सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को इलेक्टोराल बॉण्ड से जुड़े यूनिक अल्फा न्यूमेरिक नंबर नहीं बताने के लिए नोटिस जारी किया है।
न्यायालय ने कहा, राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त चुनावी बॉण्ड की विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या (यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर) का खुलासा करना चाहिए था। न्यायालय ने इस संबंध में बैंक से जवाब मांगा।
यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर के माध्यम से ही किस कंपनी या व्यक्ति ने किस दल को कितनी रकम चुनावी चंदे के रूप में दिया है इसका मिलान किया जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने निर्वाचन आयोग की उस अर्जी पर सुनवाई की जिसमें चुनावी बॉण्ड मामले में न्यायालय के 11 मार्च के आदेश के एक हिस्से में संशोधन का अनुरोध किया गया है।
सुनवाई के दौरान एसबीआई के अदालत में मौजूद न होने और अधूरा डेटा देने पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने नजाजगी जताते हुए कहा, ‘हमने इलेक्टोराल बॉण्ड से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कहा था। इनमें बॉण्ड के खरीददार, बॉण्ड की रकम और खरीदने की तारीख शामिल है। बॉण्ड के सीरियल नंबर को आपने नहीं बताया। हमने अपने फैसले में सभी जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कहा था। अदालत में यदि सुनवाई चल रही है तो एसबीआई को यहाँ मौजूद होना था।‘
SBI ने इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जो जानकरी दी उसमें बॉण्ड नम्बर छुपा लिया।
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न्यायालय ने अपने पंजीयक (न्यायिक) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निर्वाचन आयोग द्वारा सीलबंद कवर में सौंपे गए आंकड़ों को स्कैन किया जाए और उन्हें डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराया जाए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के इन अभ्यावेदनों पर गौर किया कि एसबीआई ने चुनावी बॉण्ड की विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या का खुलासा नहीं किया है।
पीठ ने बैंक को नोटिस जारी किया और मामले में आगे की सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि तय की।
निर्वाचन आयोग ने अपनी अर्जी में कहा कि न्यायालय के 11 मार्च के आदेश में कहा गया था कि सुनवाई के दौरान सीलबंद लिफाफे में उसके द्वारा शीर्ष अदालत को सौंपे गए दस्तावेजों की प्रतियां आयोग के कार्यालय में रखी जाएं लेकिन उसने अपने पास दस्तावेजों की कोई प्रति नहीं रखी है।
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