उन्होंने इस मामले में मोदी से निजी हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय दशकीय जनगणना के साथ जाति आधारित गणना को एकीकृत करने से समाज की जातीय संरचना और सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में इसके असर के संबंध में समग्र और विश्वसनीय आंकड़े मिल सकते हैं।
स्टालिन ने कहा, ‘यह साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को सक्षम बनाएगा, जिससे हम सभी को समान और समावेशी विकास सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इस कार्य (जाति आधारित गणना) को दशकीय जनगणना के साथ-साथ करने से न केवल देश भर में आंकड़ों की तुलना करना सुनिश्चित होगा, बल्कि इससे संसाधनों का भीबेहतर उपयोग होगा।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने शुक्रवार को लिखे पत्र में कहा, ‘इसलिए, केंद्र सरकार को एक व्यापक, राष्ट्रव्यापी जातीय गणना की तुरंत योजना बनानी चाहिए और इसकी तैयारी शुरू करनी चाहिए।’
वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण नहीं की जा सकी थी।
स्टालिन ने कहा कि जाति-संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े करोड़ों पात्र लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे और इसलिए जनगणना में और देरी नहीं की जानी चाहिए।
बिहार जैसी कुछ राज्य सरकारों ने सफलतापूर्वक जाति-आधारित गणना की हैं, जबकि अन्य राज्यों ने इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कदम उठाने की घोषणा की है। बिहार की जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद पूरे देश में जाति गणना की मांग शुरू हो चुकी है। विपक्ष की तमाम राजनीतिक पार्टियां आगामी लोक सभा चुनाव में जाति जनगणना को ही अपना मुख्य एजेंडा बनाती दिख रही हैं। मण्डल आयोग की सिफ़ारिशे लागू होने के बाद भारत की राजनीति में जाती जनगणना की यह मांग उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी पूरे देश में जाती जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा जाति जनगणना के मामले पर चुप्पी साधे हुये है। बिहार में जातीय आकड़े जारी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर नकारात्मक टिप्पणी करते हुये इसे बिभाजन कारी सोच बताया था और उन्होंने कहा था की मई सिर्फ दो जातियाँ ही जानता हूँ एक अमीर और दूसरी गरीब। पर विपक्ष का कहना है की अब देश में हिस्सेदारी के अनुरूप भागीदारी की बात तय की जानी चाहिए।
अब स्टालिन ने भी पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से यह मांग उठाकर इस मुद्दे को और भी ज्यादा ताकतवर कलेवर दे दिया है। स्टालिन, तमिलनाडु के मंदिरों में पुजारी के तौर पर गैर ब्राह्मण जातियों को जगह देकर पहले ही एक क्रांतिकारी कदम उठा चुके हैं। उनका कहना है कि जाति भारत में सामाजिक प्रगति की संभावनाओं का ऐतिहासिक रूप से प्रमुख निर्धारक रही है, इसलिए यह जरूरी है कि इस संबंधी तथ्यात्मक आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाएं।
उन्होंने कहा कि इसी की मदद से विभिन्न हितधारक एवं नीति निर्माता पुराने कार्यक्रमों के प्रभाव का विश्लेषण कर सकेंगे और भविष्य के लिए योजना और नीति बना सकेंगे।