आज जबकि देश का माहौल राममय बनाने की घोषणा सामने आ चुकी है, विपक्ष के सामने एक ही रास्ता है कि वह राममय के समानांतर देश का माहौल सामाजिक न्यायमय बनाने का अभियान छेड़े। किन्तु भारी अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि सामाजिक न्यायमय माहौल बनाने में एमके स्टालिन और राहुल गाँधी को छोड़कर इंडिया गठबंधन से जुड़े अन्य दलों और नेताओं में खास आन्तरिकता नहीं दिख रही है।
संयोगवश, विपक्षी दलों के एक साथ आकर I.N.D.I.A. (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव एलायंस) बनाने के बाद, सत्तारूढ़ भाजपा आधिकारिक विज्ञप्तियों में 'इंडिया' शब्द के...
वर्तमान सरकार ने संविधान के नए संस्करण में से समाजवाद और सेक्युलरिज्म शब्दों को हटाकर नई संसद में पहले ही दिन और पहले ही अधिवेशन में अपने इरादे को स्पष्ट कर दिया है। वैसे भी इस दल की स्थापना के मूल में सवर्णों का हित सर्वोपरि है, लेकिन धीरे-धीरे संसदीय राजनीति के तकाजे को देखते हुए सतही तौर पर ही सही महिलाओं से लेकर पिछड़ी जातियों के लोगों को भी शामिल किया गया।
संसद से यह सवाल भी किया जाना चाहिए कि क्या आरक्षण के भीतर भी आरक्षण की स्थिति साफ की जाएगी या फिर सिर्फ आरक्षण महज विशिष्ट वर्ग की महिलाओं तक ही सीमित रहेगा? यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आरक्षण के जिस विधेयक को अब मंजूरी मिली है वह पिछले 27 साल से राजनीतिक गतिरोध का शिकार होता रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि आए दिन पेपर निरस्त होते हैं, तो प्रदेश सरकार किन बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का दावा करती है। इन दावों के बावजूद, देश की बेरोजगारी दर 7.95 क्यों है? वहीं, आज के युवा पीएचडी व एमबीए करके भी फोर्थ क्लास की नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में योगी सरकार का छह साल में छह लाख लोगों को नौकरी देने का दावा न विपक्ष को हज़म हो रहा है और न ही प्रदेश के युवाओं के गले से नीचे उतर रहा है, जो बीते कई सालों से नौकरी के लिए लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक प्रदर्शन करते रहे हैं और कई बार पुलिस की लाठियों का शिकार भी बने हैं।
सेवा में,
थानाध्यक्ष
थाना अतरौली, जिला हरदोई
दिनांकः 6 सितम्बर, 2023
विषयः गौढ़ी गौ-आश्रय स्थल पर 7 अगस्त एवं अन्य गौशालाओं/गौ-आश्रय स्थलों पर मरने वाले गोवंश के लिए...
उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की सामाजिक विषमताओं को अन्यायपूर्ण गैर बराबरी वाली सोच से भरा मानते हुये कहा कि अब यह स्थिति आ गई है कि हमें केवल सनातन धर्म की अन्यायपूर्ण व्यवस्था का विरोध नहीं करना है बल्कि इसे समूल मिटाना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता है।