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नन्द प्रसाद यादव : दृष्टिबाधित होने के बावजूद हार नहीं माना

राकेश सन 1996 में पढ़ने के लिए राजकीय जुबिली इन्टर कॉलेज में पढ़ने गए। वहाँ उन्हें दृष्टिबाधित अध्यापक नन्द प्रसाद यादव (एम. ए., एलएल.बी.) जी से मिलना हुआ। वे राजनीतिशास्त्र-नागरिकशास्त्र के प्रवक्ता थे और हाईस्कूल तक की कक्षाओं में हिन्दी साहित्य का काव्य संकलन पढ़ाते थे। उन्हें काव्य संकलन में संकलित सभी कवियों की कविताएं याद थीं और बड़े मनोयोग से वे अपने छात्रों को पढ़ाते थे।

हत्या के 28 साल बाद ‘इंसाफ’ में मृतक के परिजन सहित 40 लोगों को जेल

उत्तर प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा जब अट्ठाईस साल पुराने मामले में एक साथ 40 लोगों को सजा सुनाई गई...

देवरिया: हत्या के 28 साल बाद थोक में ‘इंसाफ’, मृतक के परिजन सहित 40 लोगों को जेल

उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर स्थित एक गाँव बलुअन में 28 साल पहले हुई एक घटना के सिलसिले में 16 फरवरी को फैसला आया जिसमें 41 लोगों को दस-दस वर्ष कारावास की सज़ा हुई है। एक साथ इतने लोगों को सज़ा दिये जाने को लेकर जिले में तरह-तरह की चर्चा है। ज़्यादातर लोग इसे गलत और एकतरफा फैसला बता रहे हैं।

देवरिया में सपा अध्यक्ष ने पीड़ितों के घर जाकर व्यक्त की संवेदना

देवरिया (उप्र)(भाषा)।  समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने देवरिया जिले के रुद्रपुर क्षेत्र स्थित फतेहपुर में...

देवरिया में संपर्क मार्ग को लेकर शुरू हुये संघर्ष में छः लोगों की हत्या

भूमि विवाद को लेकर लंबे समय से चली आ रही इस शत्रुता में सबसे पहले जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी और उसके बाद प्रतिद्वंद्वी गुट के सत्य प्रकाश दुबे की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी। अन्य मृतकों में दो बच्चे, एक महिला और एक पुरुष शामिल हैं। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए इलाके में पुलिस टीमें और अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं।

एक धूसरित होता शहर बरहज

बाबा राघवदास बेशक साधु थे लेकिन उनका दिल समाज के लिए धड़कता था। समाज के दुखों को दूर करने के लिए उन्होंने बहुत काम किए। खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान बेमिसाल है। उन्होंने लगभग डेढ़ सौ संस्थाएं बनाई थी और उसके प्रमुख रहे लेकिन बाद में उन्होंने सबसे इस्तीफा दे दिया और मात्र कुछ में ही शामिल रहे। बरहज में भी अब केवल पाँच-छः संस्थाएं ही बच रही हैं जो इन शिक्षण संस्थाओं का प्रबंधन कर रही हैं।

मेरा प्रयास था कि बदलाव मौलिक हो और ऊपर से थोपा हुआ न हो

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और चिंतक विद्या भूषण रावत का जीवन विविध अनुभवों का खज़ाना है। उन्होंने समाज के हाशिये पर रहनेवाले लोगों के...

निजी दुखों को सामाजिक संघर्ष में बदलते हुए संगीता कुशवाहा लिख रही हैं नई इबारत

मूलरूप से कुशीनगर की रहनेवाली संगीता कुशवाहा अब देवरिया जिले के मलवाबर गाँव की एक अपरिहार्य उपस्थिति हैं। मुसहर टोली के नजदीक और खनवा...

कुछ उजाले कुछ अंधेरे आग फिर भी शेष है

मस्ती में झूमते-गाते ये लोग देवरिया जिले के आखिरी गाँव मल्वाबर के मुसहर समुदाय से हैं। मुसहर शब्द सुनते ही हमारे सामने ऐसे लोगों...

बुद्ध की ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए पूरा जीवन लगा देने वाले एक इतिहासकार

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित कुशीनगर आज दुनिया भर के बौद्ध लोगों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। बौद्धकाल में कुशीनगर को...

नदियों के बहने से ही जीवन का प्रवाह अविराम होगा !

देवरिया जनपद में बिहार राज्य की सीमा पर स्थित ‘स्याही नदी’ अपने नाम और वर्तमान स्थिति के कारण एक अनोखी नदी है। सन1916-17 में अंग्रेजों के जमाने में की गयी चकबंदी में बीस किमी लम्बाई में लगभग 300 मीटर चौड़ाई वाली महानदी स्याही के समस्त प्रवाह क्षेत्र को एक राजस्व ग्राम ‘मोहाल स्याही नदी’ के रूप में दर्ज कर उसके भीतर किसानों के कृषि कार्य हेतु चक आवंटन करना आश्चर्यचकित करने वाली घटना है।

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