Tuesday, July 1, 2025
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पहलगाम त्रासदी पर विदेश में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पहुंचकर क्या संदेश दिया?

पहलगाम की नृशंस घटना की निंदा करने के लिए हिंदू-मुसलमान दोनों एक साथ आए। इसके बाद भी मुसलमानों के खिलाफ लगातार नफरत फैलाई जा रही है। इस त्रासदी के बाद मुसलमानों के खिलाफ निर्मित नफरत चरम पर है। पहलगाम त्रासदी पर हुई कार्रवाई के बाद देश के प्रधानमंत्री ने विदेश में विभिन्न प्रतिनिधिमंडल भेजकर इस त्रासदी का भारतीय पक्ष बताने का फैसला किया। प्रधानमंत्री को यह क्यों जरूरी लगा? क्या प्रधानमंत्री अपने द्वारा उठाए गए कदम का स्पष्टीकरण देते हुए विदेशी नेताओं की शाबासी लेने के इच्छुक थे?

भाजपा की आगामी इतिहास परियोजना : तुगलक.. तुगलक.. तुगलक.. तुगलक….

जिस पार्टी के पास आम जनता के असली मुद्दों से टकराने का साहस नहीं होता, वह ऐसे ही मुद्दों पर सुर्खियां बटोरने के काम में लगी रहती है, चाहे उसके परिणाम देश के लिए कितने ही खतरनाक क्यों न हो! औरंगजेब के बाद अकबर, बाबर और अब तुगलक को निशाने पर साधा है, क्योंकि संघ की स्थापना हिंदुत्व और सांप्रदायिकता को आगे बढ़ाने के लिए हुई थी, इसमें अब इनका राजनैतिक दल भाजपा बढ़ चढ़कर काम कर इतिहास बदलने का काम कर रहा है।

देश में इतनी नफरत फैल चुकी है जितनी संघी नेताओं ने भी शायद ही सोचा हो

आरएसएस लगातार दोहरी नीति पर काम एक तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री बयान देते फिरते हैं कि देश में सभी समुदाय के लोग सुरक्षित हैं, वहीं उनके पोषित लोग अल्पसंख्यकों पर लगातार हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अभी क्रिसमस के मौके पर दिए संदेश में भगवान ईसा मसीह की शिक्षाओं पर अमल करने की बात कही, वहीं दूसरी तरफ लखनऊ मे चर्च के बाहर भक्तों ने गदर मचाया। अहमदाबाद में सांता क्लॉज की पोशाक पहने व्यक्ति की भक्तनुमा व्यक्ति ने पिटाई कर दी। यह मात्र एक या दो घटनाएं है। लेकिन पूरे देश में ऐसी सैकड़ों घटनाएं लगातार हो रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर नफरत इतनी व्यापक क्यों है?

डॉग व्हिसल के माध्यम से अल्पसंख्यकों पर निशाना साधते भाजपा नेता

वर्ष 2014 के बाद  अल्पसंख्यकों को लेकर देश की कुर्सी संभालने वाले जिस तरह की भाषा का प्रयोग लगातार कर  नफरत फैला रहे हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि ध्रुवीकरण की राजनीति तेज हुई और जिसका सीधा असर मतदान पैटर्न  पर दिखाई दिया। सामाजिक धारणायें भी इससे अछूती नहीं रहीं। आज हर हिंदू परिवारों के हजारों व्हाट्सएप ग्रुप और ड्राइंग रूम चैट में मुसलमानों को गुनहगार बनाकर नफरत फैलाई जा रही है। लेकिन इस विभाजनकारी भावना से कैसे निपटा जाए? लोगों के बीच वैकल्पिक आख्यान को विकसित करने की आवश्यकता है

इश्क के खिलाफ उठी नफ़रत की चिंगारी कहीं सोनीपत को साम्प्रदायिकता की आग में ना जला दे  

सोनीपत (हरियाणा)। चुनाव करीब हैं और भाजपा के लिए चुनावी ध्रुवीकरण का सबसे बड़ा हथियार दंगा है। जिस तरह से बजरंग दल और आरएसएस...

आज़ाद भारत से भूमंडलीकरण तक हर बदलाव चंद्रकिशोर जायसवाल के लेखन में दिखता है-2

दूसरा और अंतिम भाग सांप्रदायिक दंगों की विभीषिका पर केन्द्रित चन्द्रकिशोर जायसवाल के उपन्यास शीर्षक में भी सामाजिक मूल्यों में आ रहे परिवर्तनों और...

अपना ही दुश्मन है ओबीसी (डायरी, 15 दिसंबर 2021)

अच्छे शासक की परिभाषा क्या हो सकती है? यही सोच रहा हूं बीते दो दिनों से। ऐसा सोचने के पीछे की वजह यह कि...

सभी जाति धर्म की स्त्रियों की तकलीफें एक जैसी हैं- सुगंधि फ्रांसिस (भाग -तीन)

तीसरा और अंतिम हिस्सा विवेक ने समाज को बदलने का जो बीड़ा उठाया था उसका एक रंग यह भी था कि स्वयं भी झोपड़पट्टी में...

जाति जनगणना से किसको खतरा है?

राजनीतिक दल अब बहुजन समुदायों के बढ़ते दबाव की वास्तविकता के प्रति जाग रहे हैं। वे इस बात को लेकर सचेत हो चुके हैं...

जितनी घातक है हिंसा की राजनीति उतनी ही घातक है हिंसा पर राजनीति

जम्मू कश्मीर में हिंसा का तांडव जारी है। बावजूद इस आंकिक सत्य के कि मारे गए लोगों में अधिकतर स्थानीय मुसलमान हैं मीडिया में...

मैं कभी किसी कहानी आंदोलन का हिस्सा नहीं रही

बातचीत का पहला हिस्सा आप अपने बचपन के बारे में कुछ बताएं! पुराने घर की कुछ स्मृतियां? कलकत्ता में बीते बचपन की पुरानी स्मृतियों में एक...

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