TAG
indian constitution
भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय : एक सिंहावलोकन
भारतीय समाज में अनेक असमानताएं व्याप्त हैं। कुछ ऐसी ताकतें हैं जो भारतीय संविधान का ही अंत कर देना चाहती हैं। वह इसलिए क्योंकि संविधान समानता की स्थापना के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण औज़ार है। इस समय जो लोग सामाजिक न्याय की अवधारणा के खिलाफ हैं वे खुलकर भारत के संविधान में बदलाव की मांग कर रहे हैं। लेकिन जरूरी है कि संविधान के सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले उसके प्रावधानों सहित, रक्षा की जाये और उसे मज़बूत बनाये जाये।
आखिर संघी क्यों बी. एन. राव को डॉ अंबेडकर के समानान्तर खड़ा करना चाहते हैं?
हाल ही में ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने के प्रयास ने एक अप्रत्याशित और बहुस्तरीय विवाद को जन्म दिया। वकीलों के एक वर्ग द्वारा इस पहल का स्वागत किया गया, जबकि दूसरे समूह ने यह कहते हुए आपत्ति उठाई कि न्यायालय परिसर में किसी भी प्रकार की स्थायी संरचना या मूर्ति स्थापना के लिए भवन समिति की पूर्व अनुमति आवश्यक है, जो इस मामले में प्राप्त नहीं की गई थी। किंतु यह तकनीकी आपत्ति शीघ्र ही वैचारिक और सांप्रदायिक रंग लेने लगी, जिसमें अंबेडकर की भूमिका, विचारधारा और प्रतीकात्मकता को निशाना बनाया गया।
संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हुए जिम्मेदार नागरिक बनने की दी सीख
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने रविवार को कहा कि किसी राष्ट्र की प्रगति के लिए उसके संविधान का अत्यधिक महत्व होता है। व्यवस्थित संविधान देश की मजबूती और विकास का द्योतक है।
बोलिए, आपको क्या चाहिए मोहब्बत या नफरत?
पिछले 70 वर्षों तक हिन्दू कभी खतरे में नहीं थे, न ही उन्हें कभी मारे जाने का डर था लेकिन जैसे ही केंद्र में भाजपा का शासन आया, वैसे ही बहुसंख्यक हिन्दू के लिए अल्पसंख्यक मुस्लिम खतरा बन गए और उनकी जान पर बन आई। असल में असली खतरा उन्हें आरएसएस से है, हिंदुतव के नाम पर वही ऐसा माहौल तैयार कर रहे हैं, वही घिनौनी सोच लोगों के दिमाग में घुसा रहे हैं और सबसे ज्यादा बेवकूफ हिंदुत्व के पीछे भागने वाले अंधभक्त है। योगी आदित्यनाथ, जो बुलडोजर (अ)न्याय के प्रणेता ने भी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा बुलंद किया है, वहीं आरएसएस ने इस नारे का खुलकर समर्थन किया। धर्म के मुखौटा पहने राष्ट्रवादी होने का दावा करने वाली शक्तियां न केवल उपनिवेश विरोधी संघर्ष में शामिल नहीं हुईं वरन् उन्होंने घृणा और विभाजन के बीज बोए और उन्हें खाद-पानी दिया। आने वाला समय सांप्रदायिकता के लिए चुनौती भरा रहेगा।
जाति विवाद के मसले पर आरएसएस का घालमेल
लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे बड़ा मुद्दा जातिगत जनगणना कराने का था जिसे इण्डिया गठबंधन ने बहुत मजबूती से आगे बढ़ाया है। जाति का मुद्दा आर एस एस के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। क्योंकि उसे पता हैं कि जातिया अपना अधिकार मांगने लगी तो उनका हिंदुत्व बिखर जायेगा। जिसे बचाने के लिए वह तमाम संदर्भ दे रहे हैं। इसी को लेकर राम पुनियानी की रिपोर्ट।
भारतीय संविधान के यम : नरेंद्र मोदी
सरकारी शिक्षण संस्थाओं को निजी हाथों में सौंपने के बाद देश के प्रधानमंत्री अब आरक्षण और संविधान को ही खत्म कर देने पर तुले हुए हैं। इसके लिए भाजपा को 400 के आंकड़े को पार करना होगा। भाजपा इसमें कितना कामयाब होती दिख रही है... पढ़िए एच एल दुसाध का लेख
महारैली : राहुल गांधी ने कहा मोदी और पूंजीपति मिलकर चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ कर रहे हैं
महारैली में राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान का संविधान देश के गरीबों को भविष्य दिया, सपने देखने का हक दिया उस संविधान को गरीब जनता के हाथ से छीनने के लिए यह मैच फिक्सिंग की जा रही है।
रूढ़िवादी धारणाओं के बंधन में कैद हैं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं और किशोरियां
पिछले कुछ दशकों में भारत ने तेज़ी से विकास किया है। चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो, अंतरिक्ष हो, टेक्नोलॉजी हो, राजनीति हो, अर्थव्यवस्था...
