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नांदेड़ : राजनीति और शासन जाति की सड़ांध से प्रेमियों को नहीं बचा सकते
इस कहानी का सबसे बुरा हिस्सा यह है कि सक्षम और आंचल के रिश्ते के बारे में परिवार में सभी जानते थे और उन्होंने उनके रिश्ते को स्वीकार करने का नाटक किया, लेकिन यह परिवार की एक चाल थी और आखिरी दिन उन्होंने सक्षम की हत्या कर दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, आंचल ने अपना विरोध दिखाया और सक्षम की लाश से शादी कर ली। 'सिंदूर' लगाया और मांग की कि उसके माता-पिता और भाइयों को फांसी दी जाए।
आरएसएस के संविधान विरोध पर गूगल का नज़रिया
यह सच है कि 26 नवम्बर, 1949 को संविधान राष्ट्र को सौंपे जाने के दिन से ही आरएसएस इसका विरोधी रहा है। हालांकि तमाम लोगों की भांति मुझे भी मालूम था कि डॉ. आंबेडकर द्वारा तैयार भारतीय संविधान मनुस्मृति पर आधारित न होने के कारण ही संघ इसका विरोधी रहा है, लेकिन यह लेख शुरू करने से पहले यह जानने का कौतूहल हुआ कि गूगल इस पर क्या राय देता है? मैंने गूगल से सवाल किया कि संघ भारतीय संविधान का क्यों विरोधी रहा है, तो जो जवाब मिला, वह वही था जो हम जानते हैं। आइये जानते हैं गूगल का जवाब-
बहुजनों के लिए बहुत बुरा साबित हुआ है यह अक्तूबर
आज 2025 का अक्तूबर का आखिरी दिन है। यह माह कई कारणों से बहुजनों के लिए दु:स्वप्न बना रहा। इसी माह की दो तारीख को 1925 में स्थापित आरएसएस ने सौ साल पूरे होने का जश्न मनाया। इसी माह में छः तारीख को देश के राजनीति की दिशा तय करने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई। लेकिन संघ के सौ साल पूरे होने व बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के अतिरिक्त जिस एक अन्य कारण से इस बार का अक्टूबर दु:स्वप्न बना, वह है संघ के सौ साल पूरा होने के बाद से उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित मध्य प्रदेश, हरियाणा में दलित–बहुजनों के खिलाफ शुरू हुआ अपमान, भेदभाव और उत्पीड़न से लेकर आत्महत्या की घटनाओं का सिलसिला, जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। अक्तूबर 2025 के आकलन का यह मौलिक तरीका निस्संदेह एक महत्वपूर्ण पद्धति है।
जस्टिस गवई को ‘भीमटा’ की गाली सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक सरोकारों के सिमटते जाने का संकेत है
भारत की सड़ी हुई राजनीति और मनुवादी मानसिकता का असली चेहरा तब सामने आता है जब दलित समाज से आया व्यक्ति सत्ता, न्याय या प्रतिष्ठा की ऊँचाई पर पहुँच देश का मुख्य न्यायाधीश बनता हैऔर मनुवादी उसे सहज स्वीकार नहीं करते। इधर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई को सोशल मीडिया पर 'भीमटा' कहकर अपमानित किया गया। यह केवल एक गाली नहीं है। यह उस आंबेडकरवादी विचारधारा पर हमला है जिसने मनुवाद की नींव हिलाई थी। यह संविधान और लोकतंत्र को नीचा दिखाने की कोशिश है।
घरेलू हिंसा की पीड़िता की मदद करने वाली पुणे की दलित महिलाओं को धंधेवाली कहकर थाने में किया गया प्रताड़ित
पुणे में घरेलू हिंसा की शिकार एक युवती ने अपने बचाव के लिए एक सामाजिक संस्था से संपर्क किया जिसकी कार्यकर्ता ने अपनी एक वकील मित्र से उस युवती को कोथरूड में रहनेवाली कुछ कामकाजी महिलाओं के साथ साथ रहने का बंदोबस्त कर दिया। एक पुलिसकर्मी के परिवार की बहू उस युवती के ससुर ने पता लगाकर उन महिलाओं को न केवल जातिसूचक गालियाँ दी बल्कि उनके साथ मारपीट की और अपनी पहुँच की बल पर उन्हें थाने ले गया, जहाँ उन्हें अश्लील गालियाँ देते हुए देह व्यापार करनेवाली कहा गया। गौरतलब है कि पीड़ित महिलाएं दलित समुदाय से आती हैं। थाणे में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस मामले ने दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भंडारा की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक अध्येता मिनल शेंडे की टिप्पणी।
कुम्हार समाज पर अत्याचार के खिलाफ राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन
लखनऊ स्थित जिला कारागार में कुम्हार समुदाय के विचाराधीन कैदी रुपेश कुमार प्रजापति की हत्या और हमीरपुर में मिट्टी निकालने गए कुम्हार समुदाय की...
छात्रों से किये वादे से मुकरा बीएचयू प्रशासन
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी दौरा के अगले ही दिन मंगलवार यानी 26/10/2021 निम्नलिखित मांगों को लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र एकत्रित...
रामचरितमानस में स्त्रियों की कलंकगाथा (भाग –2)
दुनिया का कोई भी सभ्य समाज अपनी स्त्रियों को कलंकित करने के इतने कठोर प्रतिबन्ध की कल्पना मात्र से ही सिहर जायेगा। और मज़ा देखिये कि दो अतिकुलीन महिलाएँ ही महिलाओं के लिये इन वर्जनाओं की पैरोकारी कर रही हैं। यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि अनसूया अत्रि ऋषि की पत्नी हैं। यदि उनके द्वारा दिए गये उपदेश को ऋषि परम्परा की शिक्षा का प्रतिनिधि आधार कहा जाये तो निश्चित रूप से इसी निष्कर्ष पर पहुँचना पड़ेगा कि इन आश्रमों में जिस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था थी, उसमें स्त्रियाँ अपने कलंक को दैवीय वरदान मानकर गौरवान्वित होती थीं।
तमाम दावों के बीच स्त्रियों के सामने बढ़ती हुई चुनौतियाँ
भारतीय संस्कृति में स्त्रियों के गौरव के लिए कहा गया है, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः। अर्थात् जहाँ...
पीएस-4 ने पीएम मोदी के कार्यक्रम के विरोध में मनाया काला दिवस
25 अक्टूबर को वाराणसी प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) ने मेंहदीगंज में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा का विरोध करते हुए आज...
सरकार जनता से डरी हुई है इसलिए आंदोलनों को बेरहमी से कुचल देना चाहती है
बनारस में जातिगत जनगणना और किसान आन्दोलन जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक चिंतक प्रेम प्रकाश सिंह यादव बहुत दिनों से...

