मोदीजी, उनकी सरकार, उनका संघ परिवार, इतना ज्यादा काम क्यों करते हैं? बताइए, दिल्ली वाले केजरीवाल ने तो सीधे-सीधे मोदीजी के अठारह-बीस घंटे काम करने पर ही आब्जेक्शन उठा दिया।
इच्छा शक्ति के अभाव में बहुजन नेतृत्व इसके सदव्यवहार से मीलों दूर रहे। क्रांति का अध्ययन करने वाले तमाम समाज विज्ञानियों के मुताबिक़ जब वंचित वर्गों में सापेक्षिक वंचना का भाव पनपने लगता है, तब उन में शक्ति संपन्न वर्ग के खिलाफ आक्रोश की चिंगारी फूट पड़ती है और वे शासकों को सत्ता से दूर धकेल देते हैं।