ईडी की छापेमारी से द्रमुक को डराने की कोशिश कर रही है केंद्र सरकार
चेन्नई (भाषा)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने रविवार को आरोप लगाया कि आयकर विभाग...
आओ! सरकार सरकार खेलें
समय परिवर्तन के साथ-साथ बहुत कुछ बदल जाता है। यहाँ तक कि शब्द भी और शब्दों के अर्थ भी। इसे यूं समझ सकते हैं...
डॉ अंबेडकर के खिलाफ अपराधों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है योगी सरकार
मूलभूत अधिकारों में समानता का अधिकार,शोषण के विरुद्ध अधिकार,धार्मिक स्वतंत्रता, संस्कृति और शिक्षा, संपत्ति और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है। इनमें से धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था से जुड़ी स्वतंत्रता के हनन की घटनायें आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। ताजा मामला संविधान निर्माता और भारत रत्न से सम्मानित बाबा भीमराव अम्बेडकर की बार- बार तोड़ी जाती प्रतिमा और उनके विचारों से प्रभावित लोगों लोगों का है।
राह दिखाने के लिए संविधान ज़रूरी है या मनुस्मृति
भारत में जिस राजनैतिक व्यवस्था को हमने चुना है उसमें विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उन कानूनों के अनुरूप देश की शासन व्यवस्था का...
बनारस में ‘बापू’ से जुड़े धरोहरों को संरक्षित करने की उठी माँग
ज्ञातव्य है की आज ही के दिन यानि 30 जनवरी 1948 में महात्मा गाँधी की नृशंस हत्या कर दी गयी थी। देश आज़ाद होने...
विषमतम दौर में भारत और भारतीय संविधान (डायरी 27 जनवरी, 2022)
कल भारत में जनतंत्र दिवस दिवस मनाया गया। कायदा तो यह होना चाहिए था कि इस मौके पर भारतीय संविधान को याद किया जाता...
भारत के अकादमिक संस्थान अपने आप में NFS बनते जा रहे हैं
भारत विविधता व विषमता के लिहाज़ से दुनिया का सबसे अनूठा देश है। भारत का संविधान लागू होने के बाद इसे एक आधुनिक राष्ट्र...
जूम करके देखिए, भारत में नवउदारवाद का ब्राह्मणवादी स्वरूप (डायरी 2 नवंबर, 2021)
पटना में अल्पप्रवास का आज चौथा दिन है। पारिवारिक सुखद अनुभूतियों को छोड़ दूं तो ऐसा कुछ भी अच्छा नहीं की दर्ज करूं। एक...
आरक्षण मजाक का विषय नहीं है जज महोदय (डायरी 22 अक्टूबर, 2021)
समाज को देखने-समझने के दो नजरिए हो सकते हैं। फिर चाहे वह दाता और याचक के नजरिए से देखें या फिर श्रमजीवी और परजीवी...

