Friday, March 14, 2025
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बहुजन समाज को कैसे मोहने वाली है भाजपा

2014 के चुनावों में कांग्रेस विरोधी हवा और मोदी के बड़े-बड़े वादों से प्रभावित होकर दलित समाज के पढ़े-लिखे हिस्से ने भारतीय जनता पार्टी...

विश्व गुरु हो तो ऐसा, युद्ध और शांति दोनों की चाह एक साथ

भई इसे कहते हैं विश्व गुरु वाला दांव। एक साथ दो नावों पर सवारी। बेशक, मुश्किल काम है। बल्कि लोग तो जोखिम का काम...

भूख सूचकांक में भारत की गिरावट के लिए सरकार की जनविरोधी नीतियां जिम्मेदार

देश के कृषि संकट को पहचानने और बेरोजगारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा की बिगड़ती स्थिति से निपटने के बजाए मोदी सरकार ने पिछले बजट में खाद्य सब्सिडी में 90,000 करोड़ रुपये की कटौती की थी। इसी तरह, अन्य सामाजिक कल्याण की  योजनाओं पर और मनरेगा आबंटन में भी 30 प्रतिशत की कटौती की गई है।

अब सीधे ऊपर से सलेक्शन!

इन विपक्षियों ने अधर्मीपन की क्या हद ही नहीं कर दी! बताइए‚ खुद ईश्वर के चुनाव पर भी सवाल उठा रहे हैं। जिसे खुद...

फासिस्म को पराजित करने के मंसूबे में मजबूती से खड़े होते इंडिया के सामने चुनौतियों का चकव्यूह

पिछले दो महीने में भारत की राजनीति में विपक्ष ने जिस तरह से न्यूनतम शर्तों या अभी तक के परिदृश्य में बिना शर्तों के,...

अब टमाटर-मुक्त भारत!

इस बार टमाटर ने भी अपने नखरे दिखा ही दिए। अब तक अक्सर कभी आलू, तो कभी प्याज के नखरे ही सरकारों को सिरदर्द...

भाजपा की नफरती राजनीति का विपक्ष को ढूँढना होगा ठोस जवाब

लोकसभा चुनाव (2024) की तैयारियों में जहां विपक्ष एकजुटता कायम करने के मोर्चे पर मुस्तैद हो चुका है, वहीं भाजपा मुसलमानों के खिलाफ नफरत...

सख्त क़ानून भी नहीं रोक सके रेप, राजनीतिक संरक्षण में ताकतवर हुए रेपिस्ट

साल 2012 में दिल्ली में एक रेप हुआ था। इस रेप की भयावहता ने पूरे देश में एक आन्दोलन खड़ा कर दिया। उस समय...

गरीबी तो मिटाने दो यारो!

ये लो कर लो बात। अब क्या मोदीजी गरीबी भी नहीं मिटाएं। सीबीएसई की किताबों में से गरीबी का चैप्टर जरा-सा हटा क्या दिया‚...

वन नेशन, वन इनॉगरेशन

क्या अब भी इसके लिए किसी और सबूत की ज़रूरत है कि मोदी जी के विरोधी ही टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं। बताइए! अब ये मोदी...

बेराह बनारस में बवाल उर्फ मोदी सरकार के नौ साल

समर्थकों के विशेष वर्ग को उन आलोचनाओं को सुन अपना पारा नहीं चढ़ाना चाहिए, जिन आलोचनाओं में भारत सरकार, केंद्र सरकार या एनडीए सरकार का संबोधन प्रयोग किया जाता है। ये तीनों अब कहीं हैं ही नहीं। यहां तक कि अब तो विदेश भी मोदी सरकार ही जाती है, भारत सरकार नहीं। जब भारत सरकार की जगह एक व्यक्ति विदेशी दौरों पर जाएगा, तो वो देश के कार्य से अधिक तवज्जो व्यक्तिगत कार्य को देगा।

कर्नाटक का सन्देश

 कर्नाटक चुनाव परिणाम आये सप्ताह भर हो चले हैं, पर इसे लेकर चर्चा का दौर आज भी थमा नहीं है। इस चुनाव का सबसे...

महिला पहलवानों के शोषण मामले में पीएम मोदी की चुप्पी पर दख़ल ने उठाया सवाल

सामाजिक संगठन दख़ल के लोगों ने निकाला कैंडिल मार्च वाराणसी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहे महिला पहलवानों के धरने के समर्थन में बनारस की...

ख़बरदार! किसी ने इसे मोदीजी की ‘हार’ कहा तो…!

माना कि कर्नाटक में पब्लिक ने मोदी की मन की बात नहीं सुनी है। मोदीजी ने पूरे राज्य में घूम-घूमकर सुनाई, पर पब्लिक ने...

आएगा तो मोदी ही!

ये एक्जिट पोल वाले एकदम्मे पगला ही गए हैं क्या जी? बताइए, जान-बूझकर पब्लिक को झूठे सब्जबाग दिखा रहे हैं। मोदीजी के दुश्मनों के...

फिर भी नहीं आया बाघ

एक बादशाह था। छोटा-मोटा नहीं, बहुत बड्डा वाला बादशाह। बादशाह था, तो जाहिर है कि उसका राज भी होगा। छोटा-मोटा नहीं, बड्डा वाला राज...

एकात्म मानववाद से एकात्म महामानववाद तक भाजपा

जंगल सफारी में फोटो और उनके लिए बनाई गयी मुद्राओं पर चुटकी लेने वाले, स्थापना दिवस के समारोह में अपने अध्यक्ष के भाषण में भी बिना पलक झपकाए लगातार कैमरे में बने रहने के लिए उनका मखौल बनाने वाले भूल जाते हैं कि यह सिर्फ आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा बताया जाने वाला, सभ्य समाज में नार्सिसिज्म के रूप में परिभाषित किये जाने वाला मनोरोग नहीं है। यह एक बड़े, बहुत बड़े देश के सबसे प्रमुख पद पर बैठे व्यक्ति का सोच-समझ कर किया जाना वाला आचरण है।

गांधियों… रास्ता छोड़ो!

आखिर ये गांधी सरनेम वाले, कब तक मोदीजी के रास्ते में आते रहेंगे। पहले नेहरू सरनेम की आड़ में बेचारों को कभी इसके, तो...

अब… हिस्ट्री नहीं पढ़ाएंगे!

ये लो, कर लो बात। अब विरोधियों को मोदीजी के इतिहास की किताबों में काट-पीट करवाने से भी प्राब्लम है। हर चैप्टर के फटने...

भ्रष्टाचार नहीं सामाजिक अन्याय के मुद्दे पर मोदी को घेरे विपक्ष!

2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए हाल के दिनों में विपक्षी दलों द्वारा एकजुटता के लिए जो तरह-तरह के प्रयास हो रहे हैं, डीएमके द्वारा प्रायोजित सामाजिक न्याय सम्मलेन अघोषित रूप में उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विपक्षी एकता का खास प्रयास हुआ है। और अगर ऐसा है तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेहद प्रभावी प्रयास है। क्योंकि इस एकजुटता का आधार सामाजिक न्याय का मुद्दा है जो तेजस्वी यादव के शब्दों में \\\'धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई राजनीति का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।

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