उत्तर प्रदेश में वाराणसी की बनारसी साड़ियाँ विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन इन दिनों साड़ी बनाने वाले बुनकरों की हालत बेहद खराब हो गई है। बुनकरों ने अपनी स्थिति को लेकर क्या कहा? देखिये यह ग्राउंड रिपोर्ट
भारत देश में काशी नगरी पर आस्था रखने वालों की यह दिली तमन्ना होती है कि मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार इसी नगरी में किया जाये। यहाँ अंतिम संस्कार के लिए आसपास के लोग आते भी हैं। लेकिन इधर प्रशासन ने शव ले जाने वाले मणिकर्णिका रास्ते में बदलाव कर भैंसासुर घाट से ले जाने का आदेश जारी कर जनता के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रतिमाओं के सामने प्रार्थना कर सकता है। मस्जिद समिति ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
समर्थकों के विशेष वर्ग को उन आलोचनाओं को सुन अपना पारा नहीं चढ़ाना चाहिए, जिन आलोचनाओं में भारत सरकार, केंद्र सरकार या एनडीए सरकार का संबोधन प्रयोग किया जाता है। ये तीनों अब कहीं हैं ही नहीं। यहां तक कि अब तो विदेश भी मोदी सरकार ही जाती है, भारत सरकार नहीं। जब भारत सरकार की जगह एक व्यक्ति विदेशी दौरों पर जाएगा, तो वो देश के कार्य से अधिक तवज्जो व्यक्तिगत कार्य को देगा।
आज यदि कोई गौर से देखे तो पता चलेगा कि न्यायिक सेवा, शासन-प्रशासन,उद्योग-व्यापार, फिल्म-मीडिया,धर्म और ज्ञान क्षेत्र में भारत के सवर्णों जैसा दबदबा आज की तारीख में दुनिया में कहीं नहीं है। आज की तारीख में दुनिया के किसी भी देश में परम्परागत विशेषाधिकारयुक्त व सुविधाभोगी वर्ग का ऐसा दबदबा नहीं है।