न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और देवदत्त कामत ने कहा कि वे जेल में हैं और याचिकाओं पर जल्दी सुनवाई की जाए। इसके बाद ही पीठ ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और 30 अक्टूबर तक जवाब मांगा। सिब्बल ने 16 अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश यानी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया था, जिसके बाद ही उच्चतम न्यायालय मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमत हुआ था।
सीजेआई ने सिब्बल से मामले के कागजात पेश करने को कहा था और यह भी कहा था कि वह मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर फैसला लेंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 अक्टूबर को इस मामले में गिरफ्तारी और पुलिस रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। बाद में उन्होंने गिरफ्तारी और सात दिन की पुलिस हिरासत के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और अंतरिम राहत के तौर पर तत्काल रिहाई की मांग की।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि गिरफ्तारी के संबंध में कानूनी या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन या कोई ‘प्रक्रियात्मक खामी’ नहीं है और हिरासत में भेजने का आदेश कानून सम्मत है। निचली अदालत ने 10 अक्टूबर को उन्हें दस दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
उनके खिलाफ प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि भारत की ‘संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने’ और देश में असंतोष पैदा करने के लिए समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक को चीन से बड़ी राशि मिली थी।
इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने के लिए पुरकायस्थ ने पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज़्म (पीएडीएस) समूह के साथ मिलकर साजिश रची थी।
जानकारी के लिए बता दें कि न्यूजक्लिक के खिलाफ विदेशी फंडिंग का मामला दर्ज हुआ है। स्पेशल सेल से पहले ईडी भी छापेमारी की कार्रवाई कर चुकी है। ईडी ने जानकारी दी थी कि न्यूजक्लिक को विदेशों से लगभग 38 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी। जिसके बाद भाजपा ने आरोप लगाया था कि साल 2005 से 2014 के बीच कांग्रेस को भी चीन से बहुत सारा पैसा मिला। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया था कि यह पोर्टल चीन का साथ देकर भारत में माहौल खराब कर रहा है। इतना ही नहीं द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि यह पैसा कुछ जर्नलिस्टों में शेयर हुआ था।
इस मीडिया पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए होईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2021 को एक आदेश पारित कर कहा था कि प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी कहा था कि जांच अधिकारी द्वारा आवश्यकता पड़ने पर उन्हें जांच में सहयोग करना होगा। जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने मामले में पुरकायस्थ से जवाब मांगा था।
नई दिल्ली (भाषा)। न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत यह कार्यवाही की है। बता दें, दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी एवं रिमांड को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों सुप्रीम कोर्ट पहुँचे।