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ग्राउंड रिपोर्ट

आजमगढ़ में किसान नेता की धान की खड़ी फसल तबाह कर लेखपाल व थानाधायक्ष ने किया अवैध तरीके से निर्माण

इस सरकार ने सबसे ज्यादा जिसे नुकसान पहुंचाया है तो वह है किसान। देश का किसान लगातार सड़कों पर उतर कर अपने अधिकार की लड़ाई के लिए आंदोलनरत है। उसे रोज नई मुसीबतों से जूझना पड़ रहा है। सरकार भले ही खुद को किसानों का हितैषी माने लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

 आजमगढ़ के पवई में 6 जुलाई 2024 को पूर्वांचल के किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव ने बताय कि उनके खेतों में थानाध्यक्ष पवई, कानूनगो नंदलाल और लेखपाल धर्मेंद्र द्वारा एसडीएम फूलपुर के स्थगन आदेश के बावजूद दबंगई से अवैध निर्माण कराया जा रहा है।

यह जानकारी देते हुए किसान नेता वीरेंद्र यादव ने बताया कि खेत में धान की खड़ी फसल को तबाह कर निर्माण हो रहा है। लेखपाल धर्मेंद्र और कानूनगो नंदलाल द्वारा हमको बगैर कोई सूचना दिए हमारे खेत में दबंगों की शह पर पत्थर गाड़ दिया गया। जिसकी शिकायत एसडीएम फूलपुर से किया तो उन्होंने तत्काल हो रहे अवैध निर्माण कार्य को रोकने का लिखित आदेश दिया। जिसकी कापी एसडीएम कार्यालय द्वारा भेजने के बावजूद निर्माण कार्य को नहीं रोका गया।

जब निर्माण कार्य रोकने के एसडीएम फूलपुर के आदेश के संदर्भ में थानाध्यक्ष पवई अनिल सिंह से बात की गई तब उन्होंने कहा कि हम किसी अधिकारी का आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं हैं और धमकाते हुए कहा कि तुमको जेल भेज दिया जाएगा।

किसान नेता ने धान की खड़ी फसल को तबाह करके अवैध तरीके से निर्माण की सूचना उच्च अधिकारियों को भी दी।

किसान के विरोध में यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि यह सरकार 2014 के बाद से लगातार किसान विरोधी काम कर रही है। आजमगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के लिए मंदुरी गाँव के किसानों की  610 एकड़ जमीन ले विस्थापित करना। बनारस में मिल्कोपुर की चक की हुई 80 एकड़ जमीन को बंजर घोषित कर देना। मोहनसराय में किसानों को विस्थापित कर नाममात्र का मुआवजा देना। इसी तरह को किसानों के लिए तीन काले कृषि कानून लागू कर दिया गया, जिसे किसानों के लंबे आंदोलन के बाद वापस लिया गया। यह सरकार देश में चल रहे किसान आंदोलन के खिलाफ रहते हुए उन पर कठोर कार्यवाही से भी पीछे नहीं हटी।

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