मीरजापुर- सरकारी विज्ञापन में बेमिसाल पर सच्चाई में बदहाल

मीरजापुर। विकास के तमाम दावों के बीच मीरजापुर की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी परेशान है। ऊबड़-खाबड़ सड़क, बजबजाती नालियां, जल निकासी...

आधार कार्ड नहीं होने से वंचित रह जाते हैं सरकारी योजनाओं के लाभ से, बच्चों को नहीं मिलता स्कूल में दाखिला

बिना आधार कार्ड के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी जांच और गंभीर स्थिति में भर्ती करने जैसी ज़रुरी प्रक्रिया से इन्कार कर दिया जाता है। देश में ऐसे कई केस सामने आये हैं जब गर्भवती महिला का आधारकार्ड न होने की स्थिति में भर्ती करने से मना कर दिया गया और महिला ने अस्पताल के बाहर खुले में बच्चे को जन्म दिया। आखिर ऐसी आधार(UIDAI ) व्यवस्था किस काम की जो ग़रीब बच्चे को शिक्षा और किसी मरीज को इलाज देने में बाधक बने।

असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर, पांच लाख से ज्यादा लोग प्रभावित

भारी बारिश और बाढ़ के कारण असम के 22 जिलों में पांच लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। इस बाढ़ के कारण आधिकारिक रूप...

सामाजिक सरोकार के झंझावात में उलझीं विधवा स्त्रियाँ

पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था में औरत का अस्तित्व उसके पति के कारण है। उसका मान-सम्मान, इज्जत, सजना-संवरना, समाज में उसकी हैसियत सभी कुछ पति से...

बिन बिजली सब सून, छोटे उद्यमी और किसान ‘कटौती’ से परेशान

प्रयागराज। प्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती चल रही है। नहरें सूखी पड़ी हैं। डीजल 90 रुपये लीटर बिक रहा है। बिजाई (नर्सरी) डालने...

साफ्ट से हार्ड होने के क्या होंगे सियासी मायने, 80 हराने के सपने के साथ चल पड़े हैं अखिलेश यादव

लोक जागरण यात्रा के माध्यम से सामाजिक न्याय का नायक बनने की राह पर बढ़ते अखिलेश यादव क्या कर सकेंगे 2024 में कोई उलटफेर अखिलेश...

इलाज के दौरान युवक की मौत, पुलिस पर लीपापोती का आरोप

बलिया। दबंगों की पिटाई से घायल सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के लखनापार निवासी देवनारायण राजभर उर्फ़ देवा (17) की शुक्रवार शाम वाराणसी में इलाज के...

पर्यावरण संरक्षण और कचरा प्रबंधन कर बने ज़िम्मेदार नागरिक

जिसे हम खराब कहकर अपदस्थ कर देते हैं, वह कचरा नहीं है। फेंकी जाने वाली हर चीज का मूल्य होता है। फलों और सब्जियों के छिलके जो हम फेंक देते हैं, उन्हें पेड़-पौधों के उपयोग में आने वाली बेशकीमती खाद के रूप में बदला जा सकता है। इन छिलकों को अगर हम घर के एक गमले में मिट्टी की तहों से दबाकर रखें तो तीन से चार सप्ताह के अंदर यह तथाकथित कचरा बेशकीमती खाद बन जाता है जो पूरी तरह ऑर्गेनिक और पेड़ पौधों के लिए प्राणदायक है।

ताज़ा ख़बरें