आरएसएस लगातार दोहरी नीति पर काम एक तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री बयान देते फिरते हैं कि देश में सभी समुदाय के लोग सुरक्षित हैं, वहीं उनके पोषित लोग अल्पसंख्यकों पर लगातार हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अभी क्रिसमस के मौके पर दिए संदेश में भगवान ईसा मसीह की शिक्षाओं पर अमल करने की बात कही, वहीं दूसरी तरफ लखनऊ मे चर्च के बाहर भक्तों ने गदर मचाया। अहमदाबाद में सांता क्लॉज की पोशाक पहने व्यक्ति की भक्तनुमा व्यक्ति ने पिटाई कर दी। यह मात्र एक या दो घटनाएं है। लेकिन पूरे देश में ऐसी सैकड़ों घटनाएं लगातार हो रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर नफरत इतनी व्यापक क्यों है?
वर्ष 2014 के बाद अल्पसंख्यकों को लेकर देश की कुर्सी संभालने वाले जिस तरह की भाषा का प्रयोग लगातार कर नफरत फैला रहे हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि ध्रुवीकरण की राजनीति तेज हुई और जिसका सीधा असर मतदान पैटर्न पर दिखाई दिया। सामाजिक धारणायें भी इससे अछूती नहीं रहीं। आज हर हिंदू परिवारों के हजारों व्हाट्सएप ग्रुप और ड्राइंग रूम चैट में मुसलमानों को गुनहगार बनाकर नफरत फैलाई जा रही है। लेकिन इस विभाजनकारी भावना से कैसे निपटा जाए? लोगों के बीच वैकल्पिक आख्यान को विकसित करने की आवश्यकता है